धनबाद: मछली बहुत से लोगों का पसंदीदा खाना है. स्वास्थ्य के लिहाज से मांगुर मछली के फायदे अनेक हैं, लेकिन इससे मिलती-जुलती थाई मांगुर मछली सेहत के लिए घातक साबित हो सकती है. थाई मांगुर मछली सेहत के लिए तो घातक होती ही है, साथ ही पर्यावरण के नजरिए से भी ये नुकसानदेह है. थाई मांगुर मछली पर प्रतिबंध के बावजूद इसका अवैध कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है.
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थाई मांगुर मछली का अवैध कारोबार
सेहत के लिए हानिकारक थाई मांगुर मछली का झारखंड में अवैध कारोबार चल रहा है. बंगाल से जीटी रोड के रास्ते थाई मांगुर मछली को बड़े वाहनों के जरिए झारखंड सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में खपाया जा रहा है. इस बात का तब खुलासा हुआ जब थाई मांगुर मछली से भरी गाड़ी पकड़ी गई.
बताया जा रहा है कि थाई मांगुर मछली भरी गाड़ी बंगाल से चलकर जीटी रोड के रास्ते झारखंड में प्रवेश कर गई, जिसे मैथन में पासिंग एजेंट ने रोकने की कोशिश की. गाड़ी को रुकने का इशारा करने पर ड्राइवर ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी. इसके बाद पासिंग एजेंट उसका पीछा करते हुए तोपचांची पहुंच गए. पासिंग एजेंट यहां गाड़ी को रोककर वसूली करने लगे. इसी दौरान दोनों के बीच विवाद बढ़ गया. हंगामे की भनक लगते ही ग्रामीण भी घटना स्थल पर पहुंच गए. जिसके बाद पासिंग एजेंट समेत सभी लोग मौके से फरार हो गए.
जानकारी के अनुसार हर दिन चिरकुंडा बॉर्डर 15 से 20 ट्रक प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली को पास कराया जाता है. यहां बिल्टी पासिंग एजेंट के दो गुट हैं, जिसके बीच वर्चस्व को लेकर तनातनी चलती रहती है.
थाई मांगुर मछली पर प्रतिबंध
सामान्य मांगुर मछली के फायदे की वजह से इसकी बहुत डिमांड है. वहीं थाई मांगुर मछली मांसाहारी होती है, जिसकी वजह से इसका शरीर तेजी से बढ़ता है. यह तीन माह में दो से दस किलोग्राम वजन की हो जाती है. बड़े आकार में होने की वजह से ये बड़ी आसानी से पानी के अंदर पाये जाने वाले लाभदायक शैवालों तथा लाभदायक प्रजातियों की छोटी मछलियों को खा जाती है.
इसके साथ ही थाई मांगुर मछली के शरीर में घातक हेवी मेटल्स, जिसमें आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी और लेड अधिक पाया जाता है. ये हेवी मेटल मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक हैं. भारत सरकार ने साल 2000 में इस थाई मांगुर मछली को खाने, इसके पालन ओर परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है.