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बाहर शौच करने को मजबूर सरकारी स्कूल के बच्चे, NH के पास होने के बाद भी नहीं है बाउंड्री वॉल

धनबाद के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. गोविंदपुर प्रखंड का मध्य विद्यालय नेशनल हाईवे के पास है लेकिन 10 लाख रुपए शिक्षा विभाग द्वारा दिए जाने के बावजूद भी आज तक इस विद्यालय में बाउंड्री वॉल नहीं बना है. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

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Published : Jul 13, 2019, 8:03 AM IST

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धनबाद: जिले के गोविंदपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय पंडुकी नेशनल हाईवे के पास है. नेशनल हाईवे होने के बावजूद भी आज तक इस विद्यालय में बाउंड्री नहीं है. ऐसे में शिक्षकों को पढ़ाने से ज्यादा ध्यान बच्चों पर देना पड़ता है, बच्चें कहीं सड़क पर ना चलें जाए.

देखें पूरी खबर

ये भी देखें- छात्रों के साथ शिक्षकों में गुणवत्ता बनाये रखने की जरूरत: सरयू राय


स्कूल में बाउंड्री के नहीं होनें की वजह से मध्याह्न भोजन का खाना खानें में भी काफी परेशानी होती है. बाउंड्री नहीं होने के कारण गाय और बकरियां बच्चों का खाना भी खा जाती है. बाउंड्री नहीं होने की वजह से स्कूल के बरामदे में सुबह गोबर भी रहती है, जिसे बच्चों को ही साफ करना पड़ता है

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वहीं इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार इसकी जानकारी विभाग को दी गई है. इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. प्रभारी प्रधानाचार्य ने बताया कि विभाग के तरफ से 10 लाख रुपए आया था. लेकिन इसके बावजूद भी बाउंड्री का निर्माण नहीं हो पाया है, क्योंकि उस समय ग्रामीणों में ही बाउंड्री बनाने को लेकर लड़ाई छिड़ गई और मजबूरन पैसा विभाग को वापस करना पड़ा. उसके बाद गोविंदपुर के अंचलाधिकारी से भी नापी करवा कर बाउंड्री करवाने की बात कही गई थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस पर कोई पहल नहीं की गई है.


पूरे देश में आज स्वच्छता की बात होती है, लेकिन छात्रौं को शौचालय भी नसीब नहीं है. विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष उपेंद्र गोप का कहना है कि शिक्षक शौचालय में ताला मार कर रखते हैं. जब शिक्षकों को शौचालय जाना होता है तो वह ताला खोल कर चले जाते है और फिर ताला बंद कर देते है. ऐसे में छात्र हो छात्रा सभी बाहर शौच करने को मजबूर है.

धनबाद: जिले के गोविंदपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय पंडुकी नेशनल हाईवे के पास है. नेशनल हाईवे होने के बावजूद भी आज तक इस विद्यालय में बाउंड्री नहीं है. ऐसे में शिक्षकों को पढ़ाने से ज्यादा ध्यान बच्चों पर देना पड़ता है, बच्चें कहीं सड़क पर ना चलें जाए.

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स्कूल में बाउंड्री के नहीं होनें की वजह से मध्याह्न भोजन का खाना खानें में भी काफी परेशानी होती है. बाउंड्री नहीं होने के कारण गाय और बकरियां बच्चों का खाना भी खा जाती है. बाउंड्री नहीं होने की वजह से स्कूल के बरामदे में सुबह गोबर भी रहती है, जिसे बच्चों को ही साफ करना पड़ता है

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वहीं इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार इसकी जानकारी विभाग को दी गई है. इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. प्रभारी प्रधानाचार्य ने बताया कि विभाग के तरफ से 10 लाख रुपए आया था. लेकिन इसके बावजूद भी बाउंड्री का निर्माण नहीं हो पाया है, क्योंकि उस समय ग्रामीणों में ही बाउंड्री बनाने को लेकर लड़ाई छिड़ गई और मजबूरन पैसा विभाग को वापस करना पड़ा. उसके बाद गोविंदपुर के अंचलाधिकारी से भी नापी करवा कर बाउंड्री करवाने की बात कही गई थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस पर कोई पहल नहीं की गई है.


पूरे देश में आज स्वच्छता की बात होती है, लेकिन छात्रौं को शौचालय भी नसीब नहीं है. विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष उपेंद्र गोप का कहना है कि शिक्षक शौचालय में ताला मार कर रखते हैं. जब शिक्षकों को शौचालय जाना होता है तो वह ताला खोल कर चले जाते है और फिर ताला बंद कर देते है. ऐसे में छात्र हो छात्रा सभी बाहर शौच करने को मजबूर है.

Intro:धमाल धनबाद सरकारी कोयलांचल के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. कोयलांचल के सरकारी स्कूल के बच्चे को नहीं ढंग से शिक्षा मिल पा रही है और ना ही सुरक्षा हम जिले के गोविंदपुर प्रखंड के पन्नू की मध्य विद्यालय आपको लेकर चलते हैं यहां का हाल देख कर आप भी चौंक जाएंगे. यह विद्यालय नेशनल हाईवे यानी कि जीटी रोड के ठीक बगल में है,लेकिन 10 लाख रुपए शिक्षा विभाग के द्वारा देने के बावजूद भी आज तक इस विद्यालय में बाउंड्री वॉल नहीं है. ऐसे में किसी बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता.


Body:जी हां हम धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय पंडुकी की बात कर रहे हैं.यहां पर एक दो समस्याएं नहीं बल्कि अनगिनत समस्याएं हैं. नेशनल हाईवे के ठीक बगल में होने के बावजूद भी आज तक इस विद्यालय में बाउंड्री वाल नहीं है.ऐसे में शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा ध्यान छात्रों को सड़क पर जाने से रोकने में लगाते हैं.ऐसे में शिक्षक बच्चों को क्या पढ़ाएंगे यह सोचने वाली बात है.

दूसरी ओर बच्चों को जो मध्याह्न भोजन का जो खाना मिलता है उस खाने में भी गाय और बकरियां अपना हाथ साफ कर जाती है. बाउंड्री वाल नहीं होने की वजह से पूरे बरामदे में सुबह गोबर रहती है जिसे साफ करने में ज्यादा समय छात्रों का बीत जाता है ऐसा स्थानीय लोगों का कहना है. छात्रों को शौचालय भी नसीब नहीं है.विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष उपेंद्र गोप का कहना है कि शिक्षक शौचालय में ताला मार कर रखते हैं. जब शिक्षकों को जाना होता है तो वह ताला खोल कर चले जाते हैं और फिर ताला बंद कर देते हैं छात्र बाहर ही शौच करने को मजबूर हैं.

अब इतनी परेशानियों के बावजूद अगर हम छात्रों को दोष दे की उन्हें कुछ जानकारी नहीं है,कि हमारे मुख्यमंत्री कौन है,प्रधानमंत्री कौन है, राष्ट्रपति कौन है और वह जवाब नहीं दे पाए तो आखिर इसमें छात्रों का क्या दोष. ऐसे में अब सवाल उठता है कि अगर यही हाल हमारे सरकारी विद्यालयों का रहा तो सरकार की शिक्षा नीति का क्या होगा.अगर ऐसे ही पढ़ेंगे हमारे बच्चे तो यह सवाल भी उठना लाजमी है कि कैसे आगे बढ़ेगा झारखंड.


Conclusion:वहीं जब इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक दो बार नहीं कई बार इसकी जानकारी विभाग को दी गई है लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है. 10 लाख रुपए आने के बावजूद भी बाउंड्री वाल का निर्माण नहीं हो पाया है,क्योंकि उस समय ग्रामीणों में ही बाउंड्री वॉल कराने को लेकर लड़ाई छिड़ गई और मजबूरन पैसा विभाग को वापस करना पड़ गया. उसके बाद गोविंदपुर के अंचलाधिकारी से भी नापी करवाकर चाहरदीवारी करवाने की बात कही गई थी लेकिन सालभर बीत जाने के बावजूद भी आज तक इस पर कोई पहल नहीं हो पाई है.

बाइट
1. अनार्दन यादव- प्रभारी प्रधानाचार्य
2. संध्या कुमारी- सहायक शिक्षिका
3. उपेंद्र गोप- विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष
4.कुंदन पांडेय-छात्र कक्षा 6
5. शांति कुमारी पांडेय- छात्रा कक्षा 8
6. उषा कुमारी- छात्रा कक्षा 8

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