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Navratri 2023: 200 साल पुरानी है डुमरा नवागढ़ राज परिवार की दुर्गा पूजा, यहां तांत्रिक पद्धति से होती है मां की आराधना

धनबाद में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में उत्साह है. कुछ ऐसा ही अनोखा उत्साह डुमरा नवागढ़ राज परिवार की दुर्गा पूजा को लेकर भी है. अंग्रेजों के जमाने से ये शाही परिवार पूजा करता आ रहा है. Durga puja by Dumra Navagarh royal family.

Durga puja by Dumra Navagarh royal family in Dhanbad
धनबाद में डुमरा नवागढ़ राज परिवार की दुर्गा पूजा
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 23, 2023, 4:17 PM IST

Updated : Oct 23, 2023, 4:31 PM IST

धनबाद में डुमरा नवागढ़ राज परिवार की दुर्गा पूजा

धनबादः कोयलांचल में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में उत्साह है. शहर में भव्य पंडालों में विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमा को देखने के लियें लोगों की भीड़ उमड़ रही है. शहरी क्षेत्र में जहां एक ओर लाखों रुपये की लागत से बड़े आकर्षक पूजा पंडाल बनाये गए हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में साधारण सजावट के साथ पूजा की जा रही है. इन सबके बीच लोगों के बीच शाही परिवार की दुर्गा पूजा को लेकर भी लोगों में उत्साह है.

इसे भी पढ़ें- Navratri 2023: वर्ष 1880 से चल रही रवायत आज भी जारी, शस्त्र पूजा के साथ बलि देने की है परंपरा

डुमरा नवागढ़ राज परिवार लगभग 200 साल से दुर्गा पूज करते आ रहे हैं. शाही परिवार विधि विधान, बलि और तांत्रिक पद्धति से पूजा करती आ रही है. राज परिवार के सदस्य कलश स्थापना से दशमी तक उपवास रह कर परंपरागत तरीके से पूजा कर रहे हैं. राजमाता सुमेधाराज लक्ष्मी और उनकी पुत्री राजकुमारी यागेश्वरी राजे पूजा की शुरुआत से विसर्जन तक पूरी व्यवस्था को संभालती हैं. इस अवसर पर आसपास के लोग राज परिवार के मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं. नवरात्रि में लोगों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ती है.

राजमाता सुमेधाराज लक्ष्मी ने कहा कि प्रताप नारायण सिंह के समय से विधि विधान के साथ दुर्गा पूजा होती आ रही है, उस समय यहां अंग्रेजों का शासन था. वो लोग पालगंज से यहां पहुंचे और तीन भाई झरिया, कतरास और नवागढ़ में बस गये तो वे लोग नवागढ़ रियासत में आ गये. राजवाड़े के वक्त से यहां दुर्गा पूजा होती आ रहा है. यहां शस्त्र पूजा के साथ साथ बलि और तांत्रिक पद्धति से पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बलि दी जाती है. राज परिवार द्वारा शस्त्र की पूजा भी जाती है. दुर्गा पूजा करने वाले पुजारी जो उस समय पूजा करते थे आज भी उन्हीं लोगों के वंशज पूजा कराते है. मूर्ति विसर्जन यहां के लोग विजयादशमी के दिन माता की प्रतिमा को कंधे पर उठाकर ले जाया जाता है और प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

डुमरा नवागढ़ राजकुमारी यागेश्वरी राजे ने कहा कि आज भले ही लोकतंत्र है लेकिन यहां के लोगों की आस्था आज भी राज परिवार के प्रति है, सभी लोग यहां पूजा करने आते है. राज परिवार के तमाम सदस्य कलश स्थापना से विजयादशमी तक पूजा संपन्न करते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि उनके पूर्वज अंग्रेजों के समय से दुर्गा पूजा करते आ रहे हैं, 200 साल से यहां पूजा हो रही है. राजतंत्र के समय में हाथी, घोड़ा, सैनिक बेलवरण के दिन रहते थे.

धनबाद में डुमरा नवागढ़ राज परिवार की दुर्गा पूजा

धनबादः कोयलांचल में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में उत्साह है. शहर में भव्य पंडालों में विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमा को देखने के लियें लोगों की भीड़ उमड़ रही है. शहरी क्षेत्र में जहां एक ओर लाखों रुपये की लागत से बड़े आकर्षक पूजा पंडाल बनाये गए हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में साधारण सजावट के साथ पूजा की जा रही है. इन सबके बीच लोगों के बीच शाही परिवार की दुर्गा पूजा को लेकर भी लोगों में उत्साह है.

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डुमरा नवागढ़ राज परिवार लगभग 200 साल से दुर्गा पूज करते आ रहे हैं. शाही परिवार विधि विधान, बलि और तांत्रिक पद्धति से पूजा करती आ रही है. राज परिवार के सदस्य कलश स्थापना से दशमी तक उपवास रह कर परंपरागत तरीके से पूजा कर रहे हैं. राजमाता सुमेधाराज लक्ष्मी और उनकी पुत्री राजकुमारी यागेश्वरी राजे पूजा की शुरुआत से विसर्जन तक पूरी व्यवस्था को संभालती हैं. इस अवसर पर आसपास के लोग राज परिवार के मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं. नवरात्रि में लोगों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ती है.

राजमाता सुमेधाराज लक्ष्मी ने कहा कि प्रताप नारायण सिंह के समय से विधि विधान के साथ दुर्गा पूजा होती आ रही है, उस समय यहां अंग्रेजों का शासन था. वो लोग पालगंज से यहां पहुंचे और तीन भाई झरिया, कतरास और नवागढ़ में बस गये तो वे लोग नवागढ़ रियासत में आ गये. राजवाड़े के वक्त से यहां दुर्गा पूजा होती आ रहा है. यहां शस्त्र पूजा के साथ साथ बलि और तांत्रिक पद्धति से पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बलि दी जाती है. राज परिवार द्वारा शस्त्र की पूजा भी जाती है. दुर्गा पूजा करने वाले पुजारी जो उस समय पूजा करते थे आज भी उन्हीं लोगों के वंशज पूजा कराते है. मूर्ति विसर्जन यहां के लोग विजयादशमी के दिन माता की प्रतिमा को कंधे पर उठाकर ले जाया जाता है और प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

डुमरा नवागढ़ राजकुमारी यागेश्वरी राजे ने कहा कि आज भले ही लोकतंत्र है लेकिन यहां के लोगों की आस्था आज भी राज परिवार के प्रति है, सभी लोग यहां पूजा करने आते है. राज परिवार के तमाम सदस्य कलश स्थापना से विजयादशमी तक पूजा संपन्न करते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि उनके पूर्वज अंग्रेजों के समय से दुर्गा पूजा करते आ रहे हैं, 200 साल से यहां पूजा हो रही है. राजतंत्र के समय में हाथी, घोड़ा, सैनिक बेलवरण के दिन रहते थे.

Last Updated : Oct 23, 2023, 4:31 PM IST
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