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Dhanbad News: विस्थापितों ने डीवीसी के प्रशासनिक भवन के समक्ष दिया धरना, उचित मुआवजा और नौकरी देने की मांग

डीवीसी के विस्थापितों ने वास्तुहारा संग्राम समिति के बैनर तले डीवीसी मैथन के प्रशासनिक भवन के समीप पहुंच कर धरना दिया और मांगों को लेकर नारेबाजी की. इस दौरान विस्थापितों ने डीवीसी प्रबंधन से उचित मुआवजा और नियोजन देने की मांग की.

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Published : Jul 5, 2023, 7:46 PM IST

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धनबाद, निरसाः दामोदर वैली वास्तुहारा संग्राम समिति के बैनर तले बुधवार की सुबह समिति के अध्यक्ष वासुदेव महतो के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में विस्थापित काली पहाड़ी मोड़ से अपनी मांगों को लेकर डीवीसी मैथन स्थित प्रशासनिक भवन पहुंचे. जहां विस्थापितों ने डीवीसी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान विस्थापितों ने कहा कि जमीन हमारा-राज तुम्हारा नहीं चलेगा, हमारी मांगें पूरी करो, सीएसआर के तहत विस्थापितों को बिजली-पानी मुहैया करना होगा. इस दौरान विस्थापितों का नई सूची बनाने सहित अन्य नारे लगाए.

ये भी पढ़ें-Clash in Dhanbad: ग्रामीणों और आउटसोर्सिंग कर्मियों के बीच मारपीट, 6 लोग घायल

विस्थापितों को रोकने के लिए सीआईएसएफ ने लगाया बैरियरः वहीं विस्थापितों को जुटता देख सीआईएसफ की ओर से प्रशासनिक भवन के समीप बैरियर लगा दिया गया था, ताकि कोई भी विस्थापित उससे आगे नहीं जा पाएं. बैरियर के समीप पहुंचते ही विस्थापित प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे. वहीं विस्थापितों के समर्थन में झामुमो के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक मंडल भी पहुंचे और विस्थापियों की मांगों का समर्थन किया.

नियोजन और उचित मुआवजा देने की मांगः इस दौरान वास्तुहारा संग्राम समिति के अध्यक्ष वासुदेव महतो ने कहा डीवीसी की स्थापना 1948 में हुई थी. उस वक्त कहा गया था कि सभी को उचित मुआवजा और नियोजन दिया जाएगा, लेकिन 75 साल पूरे होने के बावजूद अब तक ना तो विस्थापितों का नियोजन हुआ और न ही उचित मुआवजा मिला. अपनी मांगों को लेकर आज तक विस्थापित लड़ाई लड़ रहे हैं.

मुआवजे के रूप में 15 लाख देने की मांगः उन्होंने कहा कि 700 विस्थापितों की सूची तैयार की गई थी, लेकिन 45 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक विस्थापितों की मांगें पूरी नहीं हुई है. प्रबंधक की दोहरी नीति उस समय उजागर हुई, जब विस्थापितों को तीन लाख रुपए दिया गया और अनुकंपा के लोगों को एक लाख से 15 लाख तक दिया गया था. जिस की लड़ाई आज हम लोग लड़ रहे हैं.उन्होंने मांग की है कि जिन लोगों को डीवीसी द्वारा तीन लाख दिया गया था उन्हें 15 लाख रुपए दिए जाएं.

डीवीसी प्रबंधन पर लगाया टालमटोल करने का आरोपः इसको लेकर 27 फरवरी 2023 बैठक हुई थी. जिसमें प्रबंधन ने तीन माह का समय मांगा था, लेकिन अब तक उस पर निर्णय नहीं हुआ. उधर, डीवीसी सात जुलाई को अपना स्थापना दिवस मनाने की तैयारी में है, लेकिन विस्थापितों को बर्बाद कर के स्थापना दिवस मनाने नहीं दिया जाएगा. पहले हमारी मांगे डीवीसी जल्द से जल्द पूरी करे, अन्यथा हम लोगों का अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा.

झामुमो नेता ने विस्थापितों की मांगों का किया समर्थनः वही मौके पर पहुंचे झामुमो के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक मंडल ने कहा कि विस्थापितों की मांगें बहुत पहले ही पूरी हो जाती, लेकिन विस्थापितों को कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बरगला दिया. जिसका खामियाजा उन लोगों को आज भी भुगतना पड़ रहा है और अपनी हक की मांग को लेकर आज तक विस्थापित लड़ाई लड़ रहे हैं. हम प्रबंधक से यही मांग करते हैं कि विस्थापितों की मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाए. क्योंकि डीवीसी का निर्माण उनके द्वारा दी गई जमीन पर हुआ है.

धनबाद, निरसाः दामोदर वैली वास्तुहारा संग्राम समिति के बैनर तले बुधवार की सुबह समिति के अध्यक्ष वासुदेव महतो के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में विस्थापित काली पहाड़ी मोड़ से अपनी मांगों को लेकर डीवीसी मैथन स्थित प्रशासनिक भवन पहुंचे. जहां विस्थापितों ने डीवीसी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान विस्थापितों ने कहा कि जमीन हमारा-राज तुम्हारा नहीं चलेगा, हमारी मांगें पूरी करो, सीएसआर के तहत विस्थापितों को बिजली-पानी मुहैया करना होगा. इस दौरान विस्थापितों का नई सूची बनाने सहित अन्य नारे लगाए.

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विस्थापितों को रोकने के लिए सीआईएसएफ ने लगाया बैरियरः वहीं विस्थापितों को जुटता देख सीआईएसफ की ओर से प्रशासनिक भवन के समीप बैरियर लगा दिया गया था, ताकि कोई भी विस्थापित उससे आगे नहीं जा पाएं. बैरियर के समीप पहुंचते ही विस्थापित प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे. वहीं विस्थापितों के समर्थन में झामुमो के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक मंडल भी पहुंचे और विस्थापियों की मांगों का समर्थन किया.

नियोजन और उचित मुआवजा देने की मांगः इस दौरान वास्तुहारा संग्राम समिति के अध्यक्ष वासुदेव महतो ने कहा डीवीसी की स्थापना 1948 में हुई थी. उस वक्त कहा गया था कि सभी को उचित मुआवजा और नियोजन दिया जाएगा, लेकिन 75 साल पूरे होने के बावजूद अब तक ना तो विस्थापितों का नियोजन हुआ और न ही उचित मुआवजा मिला. अपनी मांगों को लेकर आज तक विस्थापित लड़ाई लड़ रहे हैं.

मुआवजे के रूप में 15 लाख देने की मांगः उन्होंने कहा कि 700 विस्थापितों की सूची तैयार की गई थी, लेकिन 45 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक विस्थापितों की मांगें पूरी नहीं हुई है. प्रबंधक की दोहरी नीति उस समय उजागर हुई, जब विस्थापितों को तीन लाख रुपए दिया गया और अनुकंपा के लोगों को एक लाख से 15 लाख तक दिया गया था. जिस की लड़ाई आज हम लोग लड़ रहे हैं.उन्होंने मांग की है कि जिन लोगों को डीवीसी द्वारा तीन लाख दिया गया था उन्हें 15 लाख रुपए दिए जाएं.

डीवीसी प्रबंधन पर लगाया टालमटोल करने का आरोपः इसको लेकर 27 फरवरी 2023 बैठक हुई थी. जिसमें प्रबंधन ने तीन माह का समय मांगा था, लेकिन अब तक उस पर निर्णय नहीं हुआ. उधर, डीवीसी सात जुलाई को अपना स्थापना दिवस मनाने की तैयारी में है, लेकिन विस्थापितों को बर्बाद कर के स्थापना दिवस मनाने नहीं दिया जाएगा. पहले हमारी मांगे डीवीसी जल्द से जल्द पूरी करे, अन्यथा हम लोगों का अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा.

झामुमो नेता ने विस्थापितों की मांगों का किया समर्थनः वही मौके पर पहुंचे झामुमो के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक मंडल ने कहा कि विस्थापितों की मांगें बहुत पहले ही पूरी हो जाती, लेकिन विस्थापितों को कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बरगला दिया. जिसका खामियाजा उन लोगों को आज भी भुगतना पड़ रहा है और अपनी हक की मांग को लेकर आज तक विस्थापित लड़ाई लड़ रहे हैं. हम प्रबंधक से यही मांग करते हैं कि विस्थापितों की मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाए. क्योंकि डीवीसी का निर्माण उनके द्वारा दी गई जमीन पर हुआ है.

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