धनबाद: ईसीएल कर्मचारी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी में जेल भेजना और फिर डायरी में तथ्यों की भूल बताना जिला पुलिस के लिए काल साबित हो रहा है. इस मामले सीआईडी जांच शुरु हो गई है. बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार के जरिए सीआईडी एडीजी को सौंपी गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी.
सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा ने बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. प्रभात कुमार ने जांच रिपोर्ट एडीजी को सौंपने के बाद उन्होंने इस रिपोर्ट को डीजीपी एमवी राव को भेजी थी. वहीं, निरसा थाना क्षेत्र के इस प्रकरण की जांच के लिए सीआईडी ने टेक ओवर कर लिया. बोकारो रेंज के सीआईडी डीएसपी अभिषेक कुमार को केस के अनुसंधान के लिए सौंपा है, जिसमें एडीजी ने इंस्पेक्टर, दारोगा और एएसआई रैंक के अधिकारियों की टीम का गठन किया है. धनबाद पहुंचकर यह टीम पूरे मामले की छानबीन करेगी.
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बता दें कि 25 अगस्त 2019 को निरसा पुलिस ने एक गाड़ी से 39 किलो गांजा बरामद किया था. इस मामले में ईसीएल कोलकर्मी को चिरंजीत घोष को गिरफ्तार कर निरसा पुलिस ने जेल भेज दिया था. 27 दिनों बाद तथ्यों की भूल बताते हुए पुलिस ने न्यायालय को डायरी सौंपी थी.
जिसके बाद चिरंजीत जेल से छूटकर बाहर आए थे. इस पूरे प्रकरण में धनबाद के तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल,एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा, निरसा के पूर्व थाना प्रभारी उमेश सिंह की भूमिका की जांच की जा रही है. डीआईजी प्रभात कुमार ने निरसा थाना प्रभारी को इस मामले में पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है. इसके साथ ही प्रभात कुमार ने एसडीपीओ को शो कॉज नोटिस भी भेजा गया था.