धनबाद: कोरोना की इस संकट की घड़ी में झारखंड में अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. पाकिस्तान से राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फसलों को तबाह करने के बाद टिड्डी दल झारखंड में प्रवेश कर चुका है. लातेहार में फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद जिला प्रशासन ने इस दिशा में रोकथाम के लिए कवायद तेज कर दी है.
टिड्डी दल के जरिए खेत, जंगल, फसल, वृक्ष पर संभावित आक्रमण से बचने के लिए उप विकास आयुक्त बालकिशन मुंडा की अध्यक्षता में टिड्डी नियंत्रण कार्य दल की एक बैठक आयोजित की गई. टिड्डी दल के संभावित हमले पर बैठक में मंथन किया गया. उप विकास आयुक्त ने कहा कि टिड्डी दल के जरिए खेत, जंगल, फसल, वृक्ष पर एक साथ आक्रमण करता है. टिड्डी का दल पूरी हरियाली को समाप्त कर देता है. इसलिए वनस्पति संरक्षण संगरोध और संग्रहण निदेशालय टिड्डी दल के मूवमेंट की जानकारी ले रहा है. उन्होंने बताया कि टिड्डी दल के लिए भूमि की नमी अंडा देने के लिए सबसे योग्य स्थान है.
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बता दें कि सूर्यास्त के बाद भी टिड्डी दल पेड़ या झाड़ी पर विश्राम करता है. इनके बैठने की जगह पर क्लोरोपाइरीफॉस 20%ईसी, क्लोरोपाइरीफॉस 50% ईसी, मैलाथियनव 50% ईसी,फेनाइट्रोथियन 50% ईसी,डेल्टामेथ्रिन 28% ईसी समेत अन्य कीटनाशक का छिड़काव से इनपर नियंत्रण किया जा सकता है. उप विकास आयुक्त ने कहा कि टिड्डी दल के हमले से बचने के लिए धुंआ करके, ढोल नगाड़े या बर्तन आदि पीटने से उत्पन्न शोर से टिड्डी दल भाग जाता है. उन्होंने कहा कि जिला कृषि पदाधिकारी से अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर किटनाशक छिड़काव के लिए सारी तैयारियां करने का निर्देश दिया है. साथ ही वनस्पति संरक्षण संगरोध और संग्रहण निदेशालय ने टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर से नियमित रूप से संपर्क रखने का निर्देश जारी किया है.