देवघर: भू-अर्जन कार्यालय की अधिसूचना संख्या 940 के तहत आरओबी निर्माण को लेकर गिरिडीह-सारठ मुख्य पथ के मधुपुर में भूमि अधिग्रण की जानी है. जिसके लिए मापी की जानी है. इस मापी का विरोध रैयत और मकान मालिकों ने किया है.
रैयतों और मकान मालिकों ने मापी से किया इनकार
करीब डेढ़ सौ वर्षों से रहे रैयतों और मकान मालिकों ने भवन निर्माण विभाग से आए कनीय अभियंता और अमीन को मापी करने से मना कर दिया. बताया जा रहा है कि जिनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, उनमें से 99 फीसदी लोगों का भरण-पोषण का एकमात्र जरिया उनके जमीन पर बने दुकान और प्रतिष्ठान ही है.
इन मुद्दों पर नहीं की गई पहल
करीब 181 घरों के उजड़ने वाले सैकड़ों लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा ? परिवारों के भरण-पोषण की जवाबदेही किसकी होगी ?, इनलोगों को कहां विस्थापित किया जाएगा ? रोजगार के नाम पर परिवार के सदस्यों को नौकरी मिलेगी या नहीं ? क्या विस्थापन नीति का पालन किया जायेगा ?
इन सभी मुद्दों पर अभी तक विभाग की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं की गई है. भवन निर्माण के कनीय अनियंता शोभाकांत ने बताया कि विभाग ने उन्हें मकान मापी के लिए भेजा था, मुआवजा संबधी कोई जानकारी नहीं है. एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मापी में आये मकान के आंशिक भाग का ही मुआवजा मिलेगा.
लोगों ने सरकारी नौकरी कि की मांग
इधर लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, गोड्डा सांसद, स्थानीय जनप्रतिनिधि समेत देवघर उपायुक्त से आरओबी निर्माण में उचित मुआवजा और विस्थापन नीति के अधीन रैयतों की जमीन का सही आंकलन करवाने समेत प्रभावित होने वाले परिवार के बेरोजगार सदस्यों को सरकारी नौकरी दिये जाने का मांग की है.