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पितृपक्ष शुरू, देवघर के शिवगंगा घाट पर तर्पण के लिए लग रही है भीड़

पितृपक्ष के मौके पर देवघर के शिवगंगा घाट पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं. पितृपक्ष के दौरान शिवगंगा घाट पर लोग 14 से 28 सितंबर तक अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और श्राद्धकर्म करेंगे.

शिवगंगा घाट पर तर्पण करते लोग
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Published : Sep 16, 2019, 4:14 PM IST

देवघर: शनिवार से ही पितृपक्ष शुरू हो गया है. जिले के शिवगंगा घाट पर ऋषि तर्पण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. 3 दिनों तक परंपरानुसार पितरों को जल देने की परंपरा 11 से 13 सितंबर तक किया गया. हिंदू धर्म में पितृपक्ष की बड़ी मान्यता है.

देखें पूरी खबर

पूर्वजों की शांति के लिए किया जाता है पिंडदान

देवघर के शिवगंगा घाट पर कुशी तर्पण किया जा रहा है. पितृपक्ष के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं और जिस दिन उनके परिजानों की मृत्यु हुई होती है, उस दिन उनका श्राद्ध करते हैं. पंडितों के अनुसार पितरों का ऋण श्राद्ध करके चुकाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि लोग पितृ तर्पण के लिए सुल्तानगंज, काशी जैसे गंगा घाट में जाकर अपने पितरों का तर्पण करते है और कुश तोड़ते हैं. इन घाटों के जितना ही शिवगंगा घाट का भी महत्व है.

हिंदू धर्म में पितृपक्ष की मान्यता

ऐसा माना जाता है कि रावण के लिए ही शिवगंगा घाट बनाया गया था. जिसे पाताल गंगा भी कहते है. शिवगंगा के दक्षिणी घाट पर पुरोहितों द्वारा तर्पण कराया जाता है. पुरोहितों की माने तो 11 से 13 सितंबर तक ऋषि तर्पण किया गया, जो भद्र पक्ष त्रियोदशि से पूर्णिमा तक किया गया. वहीं, 14 से 28 सितंबर तक पहला श्राद्ध किया जाता है जिसे पितृपक्ष कहा जाता है. जिसमे लोग तर्पण और श्राद्ध दोनों करते हैं. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंड दान भी करते है, क्योंकि सबसे बड़ा देवता पितृ को ही माना जाता है. इनके बाद ही देवी पक्ष शुरू होता है और लोग शुभ कार्य करना शुरू करते हैं.

ये भी पढ़ें:- जैश के नाम पर कराची से आई चिट्ठी, 11 स्टेशन और 6 मंदिर उड़ाने की दी धमकी

तर्पण के दौरान ही भादो शुक्ल पक्ष के अमावस्या को कुश तोड़ा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी कुश का सालभर चलने वाले मांगलिक कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसी कुश में 3 देवता विराजमान रहते है, जिसकी शुरुआत पितृ पक्ष से ही हो जाती है.

देवघर: शनिवार से ही पितृपक्ष शुरू हो गया है. जिले के शिवगंगा घाट पर ऋषि तर्पण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. 3 दिनों तक परंपरानुसार पितरों को जल देने की परंपरा 11 से 13 सितंबर तक किया गया. हिंदू धर्म में पितृपक्ष की बड़ी मान्यता है.

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पूर्वजों की शांति के लिए किया जाता है पिंडदान

देवघर के शिवगंगा घाट पर कुशी तर्पण किया जा रहा है. पितृपक्ष के दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं और जिस दिन उनके परिजानों की मृत्यु हुई होती है, उस दिन उनका श्राद्ध करते हैं. पंडितों के अनुसार पितरों का ऋण श्राद्ध करके चुकाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि लोग पितृ तर्पण के लिए सुल्तानगंज, काशी जैसे गंगा घाट में जाकर अपने पितरों का तर्पण करते है और कुश तोड़ते हैं. इन घाटों के जितना ही शिवगंगा घाट का भी महत्व है.

हिंदू धर्म में पितृपक्ष की मान्यता

ऐसा माना जाता है कि रावण के लिए ही शिवगंगा घाट बनाया गया था. जिसे पाताल गंगा भी कहते है. शिवगंगा के दक्षिणी घाट पर पुरोहितों द्वारा तर्पण कराया जाता है. पुरोहितों की माने तो 11 से 13 सितंबर तक ऋषि तर्पण किया गया, जो भद्र पक्ष त्रियोदशि से पूर्णिमा तक किया गया. वहीं, 14 से 28 सितंबर तक पहला श्राद्ध किया जाता है जिसे पितृपक्ष कहा जाता है. जिसमे लोग तर्पण और श्राद्ध दोनों करते हैं. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंड दान भी करते है, क्योंकि सबसे बड़ा देवता पितृ को ही माना जाता है. इनके बाद ही देवी पक्ष शुरू होता है और लोग शुभ कार्य करना शुरू करते हैं.

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तर्पण के दौरान ही भादो शुक्ल पक्ष के अमावस्या को कुश तोड़ा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी कुश का सालभर चलने वाले मांगलिक कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसी कुश में 3 देवता विराजमान रहते है, जिसकी शुरुआत पितृ पक्ष से ही हो जाती है.

Intro:देवघर कुशी तर्पण के लिए शिवगंगा घाट पर लोगो की भीड़,14 दिनों का रहेगा पितृ पक्ष का दिन।


Body:एंकर देवघर शिवगंगा में कुशी तर्पण किया जा रहा जो पुरोहितो द्वारा कुशी तर्पण कराया जा रहा है। कहा जाता है कि लोग पितृ तर्पण के लिए सुल्तानगंज काशी जैसे गंगा में जाकर अपने पितरों का तर्पण करते है। ओर कुश तोड़ते है। उतना ही महत्व शिवगंगा का भी है जो रावण द्वारा मुष्टि प्रहार से किया गया है जिसे पाताल गंगा भी कहते है। ओर लोग उतनी ही आस्था के साथ शिवगंगा में भी तर्पण करते है।शिवगंगा के दक्षणी घाट पर पुरोहितो द्वारा तर्पण किया जा रहा है। पुरोहितो की माने तो 11 से 13 सितंबर तक ऋषि तर्पण किया गया जो भद्र पक्ष त्रियोदसि से पूर्णिमा तक किया गया ओर 14 से 28 सितंबर तक पहला श्राद्ध शुरू होता है जिसे पित्र पक्ष कहा जाता है जिसमे लोग तर्पण ओर श्राद्ध करते है और लोग अपने पित्रो की तृप्ति के लिए तर्पण ओर पिंड दान करते है क्योंकि सबसे बड़ा देवता पित्र होते है जिसके बाद ही देवी पक्ष शुरू होता है और लोक शुभ कार्य करते है।


Conclusion:बहरहाल,तर्पण के दौरान ही भाद्र शुक्ल पक्ष अमावश्या को ही कुश तोड़ा जाता है ओर यह मान्यता है कि इसी कुश से साल भर चलने वाले मांगलिक कार्यो में इस्तमाल किया जाता है ओर ऐसा माना जाता है कि इसी कुश में तीन देवता विराजमान रहते है। जिसकी शुरुआत पित्र पक्ष से ही शुरू हो जाती है।

बाइट पंकज पंडित,पुरोहित शिवगंगा।
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