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बदहाल स्थिति में देवघर का शहीद स्मारक स्थल, खंडहर में तब्दील हुआ पार्क

देवघर में शहीद स्मारक स्थल की बदहाल स्थिति पर आज तक किसी को तरस नहीं आया. हर साल जयंती या पुण्यतिथि के मौके लोग आते हैं और शहीद दिवस मनाकर लौट जाते हैं. लेकिन आज ये पार्क शासन प्रशासन और विभागीय अनदेखी की वजह से देवघर का शहीद पार्क खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

martyr site in dilapidated condition In Deoghar
देवघर
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Published : Jun 23, 2022, 1:46 PM IST

देवघरः जिला के शहीद स्मारक स्थल की बदहाल स्थिति पर किसी को चिंता नहीं है. अनदेखी के अभाव में देवघर का शहीद पार्क खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. इन स्मारकों पर शहीद दिवस मनाकर खानापूर्ति हो रही है. राष्ट्रीय धरोहर की देखरेख भगवान भरोसे जंगल झाड़ियों से पुरानी विरासत खुद को ढंकने पर मजबूर है.

सन 1947 के सिपाही विद्रोह के दौरान अंग्रजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंककर फांसी पर लटकाए गए रोहिणी के तीन वीर बांकुरों का स्मारक स्थल आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. हर साल शहीद दिवस के अवसर पर अमानत अली, सलामत अली और शेख हारो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सरकारी रस्म अदायगी तो की जाती है. लेकिन रोहिणी पार्क स्थित इस राष्ट्रीय धरोहर की देख रेख भगवान भरोसे ही है. यही वजह है कि शहीद दिवस कार्यक्रम के बाद तीनों बलिदानियों की प्रतिमाएं धूल फांकती हुई अगले साल के इंतजार की बाट जोहती नजर आती हैं.

देखें पूरी खबर

आलम यह है कि इस पार्क के भीतर स्मारक स्थल पर बने तमाम दीवार जीर्ण शीर्ण हालत में हैं. जंगलों और झाड़ियों से पुरानी विरासत खुद को ढंकने पर मजबूर है और अस्तिव मिटने के इंतजार में है. जरूरत है तो बस एक सफल प्रयास की जो एक बार फिर इस स्मारक स्थल को गौरव गाथा को नई पीढ़ी के सामने पेश कर आजादी के इन दीवानों की कहानी सुनाएं और इतिहास के पन्नो में दर्ज इन अमर सेनानियों की दास्तान को ज़हन में जिंदा रख सकें. इसको लेकर यहां बुद्धिजीवियों और जन प्रतिनिधियों ने काफी कोशिश की. लेकिन अब तक इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए जा सके हैं.

देवघरः जिला के शहीद स्मारक स्थल की बदहाल स्थिति पर किसी को चिंता नहीं है. अनदेखी के अभाव में देवघर का शहीद पार्क खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. इन स्मारकों पर शहीद दिवस मनाकर खानापूर्ति हो रही है. राष्ट्रीय धरोहर की देखरेख भगवान भरोसे जंगल झाड़ियों से पुरानी विरासत खुद को ढंकने पर मजबूर है.

सन 1947 के सिपाही विद्रोह के दौरान अंग्रजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंककर फांसी पर लटकाए गए रोहिणी के तीन वीर बांकुरों का स्मारक स्थल आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. हर साल शहीद दिवस के अवसर पर अमानत अली, सलामत अली और शेख हारो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सरकारी रस्म अदायगी तो की जाती है. लेकिन रोहिणी पार्क स्थित इस राष्ट्रीय धरोहर की देख रेख भगवान भरोसे ही है. यही वजह है कि शहीद दिवस कार्यक्रम के बाद तीनों बलिदानियों की प्रतिमाएं धूल फांकती हुई अगले साल के इंतजार की बाट जोहती नजर आती हैं.

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आलम यह है कि इस पार्क के भीतर स्मारक स्थल पर बने तमाम दीवार जीर्ण शीर्ण हालत में हैं. जंगलों और झाड़ियों से पुरानी विरासत खुद को ढंकने पर मजबूर है और अस्तिव मिटने के इंतजार में है. जरूरत है तो बस एक सफल प्रयास की जो एक बार फिर इस स्मारक स्थल को गौरव गाथा को नई पीढ़ी के सामने पेश कर आजादी के इन दीवानों की कहानी सुनाएं और इतिहास के पन्नो में दर्ज इन अमर सेनानियों की दास्तान को ज़हन में जिंदा रख सकें. इसको लेकर यहां बुद्धिजीवियों और जन प्रतिनिधियों ने काफी कोशिश की. लेकिन अब तक इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए जा सके हैं.

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