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अधर में अटकी त्रिकुट जलाशय योजना, वर्ष 2015 में हुआ था शिलान्यास

देवघर जिले की त्रिकुट जलाशय योजना वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच अधर में लटकी हुई है. इसके बीच अब DRDO को पानी उपलब्ध कराने की योजना चलाई जा रही है.

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त्रिकुट जलाशय योजना
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Published : Jan 11, 2021, 5:45 PM IST

देवघर: जिले में सिंचाई के साथ DRDO को पानी उपलब्ध कराने के लिए त्रिकुट जलाशय योजना स्वीकृत की गई है. साल 2015 में इस योजना का शिलान्यास किया गया था, लेकिन तब से वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच यह योजना अधर में लटकी हुई है. योजना से DRDO के पानी की जरूरत को देखते हुए अब जिला प्रशासन की तरफ से दोनों विभाग को समन्वय स्थापित कर योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया गया है.

देखें स्पेशल खबर
वृहत जलाशय के निर्माण का निर्णयजिले के त्रिकुट पर्वत स्थित झरने से निकलने वाला पानी को रोककर त्रिकुट के समीप एक वृहत जलाशय के निर्माण का निर्णय लिया गया. इस जलाशय से सिंचाई के साथ DRDO के पानी की जरूरत पूरी करने का फैसला किया गया. योजना का शिलान्यास 2015 में ही हुआ, लेकिन तब से यह अधर में लटकी हुई है. दरअसल, इस योजना के लिए लगभग 58 एकड़ वन भूमि का अधिग्रहण होना है. वन विभाग के अनुसार उनकी तरफ से फारेस्ट क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जल संसाधन विभाग से कई बार पत्राचार किया जा चुका है. उधर जल संसाधन विभग की मानें तो योजना का DPR बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सब कुछ ठीक रहा तो एक से डेढ़ साल में योजना पूरी हो जाएगी.इसे भी पढ़ें-लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि, कई मंत्री-नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

योजना को जल्द पूरा करने का निर्देश
त्रिकुट जलाशय योजना दोनों ही विभागों के टालमटोल के बीच DRDO की तरफ से लगातार पत्राचार कर उनके पानी की जरूरत जल्द से जल्द पूरी करने का आग्रह किया जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने दोनों विभागों को समन्वय बनाकर योजना को जल्द से पूरी करने का निर्देश जारी किया है. उपायुक्त ने जल संसाधन विभाग से योजना की अधतन रिपोर्ट तलब की है.

280 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा
इस सिंचाई परियोजना का उद्द्येश्य आस-पास के तकरीबन 280 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का है. साथ ही प्राथमिकता के आधार पर DRDO को उनकी जरूरत भर पानी उपलब्ध कराना है.

देवघर: जिले में सिंचाई के साथ DRDO को पानी उपलब्ध कराने के लिए त्रिकुट जलाशय योजना स्वीकृत की गई है. साल 2015 में इस योजना का शिलान्यास किया गया था, लेकिन तब से वन विभाग और सिंचाई विभाग के बीच यह योजना अधर में लटकी हुई है. योजना से DRDO के पानी की जरूरत को देखते हुए अब जिला प्रशासन की तरफ से दोनों विभाग को समन्वय स्थापित कर योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश जारी किया गया है.

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वृहत जलाशय के निर्माण का निर्णयजिले के त्रिकुट पर्वत स्थित झरने से निकलने वाला पानी को रोककर त्रिकुट के समीप एक वृहत जलाशय के निर्माण का निर्णय लिया गया. इस जलाशय से सिंचाई के साथ DRDO के पानी की जरूरत पूरी करने का फैसला किया गया. योजना का शिलान्यास 2015 में ही हुआ, लेकिन तब से यह अधर में लटकी हुई है. दरअसल, इस योजना के लिए लगभग 58 एकड़ वन भूमि का अधिग्रहण होना है. वन विभाग के अनुसार उनकी तरफ से फारेस्ट क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जल संसाधन विभाग से कई बार पत्राचार किया जा चुका है. उधर जल संसाधन विभग की मानें तो योजना का DPR बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सब कुछ ठीक रहा तो एक से डेढ़ साल में योजना पूरी हो जाएगी.इसे भी पढ़ें-लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि, कई मंत्री-नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

योजना को जल्द पूरा करने का निर्देश
त्रिकुट जलाशय योजना दोनों ही विभागों के टालमटोल के बीच DRDO की तरफ से लगातार पत्राचार कर उनके पानी की जरूरत जल्द से जल्द पूरी करने का आग्रह किया जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जिला प्रशासन ने दोनों विभागों को समन्वय बनाकर योजना को जल्द से पूरी करने का निर्देश जारी किया है. उपायुक्त ने जल संसाधन विभाग से योजना की अधतन रिपोर्ट तलब की है.

280 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा
इस सिंचाई परियोजना का उद्द्येश्य आस-पास के तकरीबन 280 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का है. साथ ही प्राथमिकता के आधार पर DRDO को उनकी जरूरत भर पानी उपलब्ध कराना है.

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