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सवर्ण जाति तय करती है देवघर में जीत, जानिए क्या है इस विधानसभा का समीकरण

देवघर में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी की तैयारी जोरों पर है. यह सीट झारखंड के सुरक्षित सीटों में से एक है. जानकारों का मामना है कि करीब साढ़े तीन लाख की आबादी वाले इस सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से हावी रहा है.

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Published : Sep 6, 2019, 6:30 PM IST

देवघरः झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हुई सुगबुगाहट के साथ ही तमाम सियासी पार्टियां अपने नफा नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई हैं. इन सबके बीच सभी पार्टी देवघर में जातिय समीकरण को अपने पक्ष में करने में जुट गई हैं.

देखें पूरी खबर

देवघर विधानसभा सीट सुरक्षित है
सूबे में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने की उम्मीद है. देवघर सीट पर उम्मीदवारी को लेकर कभी भी तनावपूर्ण हालात नहीं बने इसका एक फायदा यह भी रहा है की, जिस किसी पार्टी ने इस सीट से जीत का परचम लहराया है वह सर्वमान्य रहा है. हालांकि, चुनाव के वक्त तमाम पार्टियां इस सीट पर कब्जे को लेकर अपना दावा पेश करती आई हैं, लेकिन जिस किसी ने जीत हासिल की है क्षेत्र की जनता ने उसे गले लगाया है. यहां अकसर दो उम्मीदवार के बीच जीत-हार की अंतर मामूली रहा है. सबसे खास बात यह है कि देवघर विधानसभा सीट पर अबतक मुद्दों के आधार पर किसी भी प्रत्याशी ने जीत दर्ज नही की है, बल्कि यहां हमेशा उम्मीदवार के चेहरे या फिर पार्टी की बदौलत जीत हासिल की है.

यह भी पढ़ें- मंत्री नीरा यादव ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां, कहा- देवघर में जल्द खुलेगा संस्कृत विश्वविद्यालय

क्या है देवघर की जातीय समीकरण
देवघर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 55 हजार 497 वोटर हैं, लेकिन कुछ ऐसी जातियां हैं जिनका वोट चुनाव के नतीजों को हमेशा से प्रभावित करते आया है. इसे समझने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि किस जाति के कितने वोटर हैं. इस फेहरिस्त में पहले पायदान पर है यादव जाति के मतदाता जिनकी जनसंख्या लगभग 80 हजार है. दूसरे पायदान पर है ब्राह्मण और वैश्य दोनों जातियों के करीब 60-60हजार वोटर हैं, अल्पसंख्यक 40 हजार, भूमिहार 40 हजार, हरिजन 40 हजार, आदिवासी 10 हजार और अन्य जातियों के 25 हजार 497 मतदाता हैं. संख्याबल में सबसे अधिक होने के बावजूद यादव मतदाता वोटिंग में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. लिहाजा इसका सवर्ण वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. सवर्णों का वोट एकतरफा जिस पार्टी को मिलता है, उसी के सिर पर देवघर विधानसभा सीट का सेहरा सजता है.

देवघरः झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हुई सुगबुगाहट के साथ ही तमाम सियासी पार्टियां अपने नफा नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई हैं. इन सबके बीच सभी पार्टी देवघर में जातिय समीकरण को अपने पक्ष में करने में जुट गई हैं.

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देवघर विधानसभा सीट सुरक्षित है
सूबे में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने की उम्मीद है. देवघर सीट पर उम्मीदवारी को लेकर कभी भी तनावपूर्ण हालात नहीं बने इसका एक फायदा यह भी रहा है की, जिस किसी पार्टी ने इस सीट से जीत का परचम लहराया है वह सर्वमान्य रहा है. हालांकि, चुनाव के वक्त तमाम पार्टियां इस सीट पर कब्जे को लेकर अपना दावा पेश करती आई हैं, लेकिन जिस किसी ने जीत हासिल की है क्षेत्र की जनता ने उसे गले लगाया है. यहां अकसर दो उम्मीदवार के बीच जीत-हार की अंतर मामूली रहा है. सबसे खास बात यह है कि देवघर विधानसभा सीट पर अबतक मुद्दों के आधार पर किसी भी प्रत्याशी ने जीत दर्ज नही की है, बल्कि यहां हमेशा उम्मीदवार के चेहरे या फिर पार्टी की बदौलत जीत हासिल की है.

यह भी पढ़ें- मंत्री नीरा यादव ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां, कहा- देवघर में जल्द खुलेगा संस्कृत विश्वविद्यालय

क्या है देवघर की जातीय समीकरण
देवघर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 55 हजार 497 वोटर हैं, लेकिन कुछ ऐसी जातियां हैं जिनका वोट चुनाव के नतीजों को हमेशा से प्रभावित करते आया है. इसे समझने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि किस जाति के कितने वोटर हैं. इस फेहरिस्त में पहले पायदान पर है यादव जाति के मतदाता जिनकी जनसंख्या लगभग 80 हजार है. दूसरे पायदान पर है ब्राह्मण और वैश्य दोनों जातियों के करीब 60-60हजार वोटर हैं, अल्पसंख्यक 40 हजार, भूमिहार 40 हजार, हरिजन 40 हजार, आदिवासी 10 हजार और अन्य जातियों के 25 हजार 497 मतदाता हैं. संख्याबल में सबसे अधिक होने के बावजूद यादव मतदाता वोटिंग में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. लिहाजा इसका सवर्ण वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. सवर्णों का वोट एकतरफा जिस पार्टी को मिलता है, उसी के सिर पर देवघर विधानसभा सीट का सेहरा सजता है.

Intro:देवघर ... तो ये बिगाड़ सकते है देवघर विधानसभा सीट का समीकरण!,प्रभावित हो सकते है नतीजे।


Body:एंकर देवघर झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हुई सुगबुगाहट के साथ ही तमाम सियासी पार्टियां अपने नफा नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई है। इतना ही नही कुछ राजनीतिक दलों ने अपनी जमीन तैयार करने की खातिर अभी से ही कवायद तेज कर दी है। वैसे तो सूबे में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने की उम्मीद है लेकिन,चुनाव आयोग की तरफ से तारीखों का एलान के बाद ही तस्वीर भी साफ हो पाएगी। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे है देवघर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण के बारे में ओर जानेगे उन पहलुओ को जो वोटरों के रुख को प्रभावित कर सकते है। सबसे पहले समझने की कोशीश करते है कि, क्या है देवघर विधानसभा सीट का समीकरण?. झारखंड की देवघर विधानसभा सीट सुरक्षित है। लिहाजा,इस सीट पर उम्मीदवारी को लेकर कभी भी तनावपूर्ण हालात नही बने इसका एक फायदा यह भी रहा है की,जिस किसी पार्टी ने इस सीट से जीत का परचम लहराया है वह सर्वमान्य रहा है। हालांकि,चुनाव के वक्त तमाम पार्टिया इस सीट पर कब्जे को लेकर अपना दावा पेश करती आई है लेकिन,जिस किसी ने जीत हासिल की है क्षेत्र की जनता ने उसे गले लगाया है। आपको बता दें कि,देवघर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 55 हजार 4 सौ 97 वोटर लगभग है जिसमे जीत हार का अंतर हमेशा से मामूली रहा है । सबसे खास बात यह है कि,देवघर विधानसभा सीट पर अबतक मुद्दों के आधार पर किसी भी प्रत्याशी ने जीत दर्ज नही की है बल्कि, यहां हमेशा उम्मीदवार ओर पार्टी ने जीत हासिल की है।


Conclusion:बहरहाल,देवघर विधानसभा क्षेत्र में वैसे तो लगभग कुल 3 लाख 55 हजार 4 सौ 97 वोटर है लेकिन,कुछ ऐसी भी जातियां है जिनका रुख चुनाव के नतीजों को हमेशा से प्रभावित करते आया है इसे समझने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि,किस जाति के कितने वोटर है। तो इस फेहरिस्त में पहले पायदान पर है यादव जाती के मतदाता जिनकी कुल लगभग संख्या 80 हजार है । दूसरे पायदान पर है ब्राह्मण और वैश्य दोनो से 60-60हजार के करीब वोटर है जबकि,अल्पसंख्यक 40 हजार,भूमिहार 40 हजार,हरिजन 40 हजार,आदिवासी 10 हजार,ओर अन्य जातियो के 25 हजार 4 सौ 97 मतदाता लगभग का ट्रेंड यह बतलाती है कि,संख्याबल में सबसे अधिक होने के बावजूद यादव मतदाता वोटिंग में कुछ खास दिलचस्पी नही दिखलाते हैं लिहाजा,इसका फायदा स्वर्ण वोटरों को मिलता है इन स्वर्ण जातियो का वोट एक मुश्त जिस किसी भी पार्टी को मिलता है उसी के सर पर देवघर विधानसभा सीट का सेहरा सजता है।

बाइट तारकेश्वर सिंह,जेपी आंदोलनकारी,ओर सोसलीस्ट पार्टी इंडिया,वाइस प्रेसिडेंट।

बाइट बालेश्वर सिंह,बार एसोसिएशन अध्यक्ष।
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