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SPECIAL: लॉकडाउन में भूखमरी की कगार पर लोहार, जानिए इनकी दास्तान - देवघर में लोहार की दास्तान

लॉकडाउन में लगभग सभी बाजार बंद पड़े हुए हैं, जिसकी सबसे अधिक मार रोजाना कमाने खाने वालों पर पड़ा है. देवघर के भी पतारडीह गांव के 70 लोहार परिवारों का व्यापार बंद होने से वो भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
लॉकडाउन में भूखमरी के कगार पर लोहार कारीगर
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Published : Apr 23, 2020, 7:59 PM IST

देवघर: जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर बसा पतारडीह गांव जहां लगभग 70 लोहार परिवार रहते हैं. वो भी लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. गांव के लोहार जहां रोजाना हस्तनिर्मित लोहे का बर्तन बनाकर अपना जीविका चला रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से उनके बनाए गए बर्तन भी नहीं बिक रहे हैं, जिसके कारण उन्हें खाने के लाले पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

वैश्विक महामारी कोरोना से इन लोहार परिवारों पर कहर सा टूट पड़ा है. सभी परिवार घर में लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. सभी का काम काज ठप्प पड़ा हुआ है. वो लोग अब भुखमरी की कगार पर हैं. इस लॉकडाउन में उन्हें महाजन भी मदद नहीं कर रहे हैं.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
थम गया है लोहारों का औजार

लोहारों की मानें तो अब वो भुखमरी के कगार पर हैं. सरकार से जो अनाज मिलता है वह ठीक से 15 दिन भी घर में नहीं चलता है. उनका कहना है कि महाजनों ने कारोबार के लिए जो पूंजी दिया था वो भी लॉकडाउन में खर्च हो गया है, अब महाजन भी मदद करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में अब लोहार परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
नहीं बिक रहे लोहारों का बर्तन

कारीगर बताते हैं कि इन दिनों सभी लोहार कारीगर श्रावणी महीने की तैयारी में जुट जाते थे, मेले में लोहे का कढ़ाई सहित अन्य सामग्री बनाकर बेचे जाते थे, जिससे अच्छी आमदनी होती थी उसके लिए रखे जमा पूंजी भी खत्म हो गया है. ऐसे में अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
लोहार का धंधा हुआ मंदा

इसे भी पढ़ें:- कोरोना का खौफः देवघर में बाइक सवार युवकों ने सड़कों पर फेंके नोट, लोगों में दहशत

कैमरे पर कुछ बोलने से बचते रहे अंचल अधिकारी

ऐसे में अब इन लोहारों के पास बस एक ही उम्मीद बची है कि सरकार कुछ मदद करे, ताकि दोबारा अपना कारोबार शुरू कर सक सके. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इसे लेकर अंचल अधिकारी से बात करना चाहा तो उन्होंने कैमरा से बचते हुए कहा कि उन सभी जरूरतमंदों को तत्काल खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिसको चिन्हित करने के लिए स्थानीय मुखिया को निर्देश दिया जा रहा है और जल्द ही उन्हें खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दिया जाएगा.

देश-विदेशों में जाते हैं हस्तनिर्मित बर्तन

पतारडीह में बने हस्तनिर्मित लोहे का बर्तन देश विदेशों में भी फेमस है. जिन कारीगरों का हाथ अभी कोरोना को लेकर थम गया है. ये कारीगर आफत की घड़ी में लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं, लेकिन इनके सामने खाने-पीने से लेकर आगे की कारोबार पर गरीबी के बादल मंडराने लगे हैं.

देवघर: जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर बसा पतारडीह गांव जहां लगभग 70 लोहार परिवार रहते हैं. वो भी लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. गांव के लोहार जहां रोजाना हस्तनिर्मित लोहे का बर्तन बनाकर अपना जीविका चला रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से उनके बनाए गए बर्तन भी नहीं बिक रहे हैं, जिसके कारण उन्हें खाने के लाले पड़ रहा है.

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वैश्विक महामारी कोरोना से इन लोहार परिवारों पर कहर सा टूट पड़ा है. सभी परिवार घर में लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. सभी का काम काज ठप्प पड़ा हुआ है. वो लोग अब भुखमरी की कगार पर हैं. इस लॉकडाउन में उन्हें महाजन भी मदद नहीं कर रहे हैं.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
थम गया है लोहारों का औजार

लोहारों की मानें तो अब वो भुखमरी के कगार पर हैं. सरकार से जो अनाज मिलता है वह ठीक से 15 दिन भी घर में नहीं चलता है. उनका कहना है कि महाजनों ने कारोबार के लिए जो पूंजी दिया था वो भी लॉकडाउन में खर्च हो गया है, अब महाजन भी मदद करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में अब लोहार परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.

Blacksmith artisans on brink of starvation due to lockdown
नहीं बिक रहे लोहारों का बर्तन

कारीगर बताते हैं कि इन दिनों सभी लोहार कारीगर श्रावणी महीने की तैयारी में जुट जाते थे, मेले में लोहे का कढ़ाई सहित अन्य सामग्री बनाकर बेचे जाते थे, जिससे अच्छी आमदनी होती थी उसके लिए रखे जमा पूंजी भी खत्म हो गया है. ऐसे में अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है.

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कैमरे पर कुछ बोलने से बचते रहे अंचल अधिकारी

ऐसे में अब इन लोहारों के पास बस एक ही उम्मीद बची है कि सरकार कुछ मदद करे, ताकि दोबारा अपना कारोबार शुरू कर सक सके. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इसे लेकर अंचल अधिकारी से बात करना चाहा तो उन्होंने कैमरा से बचते हुए कहा कि उन सभी जरूरतमंदों को तत्काल खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिसको चिन्हित करने के लिए स्थानीय मुखिया को निर्देश दिया जा रहा है और जल्द ही उन्हें खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दिया जाएगा.

देश-विदेशों में जाते हैं हस्तनिर्मित बर्तन

पतारडीह में बने हस्तनिर्मित लोहे का बर्तन देश विदेशों में भी फेमस है. जिन कारीगरों का हाथ अभी कोरोना को लेकर थम गया है. ये कारीगर आफत की घड़ी में लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं, लेकिन इनके सामने खाने-पीने से लेकर आगे की कारोबार पर गरीबी के बादल मंडराने लगे हैं.

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