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खुशियां गेंदा फूलः अफीम की गंध नहीं गेंदा फूल से महका महिलाओं का जीवन - अफीम की खेती

अफीम के लिए बदनाम चतरा आज गेंदा फूल की खुश्बू फैला रहा है. यहां का महिलाएं इन फूलों की खेती कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. साथ ही लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रही हैं.

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गेंदा फूल की खेती
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Published : Feb 16, 2021, 2:00 AM IST

Updated : Feb 16, 2021, 10:45 PM IST

चतरा: चुनावी सभा हो या कोई मांगलिक समारोह, फूल माला सब की पहली जरूरत होती है. चतरा में जहां नक्सलियों का बोलबाला है, नक्सल और सुदूर इलाकों के ग्रामीणों को अफीम माफिया बहला-फुसलाकर लंबे समय से अफीम की खेती करवाते रहे हैं. अब यहां की महिलाएं नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम कर गेंदा फूल की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- चतरा: मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने किया श्रम विभाग के कैलेंडर का विमोचन, कहा- राजकीय महोत्सव के लिए सरकार करेगी पहल

आत्मनिर्भर हो रही है महिलाएं

गेंदा फूल की खेती करने से ना किसानों को पुलिस का डर और ना ही खरीदने वालों को किसी चीज का डर रहता है. किसान बेखौफ होकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. महिलाओं को देख अफीम की खेती करने वाले किसान भी उनसे प्रेरणा लेकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. अफीम उगाने वाली महिलाएं कैमरे पर पहले की तरह बातें बताने से कतरा रही है, अब उन्होंने अफीम की खेती को बाय-बाय कर गेंदा फूल की खेती शुरू कर दी है. जिला का गरीब से ग्रसित सिमरिया अनुमंडल के शीला गांव आज फूलों की खेती की वजह से फूलों की तरह खिल रहा है. फूलों की खेती से जुड़कर यह किसान सिर्फ आर्थिक मजबूत हो रहे हैं बल्कि फूल की खेती की वजह से अपनी अलग पहचान बनाने में सफल भी हो रहे हैं.

खेती को लेकर महिलाओं में जुनून

खुशी की बात यह है कि इस गांव की महिलाएं फूल की खेती कर पुरुषों से आगे निकल गई हैं. इस गांव की महिलाएं फूलों की खेती को लेकर काफी जुनून है. इस कारण छोटा सा गांव आज उत्पादक के साथ नियार्तक बन चुका है. सखी मंडल की महिलाएं गेंदा फूल की खेती में किस्मत आजमा रही हैं. वैकल्पिक आजीविका के रूप में पचास से अधिक महिलाएं इसकी खेती कर रही हैं. उनके लिए बाजार जेएसएलपीएस उपलब्ध करा रहा है.

इसे भी पढ़ें- पर्यटकों के लिए स्वर्ग है चतरा का तमासीन जलप्रपात, जंगलों के बीच छिपा है अद्भुत नजारा

कई इलाकों में हो रहा निर्यात

गेंदा फूल की खेती सिमरिया, कुंदा, प्रतापपुर समेत अन्य प्रखंडों में की जा रही है. सिमरिया प्रखंड के बनासाड़ी, बंगेद, शिला, टुटीलावा एवं चोपे गांव में लगभग तीस हजार गेंदा फूल के पौधे 15 महिलाओं की ओर से लगाए गए हैं. इन पौधों से निकलने वाले अच्छे किस्म के गेंदा फूल की काफी मांग है, साथ ही इसकी सुंदरता भी देखते बनती है. शादी-ब्याह समेत अन्य कार्यों में इसकी बिक्री की जा रही. यहां से उत्पादित फूल हजारीबाग समेत अन्य जिलों में भेजे जा रहे है. इतना ही नहीं जेएसएलपीएस की सखी मंडल की दीदीयों की ओर से फूल की माला भी तैयार करके बेची जाती है. इससे प्राप्त होने वाली राशि की सहायता से महिलाओं को आजीविका चलाने में काफी सहयोग मिल रहा है, गेंदा फूल की खेती कर बेहद खुश हैं.

चतरा: चुनावी सभा हो या कोई मांगलिक समारोह, फूल माला सब की पहली जरूरत होती है. चतरा में जहां नक्सलियों का बोलबाला है, नक्सल और सुदूर इलाकों के ग्रामीणों को अफीम माफिया बहला-फुसलाकर लंबे समय से अफीम की खेती करवाते रहे हैं. अब यहां की महिलाएं नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम कर गेंदा फूल की खेती कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

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आत्मनिर्भर हो रही है महिलाएं

गेंदा फूल की खेती करने से ना किसानों को पुलिस का डर और ना ही खरीदने वालों को किसी चीज का डर रहता है. किसान बेखौफ होकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. महिलाओं को देख अफीम की खेती करने वाले किसान भी उनसे प्रेरणा लेकर गेंदा की खेती कर रहे हैं. अफीम उगाने वाली महिलाएं कैमरे पर पहले की तरह बातें बताने से कतरा रही है, अब उन्होंने अफीम की खेती को बाय-बाय कर गेंदा फूल की खेती शुरू कर दी है. जिला का गरीब से ग्रसित सिमरिया अनुमंडल के शीला गांव आज फूलों की खेती की वजह से फूलों की तरह खिल रहा है. फूलों की खेती से जुड़कर यह किसान सिर्फ आर्थिक मजबूत हो रहे हैं बल्कि फूल की खेती की वजह से अपनी अलग पहचान बनाने में सफल भी हो रहे हैं.

खेती को लेकर महिलाओं में जुनून

खुशी की बात यह है कि इस गांव की महिलाएं फूल की खेती कर पुरुषों से आगे निकल गई हैं. इस गांव की महिलाएं फूलों की खेती को लेकर काफी जुनून है. इस कारण छोटा सा गांव आज उत्पादक के साथ नियार्तक बन चुका है. सखी मंडल की महिलाएं गेंदा फूल की खेती में किस्मत आजमा रही हैं. वैकल्पिक आजीविका के रूप में पचास से अधिक महिलाएं इसकी खेती कर रही हैं. उनके लिए बाजार जेएसएलपीएस उपलब्ध करा रहा है.

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गेंदा फूल की खेती सिमरिया, कुंदा, प्रतापपुर समेत अन्य प्रखंडों में की जा रही है. सिमरिया प्रखंड के बनासाड़ी, बंगेद, शिला, टुटीलावा एवं चोपे गांव में लगभग तीस हजार गेंदा फूल के पौधे 15 महिलाओं की ओर से लगाए गए हैं. इन पौधों से निकलने वाले अच्छे किस्म के गेंदा फूल की काफी मांग है, साथ ही इसकी सुंदरता भी देखते बनती है. शादी-ब्याह समेत अन्य कार्यों में इसकी बिक्री की जा रही. यहां से उत्पादित फूल हजारीबाग समेत अन्य जिलों में भेजे जा रहे है. इतना ही नहीं जेएसएलपीएस की सखी मंडल की दीदीयों की ओर से फूल की माला भी तैयार करके बेची जाती है. इससे प्राप्त होने वाली राशि की सहायता से महिलाओं को आजीविका चलाने में काफी सहयोग मिल रहा है, गेंदा फूल की खेती कर बेहद खुश हैं.

Last Updated : Feb 16, 2021, 10:45 PM IST
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