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अंधविश्वास के जाल में जकड़ा है चतरा का एक गांव, भूत के डर से नहीं हो रही धान की कटाई - Chatra news

चतरा का पितीज गांव आज भी अंधविश्वास और डर के साए में जी रहा है. यहां भूत के डर से धान की कटाई नहीं हो रही. धान की फसल खेतों में ही सड़ने लगी है, लेकिन गांव वालों की सोच पर अंधविश्वास इस तरह हावी है कि लोग फसल का नुकसान तक झेलने को तैयार हैं. पढ़ें पूरी खबर..

pitij village of Chatra
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Published : Jan 1, 2021, 7:17 PM IST

चतराः जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर पितीज गांव के लोग एक अजीब से डर के साये में जी रहा है. इस गांव के लोग आज अंधविश्वास के जाल में जकड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि आज के डिजिटल युग में भी यहां के लोग भूत-प्रेत के डर से खेतों में लगे धान की कटाई नहीं कर रहे हैं और धान खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ दिया है. गांव वालों की माने तो धान की कटाई करने से गांव पर विपत्ति आ जाएगी.

देखें पूरी खबर

पितीज गांव के रहने वाले संजय यादव ने बताया कि यहां गांवाट का बहुत असर है. गांव का मालिक पूजा नहीं करता है तो अनिष्ट की आशंका रहती है. एक बार गांवाट (पूजारी) ने पूजा नहीं की थी, तो यहां के लोगों ने भूत के डर से खेती नहीं की. खेमलाल यादव ने बताया कि यहां धान कटाई करने से पहले लोग गांव के मालिक से ग्राम देवता की पूजा कराते हैं. आशंका रहती है कि अगर गांव के मालिक ने पूजा नहीं की तो धान कटाई करने से कोई बड़ी घटना घट सकती है. अनहोनी के खौफ से यहां के लोगों ने धान खेतों में ही बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया है. प्रकाश कुमार ने बताया कि जब तक गांव के मालिक की ओर से ग्राम देवता और कुल देवता की पूजा विधि-विधान से नहीं की जाती है, तब तक यहां धान की कटाई नहीं हो सकती है.

ये भी पढ़ें-गिरिडीह: 2020 में क्राइम पर हुआ वार, 2021 में नक्सलवाद खात्मे पर योजना तैयार

बगैर गांव के मालिक की सहमति से घर में एक छटाक भर खेतों से अनाज नहीं आएगा. ग्रामीणों के अनुसार गांवाट की सहमति के बिना किसी भी प्रकार के शुभ कार्य और खेतीबाड़ी का काम होता है तो बड़ी आपदा गांव पर आन पड़ती है. अंधविश्वास है कि अगर गांव के मालिक जब तक खेतों में जाकर पूजा-अर्चना नहीं करते हैं, तब तक धान की कटाई नहीं की जा सकती. ग्रामीणों का मानना है की धान की कटाई करने से इस गांव का भूत उनका कुछ ना कुछ बुरा जरूर करेगा.

दरअसल, इस गांव में जय गुरुदेव के मानने वाले और स्थानीय लोगों के बीच एकता नहीं रहने से कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा नहीं हो पा रही है, जिसके कारण अब कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा के बगैर यहां धान की कटाई नहीं की जा सकेगी. गांव में स्थिति यह बनी हुई है कि अगर कोई खेतों से धान काटकर अपने घर ले जाता है तो भूत भी उसके घर जाकर कुछ ना कुछ अशुभ कार्य कर देगा. क्योंकि अंधविश्वास इस कदर हावी है कि अगर धान की कटाई की जाए तो कोई विपत्ति गांव पर जरूर आ जाएगी. ग्रामीण गांव में भूत के भय से इस कदर भयभीत है कि वे उस अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और ना ही उन्हें इस अंधविश्वास से बाहर निकालने के लिए सरकार या किसी संस्था की ओर से ही कोई पहल की जा रही है.

चतरा में इस तरह के अंधविश्वास की बातें कोई नई नहीं है. इससे पहले भी जिले के पशहंग गांव में भूत के डर से 3 साल तक खेती नहीं हुई थी. वहीं, लोक प्रेरणा केंद्र की सदस्य अनीता मिश्रा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पितीज गांव के लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं, उन्होंने कहा कि वहां के लोगों के बीज अंधविश्वास के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाकर जल्द ही धान की कटाई की जाएगी.

चतराः जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर पितीज गांव के लोग एक अजीब से डर के साये में जी रहा है. इस गांव के लोग आज अंधविश्वास के जाल में जकड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि आज के डिजिटल युग में भी यहां के लोग भूत-प्रेत के डर से खेतों में लगे धान की कटाई नहीं कर रहे हैं और धान खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ दिया है. गांव वालों की माने तो धान की कटाई करने से गांव पर विपत्ति आ जाएगी.

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पितीज गांव के रहने वाले संजय यादव ने बताया कि यहां गांवाट का बहुत असर है. गांव का मालिक पूजा नहीं करता है तो अनिष्ट की आशंका रहती है. एक बार गांवाट (पूजारी) ने पूजा नहीं की थी, तो यहां के लोगों ने भूत के डर से खेती नहीं की. खेमलाल यादव ने बताया कि यहां धान कटाई करने से पहले लोग गांव के मालिक से ग्राम देवता की पूजा कराते हैं. आशंका रहती है कि अगर गांव के मालिक ने पूजा नहीं की तो धान कटाई करने से कोई बड़ी घटना घट सकती है. अनहोनी के खौफ से यहां के लोगों ने धान खेतों में ही बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया है. प्रकाश कुमार ने बताया कि जब तक गांव के मालिक की ओर से ग्राम देवता और कुल देवता की पूजा विधि-विधान से नहीं की जाती है, तब तक यहां धान की कटाई नहीं हो सकती है.

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बगैर गांव के मालिक की सहमति से घर में एक छटाक भर खेतों से अनाज नहीं आएगा. ग्रामीणों के अनुसार गांवाट की सहमति के बिना किसी भी प्रकार के शुभ कार्य और खेतीबाड़ी का काम होता है तो बड़ी आपदा गांव पर आन पड़ती है. अंधविश्वास है कि अगर गांव के मालिक जब तक खेतों में जाकर पूजा-अर्चना नहीं करते हैं, तब तक धान की कटाई नहीं की जा सकती. ग्रामीणों का मानना है की धान की कटाई करने से इस गांव का भूत उनका कुछ ना कुछ बुरा जरूर करेगा.

दरअसल, इस गांव में जय गुरुदेव के मानने वाले और स्थानीय लोगों के बीच एकता नहीं रहने से कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा नहीं हो पा रही है, जिसके कारण अब कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा के बगैर यहां धान की कटाई नहीं की जा सकेगी. गांव में स्थिति यह बनी हुई है कि अगर कोई खेतों से धान काटकर अपने घर ले जाता है तो भूत भी उसके घर जाकर कुछ ना कुछ अशुभ कार्य कर देगा. क्योंकि अंधविश्वास इस कदर हावी है कि अगर धान की कटाई की जाए तो कोई विपत्ति गांव पर जरूर आ जाएगी. ग्रामीण गांव में भूत के भय से इस कदर भयभीत है कि वे उस अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और ना ही उन्हें इस अंधविश्वास से बाहर निकालने के लिए सरकार या किसी संस्था की ओर से ही कोई पहल की जा रही है.

चतरा में इस तरह के अंधविश्वास की बातें कोई नई नहीं है. इससे पहले भी जिले के पशहंग गांव में भूत के डर से 3 साल तक खेती नहीं हुई थी. वहीं, लोक प्रेरणा केंद्र की सदस्य अनीता मिश्रा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पितीज गांव के लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं, उन्होंने कहा कि वहां के लोगों के बीज अंधविश्वास के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाकर जल्द ही धान की कटाई की जाएगी.

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