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लॉकडाउन के कारण कुम्हारों को हो रहा नुकसान, बिक्री हुई ठप, खाने-पीने के पड़े लाले

चतरा में हजारों की संख्या में कुम्हार परिवार रहते हैं. वो भी लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. गांव के कुम्हार जहां रोजाना मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चला रहे थे, आज लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से उनके बनाए गए मिट्टी के बर्तन भी नहीं बिक रहे हैं. जिसके कारण उन्हें खाने के लाले पड़ रहा है.

potters face financial crises
लॉकडाउन के कारण कुम्हारों को परेशानी
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Published : Apr 29, 2020, 5:24 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 8:28 PM IST

चतरा: लॉकडाउन से कुम्हार भारी परेशानी झेल रहे हैं. चतरा में हजारों की संख्या में कुम्हार परिवार रहते हैं. वो भी लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. गांव के कुम्हार जहां रोजाना मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन अब लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से उनके बनाए गए मिट्टी के बर्तन नहीं बिक रहे हैं. जिसके कारण उन्हें खाने के लाले पड़ रहा हैं.

लॉकडाउन के कारण कुम्हारों को परेशानी

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप

वैश्विक महामारी कोरोना से कुम्हार परिवारों पर कहर सा टूट पड़ा है. जिले में कुम्हार मिट्टी के बर्तनों को बनाने में लगे थे और इसे बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन से सभी का कामकाज ठप पड़ा हुआ है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसी कारण इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री भी नहीं हो रही है.

लॉकडाउन से कुम्हारों को काफी नुकसान

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके बनाए हुए मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे उनकी स्थिती दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कुम्हारों ने अपनी पीड़ा ईटीवी भारत से जाहिर करते हो कहा कि सरकार से जो अनाज मिलता है वह ठीक से 15 दिन भी घर में नहीं चलता है. गर्मी आने से पहले ही मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट जाते हैं और इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से एक महीने से उनके बर्तन जस के तस पड़े हुए हैं. कोई ग्राहक इसे खरीदने के लिए नहीं आ रहा है.

पढ़ें:- ईटीवी भारत की खबर का असर: 100 वर्षीय महिला बेटे के श्राद्धकर्म में हो सकेंगी शामिल

सरकार से लगा रहे मदद की उम्मीद

कुम्हारों का कहना है कि इस विपरीत परिस्थिति में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. लॉकडाउन के एक महीने बीतने को हैं कोई भी जनप्रतिनिधि या कोई भी सरकारी कर्मी उनलोगों की पीड़ा जानने नहीं पहुंचा है. इतना ही नहीं उन्हें अपनी कर्ज की भी चिंता सता रही है.

परिवार का भरण-पोषण मुश्किल

उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से साप्ताहिक बाजारों में मटके नहीं जा रहे हैं और सड़क के किनारे भी ग्राहक खरीदने नहीं आ रहे हैं. जिससे परिवार का भरण-पोषण करने में काफी समस्या हो रही है. सभी मिट्टी के सामान जस के तस पड़े हुए हैं. मिट्टी के बर्तनों को लेकर सड़क के किनारे ग्राहकों की आस लगाए बैठे रहते हैं, ताकि कुछ बिक्री हो जाए और घर का चूल्हा जल सके.

चतरा: लॉकडाउन से कुम्हार भारी परेशानी झेल रहे हैं. चतरा में हजारों की संख्या में कुम्हार परिवार रहते हैं. वो भी लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं. गांव के कुम्हार जहां रोजाना मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन अब लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से उनके बनाए गए मिट्टी के बर्तन नहीं बिक रहे हैं. जिसके कारण उन्हें खाने के लाले पड़ रहा हैं.

लॉकडाउन के कारण कुम्हारों को परेशानी

मिट्टी के बर्तनों की बिक्री ठप

वैश्विक महामारी कोरोना से कुम्हार परिवारों पर कहर सा टूट पड़ा है. जिले में कुम्हार मिट्टी के बर्तनों को बनाने में लगे थे और इसे बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन से सभी का कामकाज ठप पड़ा हुआ है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसी कारण इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री भी नहीं हो रही है.

लॉकडाउन से कुम्हारों को काफी नुकसान

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके बनाए हुए मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं. जिससे उनकी स्थिती दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कुम्हारों ने अपनी पीड़ा ईटीवी भारत से जाहिर करते हो कहा कि सरकार से जो अनाज मिलता है वह ठीक से 15 दिन भी घर में नहीं चलता है. गर्मी आने से पहले ही मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट जाते हैं और इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से एक महीने से उनके बर्तन जस के तस पड़े हुए हैं. कोई ग्राहक इसे खरीदने के लिए नहीं आ रहा है.

पढ़ें:- ईटीवी भारत की खबर का असर: 100 वर्षीय महिला बेटे के श्राद्धकर्म में हो सकेंगी शामिल

सरकार से लगा रहे मदद की उम्मीद

कुम्हारों का कहना है कि इस विपरीत परिस्थिति में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. लॉकडाउन के एक महीने बीतने को हैं कोई भी जनप्रतिनिधि या कोई भी सरकारी कर्मी उनलोगों की पीड़ा जानने नहीं पहुंचा है. इतना ही नहीं उन्हें अपनी कर्ज की भी चिंता सता रही है.

परिवार का भरण-पोषण मुश्किल

उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से साप्ताहिक बाजारों में मटके नहीं जा रहे हैं और सड़क के किनारे भी ग्राहक खरीदने नहीं आ रहे हैं. जिससे परिवार का भरण-पोषण करने में काफी समस्या हो रही है. सभी मिट्टी के सामान जस के तस पड़े हुए हैं. मिट्टी के बर्तनों को लेकर सड़क के किनारे ग्राहकों की आस लगाए बैठे रहते हैं, ताकि कुछ बिक्री हो जाए और घर का चूल्हा जल सके.

Last Updated : Apr 29, 2020, 8:28 PM IST
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