चतरा: जिले के घोर नक्सल प्रभावित प्रतापपुर और कुंदा प्रखंड के लोग इन दिनों नक्सल समस्या से नहीं बल्कि पुल की समस्या से जूझ रहे हैं. सड़कों की स्थिति दमदार होने के बाद भी यहां के लोगों को आवागमन के लिए नदी का सहारा लेना पड़ रहा है. दोनों प्रखंडों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली प्रतापपुर-जोरी मुख्यपथ तो चकाचक है, लेकिन उक्त पथ पर स्थित कठौन नदी पर वर्षों पूर्व बने पुल के ध्वस्त होने से यात्रियों को आवागमन में परेशानी हो रही है.
बड़ी दुर्घटनाओं की आशंका
ऐसे में नुमाइंदों के मामूली लापरवाही के कारण लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए नदी के पानी के बीच बने पगडंडियों का सहारा लेना पड़ रहा है. जिससे न सिर्फ बड़ी दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है, बल्कि लोग नदी के पानी की तेज धारा के भी शिकार हो रहे हैं.
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कइयों की जान भी जा चुकी है
ग्रामीणों के अनुसार, नदी पार करने के दौरान अचानक आई बाढ़ के चपेट में आने से कइयों की जान भी जा चुकी है. बावजूद न तो आजतक आमलोगों के इस समस्या की ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नजर गई है और न ही अधिकारियों की.
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लंबी दूरी तय करनी पड़ रही
आश्चर्य की बात तो ये है कि इसी पथ से हर दिन दोनों प्रखंडों में तैनात अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का भी आवागमन होता है. बावजूद महीनों से ध्वस्त पड़े पूल की मरम्मती और उसके जीर्णोद्धार के प्रति कोई अपनी गंभीरता नहीं दिखा रहा. ऐसे में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी झेल रहे आमलोगों को अब किसी मशीहे का इंतजार है. क्योंकि पुल ध्वस्त होने के बाद या तो जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है या फिर आर्थिक बोझ का सामना.