सिमरिया, चतरा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत करते हुए 2018 दीपावली तक राज्य के हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन चतरा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर पीरी पंचायत में जमीनी हकीकत कुछ अलग है.
अंधेरे में रहते हैं 12 गांव
पीरी पंचायत के 12 गांवों में आजादी के 73 साल बाद भी आज तक यहां के लोग दीया और लालटेन की रोशनी में रहने को मजबूर हैं. यहां के लोगों के लिए बिजली एक सपने की तरह है. इतना ही यही नहीं यहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. सरकार किसी की भी हो लेकिन इस पंचायत में विकास से कोसों दूर है. बिजली के नाम पर सिर्फ आठ सालों से घरों तक बिजली का खंभा लगा दिया गया है. जो लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहा है. लोगों के घरों तक बिजली पहुंचने में अभी और समय लगेगा. चुनाव में कई बार ग्रामीणों से वादा किया गया लेकिन अभी तक इसे हकीकत में नहीं बदला जा सका है.
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वोट के बाद नजर नहीं आते जनप्रतिनिधि
विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव वोट लेने के लिए यहां जनप्रतिनिधि तो आते रहे हैं. लेकिन मतदान होने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि वापस नजर नहीं आता है. इससे ग्रामीणों में नाराजगी है. इस पंचायत में लगभग दस हजार घरों के लोग अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. हर कोई इनकी समस्याओं को जानता है लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया है. सिमरिया प्रखंड के रोल विद्युत सब पावर स्टेशन से पूरे पंचायत में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इसके वावजूद यह पंचायत अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.
बिजली विभाग ने दिया विद्युतीकरण का आश्वासन
इस गांव के बुजुर्गों की माने तो उन्होंने देश आजादी के बाद भी आज तक गांव में एक बार भी बिजली नहीं देखी. वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने बिजली विभाग के एसडीओ पप्पू बेदिया से फोन पर कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जल्द ही गांव में विद्युतीकरण करा दिया जाएगा.