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चतरा के इस पंचायत में आजादी के 73 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली, लोगों ने किया वोट बहिष्कार का ऐलान

आजादी के 72 वर्षों बाद भी पीरी पंचायत के लोगों को बिजली नसीब नहीं हो पाई है. पीरी के लोग सात दशकों से लालटेन के सहारे रहने को मजबूर हैं. इससे तंग आकर यहां के लोगों ने वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.

विरोध करते ग्रामीण
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Published : Oct 24, 2019, 12:24 PM IST

सिमरिया, चतरा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत करते हुए 2018 दीपावली तक राज्य के हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन चतरा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर पीरी पंचायत में जमीनी हकीकत कुछ अलग है.

देखें पूरी खबर

अंधेरे में रहते हैं 12 गांव
पीरी पंचायत के 12 गांवों में आजादी के 73 साल बाद भी आज तक यहां के लोग दीया और लालटेन की रोशनी में रहने को मजबूर हैं. यहां के लोगों के लिए बिजली एक सपने की तरह है. इतना ही यही नहीं यहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. सरकार किसी की भी हो लेकिन इस पंचायत में विकास से कोसों दूर है. बिजली के नाम पर सिर्फ आठ सालों से घरों तक बिजली का खंभा लगा दिया गया है. जो लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहा है. लोगों के घरों तक बिजली पहुंचने में अभी और समय लगेगा. चुनाव में कई बार ग्रामीणों से वादा किया गया लेकिन अभी तक इसे हकीकत में नहीं बदला जा सका है.

ये भी पढ़ें- अखिल भारत हिंदू महासभा का BJP से मोहभंग! लड़ेगी झारखंड विधानसभा चुनाव

वोट के बाद नजर नहीं आते जनप्रतिनिधि
विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव वोट लेने के लिए यहां जनप्रतिनिधि तो आते रहे हैं. लेकिन मतदान होने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि वापस नजर नहीं आता है. इससे ग्रामीणों में नाराजगी है. इस पंचायत में लगभग दस हजार घरों के लोग अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. हर कोई इनकी समस्याओं को जानता है लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया है. सिमरिया प्रखंड के रोल विद्युत सब पावर स्टेशन से पूरे पंचायत में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इसके वावजूद यह पंचायत अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.

बिजली विभाग ने दिया विद्युतीकरण का आश्वासन
इस गांव के बुजुर्गों की माने तो उन्होंने देश आजादी के बाद भी आज तक गांव में एक बार भी बिजली नहीं देखी. वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने बिजली विभाग के एसडीओ पप्पू बेदिया से फोन पर कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जल्द ही गांव में विद्युतीकरण करा दिया जाएगा.

सिमरिया, चतरा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत करते हुए 2018 दीपावली तक राज्य के हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन चतरा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर पीरी पंचायत में जमीनी हकीकत कुछ अलग है.

देखें पूरी खबर

अंधेरे में रहते हैं 12 गांव
पीरी पंचायत के 12 गांवों में आजादी के 73 साल बाद भी आज तक यहां के लोग दीया और लालटेन की रोशनी में रहने को मजबूर हैं. यहां के लोगों के लिए बिजली एक सपने की तरह है. इतना ही यही नहीं यहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है. सरकार किसी की भी हो लेकिन इस पंचायत में विकास से कोसों दूर है. बिजली के नाम पर सिर्फ आठ सालों से घरों तक बिजली का खंभा लगा दिया गया है. जो लोगों को चिढ़ाने का काम कर रहा है. लोगों के घरों तक बिजली पहुंचने में अभी और समय लगेगा. चुनाव में कई बार ग्रामीणों से वादा किया गया लेकिन अभी तक इसे हकीकत में नहीं बदला जा सका है.

ये भी पढ़ें- अखिल भारत हिंदू महासभा का BJP से मोहभंग! लड़ेगी झारखंड विधानसभा चुनाव

वोट के बाद नजर नहीं आते जनप्रतिनिधि
विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव वोट लेने के लिए यहां जनप्रतिनिधि तो आते रहे हैं. लेकिन मतदान होने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि वापस नजर नहीं आता है. इससे ग्रामीणों में नाराजगी है. इस पंचायत में लगभग दस हजार घरों के लोग अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. हर कोई इनकी समस्याओं को जानता है लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया है. सिमरिया प्रखंड के रोल विद्युत सब पावर स्टेशन से पूरे पंचायत में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इसके वावजूद यह पंचायत अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.

बिजली विभाग ने दिया विद्युतीकरण का आश्वासन
इस गांव के बुजुर्गों की माने तो उन्होंने देश आजादी के बाद भी आज तक गांव में एक बार भी बिजली नहीं देखी. वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने बिजली विभाग के एसडीओ पप्पू बेदिया से फोन पर कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जल्द ही गांव में विद्युतीकरण करा दिया जाएगा.

Intro:ये भी है चुनावी मुद्दा, चतरा के पीरी पंचायत में देश आजादी के बाद भी नहीं पहुंची बिजली

चतरा,सिमरिया: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत करते हुए 2018 दीपावली तक राज्य के हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन चतरा जिला मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर पीरी पंचायत में जमीनी हकीकत पर सूरत इससे कहीं जुदा है, विकास तो दूर इस पंचायत के 12 गांवों में देश आजादी के बाद भी आजतक यहां के लोग दीया और लालटेन के उजालों में रहने को विवश है। यहां के लोगों को बिजली गांव में आना एक सपना है। यही नहीं यहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। सरकार किसी का भी हो लेकिन इस पंचायत में विकास से कोसों दूर है। बिजली के नाम पर सिर्फ आठ सालों से घरों तक बिजली का खंभा लगा दिया गया है। लेकिन घरों तक बिजली पहुंचने में अभी समय लगना तय है। बिजली का खंभा ग्रामीणों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। चुनाव में कई बार ग्रामीणों से वादा किया गया लेकिन अभी तक इसे हकीकत में नहीं बदला जा सका है।


1. बाईट--- स्थानीय बुजुर्ग, पेमा महतो
2. बाईट--- स्थानीय, विकाश कुमारBody:विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव वोट लेने के लिए गांव जनप्रतिनिधि आते हैं। मतदान होने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि वापस नजर नहीं आता है। इससे ग्रामीणों में नाराजगी है। इस पंचायत में लगभग दस हजार घरों का लोग अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार हैं। हर कोई इनकी समस्याओं को जानता है, लेकिन समाधान अब तक नहीं हो पाया है। सिमरिया प्रखंड के रोल विद्युत सब पावर स्टेशन से पूरे पंचायत में बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वहीं यह पंचायत अंधेरे में रहने को विवश है।Conclusion:गांव के बुजुर्गों के माने तो उन्होंने देश आजादी के बाद भी आज तक गांव में एक बार भी बिजली नहीं देखी। वहीं जब ईटीवी भारत के टीम ने बिजली अधिकारी के एसडीओ पप्पू बेदिया से दूरभाष पर कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जल्द ही गांव में विद्युतीकरण करा दिया जाएगा।


मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत सिमरिया चतरा
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