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ETV BHARAT IMPACT: ईटीवी भारत की पहल पर जुगवा में जगी जिंदगी की आस, अब हो सकेगा समुचित इलाज - ETV BHARAT IMPACT

चतरा के कमात गांव का रहने वाला जुगवा दर्द से कराहता रहता है. उसकी जिंदगी नासूर बन गई है. एक दुर्घटना में उसके पैर की हड्डी टूट गई. आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं हो पाया. अपाहिज की तरह जिंदगी नहीं जीने की इच्छा में खुद को आग के हवाले तक कर दिया लेकिन बदनसीब इतना की मौत ने भी गले नहीं लगाया.

pain of jugwa of Kamat village in Chatra
चतरा के कमात गांव का घायल जुगवा
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Published : May 5, 2020, 2:56 PM IST

Updated : May 5, 2020, 6:00 PM IST

चतरा: जिले में एक वृद्ध पिछले एक साल से त्रिपाल के नीचे अपनी मौत का इंतजार कर रहा है. दुर्घटना का शिकार पिछड़ी जाति का वृद्ध पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण खटिये पर सिमट कर रह गया है. उसकी जिंदगी नासूर हो गई है कि वह अब तिल-तिलकर मरने को विवश है. उसके दर्द का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह दर्द से छुटकारा पाने के उद्देश्य से आत्मदाह तक का प्रयास कर चुका है, लेकिन कुदरत के सामने उसकी एक नहीं चली और उसका यह प्रयास भी उसके लिए अभिशाप बनकर रह गया. आलम ये है कि घर के बाहर लगे त्रिपाल में पड़े-पड़े वह न सिर्फ अपनी जिंदगी को कोस रहा है बल्कि भगवान से भी दिन-रात यही मिन्नत कर रहा है कि उसे इस कष्ट भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए.

देखें पूरी खबर

एक वर्ष पूर्व टूट गया था पैर

आत्मदाह के प्रयास के बाद वृद्ध का शरीर तो बुरी तरह से झुलस गया. ऐसे में टूटती हड्डी का दर्द और दूसरी तरफ आग की जलन ने उसे मौत से भी बुरी जिंदगी जीने को विवश कर रखा है. 60 वर्षीय जुगवा भुईयां का बायां पैर करीब एक वर्ष पूर्व काम करने के दौरान गिरने से टूट गया था. जिसके बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे जुगवा के बेटे ने स्थानीय स्तर पर उसका इलाज कराने का प्रयास भी किया, लेकिन पैर की स्थिति को देखते हुए स्थानीय चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स रेफर कर दिया.

ये भी पढ़ें-मजदूरों से किराया वसूलने पर राजनीति हुई तेज, कांग्रेस ने कहा- झलकती है केंद्र सरकार की मानसिकता

आर्थिक तंगी के कारण नहीं हुआ इलाज

वहीं, आर्थिक तंगी से जूझ रहे दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले उसके बेटे ने उसे रांची ले जाने में असमर्थता जतायी और उपचार कराने के बजाय उसे उसी हालत में घर ले गया, जिसके बाद से जुगवा खटिया पर पड़े-पड़े अपनी मौत का इंतजार कर रहा है. जुगवा की स्थिति ऐसी है कि उसे सरकारी अनाज तो मिलता है लेकिन उसकी मात्रा इतनी नहीं है कि वह महीने भर चल सके. उसे वृद्धा पेंशन का लाभ भी नहीं मिला है.

हालांकि ईटीवी भारत की टीम ने जब जुगवा भुइयां के दर्द से जिले के सिविल सर्जन डॉ अरुण पासवान को अवगत कराया तो उन्होंने सरकारी खर्चे पर उसका इलाज कराने का आश्वासन जरूर दिया है. सिविल सर्जन ने कहा है कि वे प्रयास कर रहे हैं की जुगवा का सरकारी खर्च पर समुचित इलाज हो जाए, ताकि न सिर्फ उसे दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए बल्कि वह एक आम जिंदगी भी जी सके.

चतरा: जिले में एक वृद्ध पिछले एक साल से त्रिपाल के नीचे अपनी मौत का इंतजार कर रहा है. दुर्घटना का शिकार पिछड़ी जाति का वृद्ध पैसे के अभाव में समुचित इलाज नहीं होने के कारण खटिये पर सिमट कर रह गया है. उसकी जिंदगी नासूर हो गई है कि वह अब तिल-तिलकर मरने को विवश है. उसके दर्द का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह दर्द से छुटकारा पाने के उद्देश्य से आत्मदाह तक का प्रयास कर चुका है, लेकिन कुदरत के सामने उसकी एक नहीं चली और उसका यह प्रयास भी उसके लिए अभिशाप बनकर रह गया. आलम ये है कि घर के बाहर लगे त्रिपाल में पड़े-पड़े वह न सिर्फ अपनी जिंदगी को कोस रहा है बल्कि भगवान से भी दिन-रात यही मिन्नत कर रहा है कि उसे इस कष्ट भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए.

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एक वर्ष पूर्व टूट गया था पैर

आत्मदाह के प्रयास के बाद वृद्ध का शरीर तो बुरी तरह से झुलस गया. ऐसे में टूटती हड्डी का दर्द और दूसरी तरफ आग की जलन ने उसे मौत से भी बुरी जिंदगी जीने को विवश कर रखा है. 60 वर्षीय जुगवा भुईयां का बायां पैर करीब एक वर्ष पूर्व काम करने के दौरान गिरने से टूट गया था. जिसके बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे जुगवा के बेटे ने स्थानीय स्तर पर उसका इलाज कराने का प्रयास भी किया, लेकिन पैर की स्थिति को देखते हुए स्थानीय चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के रिम्स रेफर कर दिया.

ये भी पढ़ें-मजदूरों से किराया वसूलने पर राजनीति हुई तेज, कांग्रेस ने कहा- झलकती है केंद्र सरकार की मानसिकता

आर्थिक तंगी के कारण नहीं हुआ इलाज

वहीं, आर्थिक तंगी से जूझ रहे दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले उसके बेटे ने उसे रांची ले जाने में असमर्थता जतायी और उपचार कराने के बजाय उसे उसी हालत में घर ले गया, जिसके बाद से जुगवा खटिया पर पड़े-पड़े अपनी मौत का इंतजार कर रहा है. जुगवा की स्थिति ऐसी है कि उसे सरकारी अनाज तो मिलता है लेकिन उसकी मात्रा इतनी नहीं है कि वह महीने भर चल सके. उसे वृद्धा पेंशन का लाभ भी नहीं मिला है.

हालांकि ईटीवी भारत की टीम ने जब जुगवा भुइयां के दर्द से जिले के सिविल सर्जन डॉ अरुण पासवान को अवगत कराया तो उन्होंने सरकारी खर्चे पर उसका इलाज कराने का आश्वासन जरूर दिया है. सिविल सर्जन ने कहा है कि वे प्रयास कर रहे हैं की जुगवा का सरकारी खर्च पर समुचित इलाज हो जाए, ताकि न सिर्फ उसे दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए बल्कि वह एक आम जिंदगी भी जी सके.

Last Updated : May 5, 2020, 6:00 PM IST
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