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चतरा: प्रशिक्षु दारोगा घूसकांड पर डीआईजी सख्त, दिए जांच के निर्देश

एक सप्ताह पहले घूसखोरी के आरोप में निलंबित हुए सदर थाना के दो प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों की परेशानी कम नहीं हो रही. मामले को लेकर हजारीबाग के डीआईजी ने चतरा के एसपी को निर्देश देते हुए कहा कि मामले की फिर से गहनता से पड़ताल होनी चाहिए.

प्रशिक्षु दारोगा घूस कांड
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Published : Sep 21, 2019, 3:16 PM IST

चतरा: 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित किए जाने का मामला अब हजारीबाग डीआईजी दरबार पहुंच चुका है. दरअसल, जिले में 2 दिवसीय दौरे पर हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज पहुंचे, जहां उन्होंने सभी पुलिस निरीक्षक कार्यालय और महिला थाना का निरीक्षण किया. इस दौरान उनके समक्ष घूसखोरी के आरोप में पिछले हफ्ते गिरफ्तार हुए 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों का मामला लाया गया. जिसमें उन्होंने फिर से जांच पड़ताल की बात कही है.

देखें पूरी खबर


क्या है पूरा मामला
निलंबित हुए अंकित झा और अनिरुद्ध सिंह को मुखिया ने फोन पर जानकारी दी थी कि एक बाइक की डिक्की में अफीम छिपा हुआ है. सूचना मिलते ही दोनों अवर निरीक्षक ने सचिवालय पहुंचकर बाइक के साथ ही मुखिया को भी गिरफ्तार कर लिया. उप मुखिया को हिरासत में लेने के बाद दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों ने उसे छोड़ने के एवज में 1 लाख रुपए की मांग की थी. बाद में 40 हजार रुपए में मामला तय हुआ. जिसके बाद उपमुखिया उन लोगों के चंगुल से मुक्त होते ही सीधे पुलिस अधीक्षक का कार्यालय पहुंच गया और मामले से एसपी को अवगत कराते हुए इंसाफ की गुहार लगाई. उप मुखिया ने एसपी को दोनों प्रशिक्षु दरोगा के पैसे मांगने से संबंधित ऑडियो क्लिप भी दिया था. जिसके बाद एसपी ने एसडीपीओ से मामले की जांच कराते हुए दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित कर दिया था.

ये भी पढ़ें- दागी विधायक मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में हुई सुनवाई


डीआईजी ने दिया जांच का निर्देश
डीआईजी ने मामले की सुनवाई करते हुए एसपी को घटना के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मुखिया की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है. डिक्की में अफीम कहां से आया इसकी गहनता से पड़ताल होना जरूरी है. क्यूंकि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि भुक्तभोगी उप मुखिया मनोज यादव निर्दोष था. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उसके बाइक की डिक्की में अफीम किसने रखा था और मुखिया को इसकी जानकारी कैसे मिली थी. डीआईजी ने कहा है कि मुखिया और आरोपी पुलिस अवर निरीक्षकों का कॉल डिटेल भी खंगाला जाएगा, जिससे मामले की सच्चाई उजागर किया जा सके.

चतरा: 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित किए जाने का मामला अब हजारीबाग डीआईजी दरबार पहुंच चुका है. दरअसल, जिले में 2 दिवसीय दौरे पर हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज पहुंचे, जहां उन्होंने सभी पुलिस निरीक्षक कार्यालय और महिला थाना का निरीक्षण किया. इस दौरान उनके समक्ष घूसखोरी के आरोप में पिछले हफ्ते गिरफ्तार हुए 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों का मामला लाया गया. जिसमें उन्होंने फिर से जांच पड़ताल की बात कही है.

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क्या है पूरा मामला
निलंबित हुए अंकित झा और अनिरुद्ध सिंह को मुखिया ने फोन पर जानकारी दी थी कि एक बाइक की डिक्की में अफीम छिपा हुआ है. सूचना मिलते ही दोनों अवर निरीक्षक ने सचिवालय पहुंचकर बाइक के साथ ही मुखिया को भी गिरफ्तार कर लिया. उप मुखिया को हिरासत में लेने के बाद दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों ने उसे छोड़ने के एवज में 1 लाख रुपए की मांग की थी. बाद में 40 हजार रुपए में मामला तय हुआ. जिसके बाद उपमुखिया उन लोगों के चंगुल से मुक्त होते ही सीधे पुलिस अधीक्षक का कार्यालय पहुंच गया और मामले से एसपी को अवगत कराते हुए इंसाफ की गुहार लगाई. उप मुखिया ने एसपी को दोनों प्रशिक्षु दरोगा के पैसे मांगने से संबंधित ऑडियो क्लिप भी दिया था. जिसके बाद एसपी ने एसडीपीओ से मामले की जांच कराते हुए दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित कर दिया था.

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डीआईजी ने दिया जांच का निर्देश
डीआईजी ने मामले की सुनवाई करते हुए एसपी को घटना के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मुखिया की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है. डिक्की में अफीम कहां से आया इसकी गहनता से पड़ताल होना जरूरी है. क्यूंकि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि भुक्तभोगी उप मुखिया मनोज यादव निर्दोष था. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उसके बाइक की डिक्की में अफीम किसने रखा था और मुखिया को इसकी जानकारी कैसे मिली थी. डीआईजी ने कहा है कि मुखिया और आरोपी पुलिस अवर निरीक्षकों का कॉल डिटेल भी खंगाला जाएगा, जिससे मामले की सच्चाई उजागर किया जा सके.

Intro:प्रशिक्षु दारोगा घूस कांड, सूचक मुखिया की भूमिका संदिग्ध होगी जांच : डीआईजी

चतरा : एक सप्ताह पूर्व घूसखोरी के आरोप में निलंबित हुए सदर थाना के दो प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षको की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है। अफीम तस्करी का झूठा आरोप लगाकर फर्जी केस में फंसाने की धमकी देते हुए उप मुखिया से पैसे की मांग करने वाले दोनों प्रशिक्षु दारोगा अंकित झा और अनिरुद्ध सिंह का मामला अब डीआईजी दरबार पहुंच चुका है। खाकी की आड़ में अवैध उगाही में संलिप्त पुलिस अवर निरीक्षकों के मामले को डीआईजी पंकज कंबोज ने गंभीरता से लेते हुए घटना के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का निर्देश एसपी को दिया है। एक दिवसीय दौरे पर चतरा पहुंचे हजारीबाग प्रक्षेत्र के डीआईजी पंकज कंबोज ने कहा है पूरे मामले में सूचक मुखिया की भी भूमिका संदिग्ध है। क्यूंकि दोनों आरोपी पुलिस अवर निरीक्षकों को मुखिया ने ही फोन पर बाइक की डिक्की में अफीम होने की सूचना दी थी। जिसके बाद दोनों पंचायत सचिवालय पहुंचकर उप मुखिया को हिरासत में लेते हुए बाइक को जप्त किया था। लेकिन उसे थाना लाने के बजाय दोनों ने रास्ते में ही छोड़ दिया था और पैसे की मांग कर रहे थे। जिसका ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था।

बाईट : पंकज कंबोज, डीआईजी, हजारीबाग प्रक्षेत्र।

Body:पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए डीआईजी ने कहा कि डिक्की में अफीम कहां से आया इसकी गहनता से पड़ताल की जरूरत है। क्यूंकि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि भुक्तभोगी उप मुखिया मनोज यादव निर्दोष था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उसके बाइक की डिक्की में अफीम किसने रखा था और मुखिया टेक नारायण भोक्ता को इसकी जानकारी कैसे मिली थी। क्यूंकि मुखिया ने ही आरोपी दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को फोन पर उप मुखिया के बाईक के डिक्की में अफीम होने की सूचना दी थी। जिसके आधार पर दोनों प्रशिक्षु दारोगा पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यक्रम का ड्यूटी छोड़कर बगैर वरीय अधिकारियों को सूचना दिए पंचायत सचिवालय पहुंचकर उप मुखिया को गिरफ्तार किया था। डीआईजी ने कहा है कि मुखिया व आरोपी पुलिस अवर निरीक्षकों का कॉल डिटेल भी खंगाला जाएगा। ताकि मामले की सच्चाई उजागर किया जा सके।

Conclusion:गौरतलब है कि उप मुखिया को हिरासत में लेने के बाद दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों ने उससे छोड़ने के एवज में एक लाख रुपये की मांग की थी। बाद में चालीस हजार रुपया में मामला तय हुआ और पैसे लाने की बात कहते हुए दोनों ने उपमुखिया को छोड़कर उसकी बाईक अपने साथ ले गए थे। लेकिन उपमुखिया उन लोगों के चंगुल से मुक्त होते ही सीधे पुलिस अधीक्षक का कार्यालय पहुंच गया और मामले से एसपी को अवगत कराते हुए इंसाफ की गुहार लगाई थी। उप मुखिया ने एसपी को दोनों प्रशिक्षु दरोगा का पैसे मांगने से संबंधित ऑडियो क्लिप भी दिया था। जिसके बाद एसपी ने एसडीपीओ से मामले की जांच कराते हुए दोस्ती दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित कर दिया था।
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