चतरा: 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित किए जाने का मामला अब हजारीबाग डीआईजी दरबार पहुंच चुका है. दरअसल, जिले में 2 दिवसीय दौरे पर हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज पहुंचे, जहां उन्होंने सभी पुलिस निरीक्षक कार्यालय और महिला थाना का निरीक्षण किया. इस दौरान उनके समक्ष घूसखोरी के आरोप में पिछले हफ्ते गिरफ्तार हुए 2 प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों का मामला लाया गया. जिसमें उन्होंने फिर से जांच पड़ताल की बात कही है.
क्या है पूरा मामला
निलंबित हुए अंकित झा और अनिरुद्ध सिंह को मुखिया ने फोन पर जानकारी दी थी कि एक बाइक की डिक्की में अफीम छिपा हुआ है. सूचना मिलते ही दोनों अवर निरीक्षक ने सचिवालय पहुंचकर बाइक के साथ ही मुखिया को भी गिरफ्तार कर लिया. उप मुखिया को हिरासत में लेने के बाद दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों ने उसे छोड़ने के एवज में 1 लाख रुपए की मांग की थी. बाद में 40 हजार रुपए में मामला तय हुआ. जिसके बाद उपमुखिया उन लोगों के चंगुल से मुक्त होते ही सीधे पुलिस अधीक्षक का कार्यालय पहुंच गया और मामले से एसपी को अवगत कराते हुए इंसाफ की गुहार लगाई. उप मुखिया ने एसपी को दोनों प्रशिक्षु दरोगा के पैसे मांगने से संबंधित ऑडियो क्लिप भी दिया था. जिसके बाद एसपी ने एसडीपीओ से मामले की जांच कराते हुए दोनों प्रशिक्षु पुलिस अवर निरीक्षकों को निलंबित कर दिया था.
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डीआईजी ने दिया जांच का निर्देश
डीआईजी ने मामले की सुनवाई करते हुए एसपी को घटना के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मुखिया की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है. डिक्की में अफीम कहां से आया इसकी गहनता से पड़ताल होना जरूरी है. क्यूंकि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि भुक्तभोगी उप मुखिया मनोज यादव निर्दोष था. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर उसके बाइक की डिक्की में अफीम किसने रखा था और मुखिया को इसकी जानकारी कैसे मिली थी. डीआईजी ने कहा है कि मुखिया और आरोपी पुलिस अवर निरीक्षकों का कॉल डिटेल भी खंगाला जाएगा, जिससे मामले की सच्चाई उजागर किया जा सके.