चतरा: लॉकडाउन में गरीब हो या अमीर हर कोई परेशान है. समाज का निम्न वर्ग और मध्यमवर्गीय परिवार रोजी-रोटी के लिए परेशान है. इंसान तो फिर भी फरियाद कर ले रहा है, लेकिन बेजुबान जानवरों का दर्द भला कौन समझे, जो भोजन की तलाश में सड़कों पर भटक रहे हैं.
ये भी पढ़ें-कोरोना संकट का मुकाबला : देखें, अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी के साथ खास साक्षात्कार
मवेशियों की सुध लेने वाला नहीं है कोई
चतरा के सिमरिया अनुमंडल के ग्रामीण इलाकों में हजारों ऐसे परिवार हैं, जो मवेशी पालन करते हैं. गौ-पालन, बकरी-पालन सहित अन्य पशुपालन के माध्यम से अपना रोजगार चलाते हैं. यूं तो जिंदगी भर मवेशी पशुपालकों का पेट पालते हैं, पर वक्त जब पलट गया तो आज मवेशियो को सड़क पर भटकने के लिए छोड़ दिया गया है. इन मवेशियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. अब जरूरत इस बात की है कि सड़क पर भोजन की तलाश में जहां-तहां भटक रहे मवेशियों की समाजसेवी और प्रशासन सुध ले, ताकि इन बेजुबान जानवरों की भूख मिट सके.