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अस्पतालों में सड़ रहे बाइक एंबुलेंस, लोग झेल रहे हैं परेशानी

मरीजों की समस्या को दूर करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इसे लेकर सभी अस्पतालों में एंबुलेंस और बाइक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है, लेकिन चतरा के अस्पतालों का हाल ही अलग है. यहां के अस्पतालों में एंबुलेंस और बाइक एंबुलेंस तो हैं, लेकिन ये सभी अस्पताल की शोभा बढ़ाने में लगे हैं और शोभा बढाते-बढ़ाते अब ये अस्पताल गैराज बन चुका है, जिसमें एंबुलेंस सड़ रहे हैं, लेकिन लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

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अस्पतालों में सड़ रहा बाइक एंबुलेंस
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Published : Dec 7, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Dec 8, 2020, 7:06 AM IST

चतरा: जिले का सिमरिया रेफरल अस्पताल और प्रखंड कार्यालय एंबुलेंस गैरेज बन गया है. प्रखंड कार्यालय और अस्पताल भवन के परिसर में बाइक एंबुलेंस रखे हुए हैं और कई एंबुलेंस पड़े हुए हैं. नतीजा यह है कि ये भवन एंबुलेंस गैरेज बनकर रह गया है. अब इस पर किसी का ध्यान नहीं है. गांव के गरीब और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है, लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते उसका उद्देश्य और वास्तविकता ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ मामला चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल में सामने आया है.

देखें स्पेशल खबर

49 बाइक एंबुलेंस की हुई थी खरीद

चतरा के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की सुविधा के लिए सांसद मद से जिले भर के लिए 49 बाइक एंबुलेंस खरीदे गए थे. सभी बाइक एंबुलेंस की खरीदारी लगभग एक करोड़ 7 लाख 31 हजार रपपये की लागत से की गई थी. चतरा आज भी काफी पिछड़ा जिला है, जिसमें कई ऐसे गांव है, जहां ना तो पहुंचने को सड़क है और ना ही मोबाइल का नेटवर्क. पेयजल के लिए स्वच्छ पानी का भी अभाव है. ऐसे क्षेत्रों में अचानक बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को अस्पताल तक ले जाने की दृष्टि से ये बाइक एंबुलेंस काफी कारगर साबित हो सकते हैं, लेकिन व्यवस्था की मार में बाइक एंबुलेंस अपने उद्देश्य से भटककर कहीं गुम हो गई.

ये भी पढ़ें-अगले साल 5 हजार स्कूलों को दिलाया जाएगा फाइव स्टार का दर्जा, शिक्षा विभाग ने शुरू की तैयारी

एक एंबुलेंस की कीमत है दो लाख 19 हजार

इन बाइक एंबुलेंस की जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि अधिकांश एंबुलेंस बिना उपयोग के ही जर्जर हो गई है. अस्पताल और प्रखंड कार्यालय में रखे ये सभी बाइक एंबुलेंस सांसद मद से आवंटित है. सांसद मद से जिले भर के लिए बाइक एंबुलेंस खरीदे गए थे. योजना थी कि छोटे एंबुलेंस गांव के गली-गली में जा पाएंगे और मरीजों की सेवा हो पाएगी, लेकिन यह योजना भी विफल हो गई. दो साल पहले सांसद मद से एंबुलेंस तो खरीद लिए गए, लेकिन इसके संचालन के लिए रूपरेखा तैयार नहीं हो पाई. इस वजह से यह एंबुलेंस आज तक ज्यों के त्यों पड़ा रह गया. एक एंबुलेंस पर दो लाख 19 हजार रुपए खर्च हुए थे.

नए सालों से बाइक एंबुलेंस की होगी शुरुआत

चतरा में अभी भी कई ऐसे सुदूरवर्ती गांव है, जहां सड़क की सुविधा न के बराबर है. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि इन बाइक एंबुलेंस को इनके वास्तविक कार्यों में लगाया जाए, जिससे जरूरतमंद ग्रामीणों को इलाज के लिए सुविधा मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके. इस पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला उपायुक्त दिव्यांशु झा से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी बाइक एंबुलेंस स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस की संचालन के लिए स्थानीय चालक को चयन कर आने वाली नए सालों से शुरुआत कर दी जाएगी.

चतरा: जिले का सिमरिया रेफरल अस्पताल और प्रखंड कार्यालय एंबुलेंस गैरेज बन गया है. प्रखंड कार्यालय और अस्पताल भवन के परिसर में बाइक एंबुलेंस रखे हुए हैं और कई एंबुलेंस पड़े हुए हैं. नतीजा यह है कि ये भवन एंबुलेंस गैरेज बनकर रह गया है. अब इस पर किसी का ध्यान नहीं है. गांव के गरीब और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है, लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते उसका उद्देश्य और वास्तविकता ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ मामला चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल में सामने आया है.

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49 बाइक एंबुलेंस की हुई थी खरीद

चतरा के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की सुविधा के लिए सांसद मद से जिले भर के लिए 49 बाइक एंबुलेंस खरीदे गए थे. सभी बाइक एंबुलेंस की खरीदारी लगभग एक करोड़ 7 लाख 31 हजार रपपये की लागत से की गई थी. चतरा आज भी काफी पिछड़ा जिला है, जिसमें कई ऐसे गांव है, जहां ना तो पहुंचने को सड़क है और ना ही मोबाइल का नेटवर्क. पेयजल के लिए स्वच्छ पानी का भी अभाव है. ऐसे क्षेत्रों में अचानक बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को अस्पताल तक ले जाने की दृष्टि से ये बाइक एंबुलेंस काफी कारगर साबित हो सकते हैं, लेकिन व्यवस्था की मार में बाइक एंबुलेंस अपने उद्देश्य से भटककर कहीं गुम हो गई.

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एक एंबुलेंस की कीमत है दो लाख 19 हजार

इन बाइक एंबुलेंस की जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि अधिकांश एंबुलेंस बिना उपयोग के ही जर्जर हो गई है. अस्पताल और प्रखंड कार्यालय में रखे ये सभी बाइक एंबुलेंस सांसद मद से आवंटित है. सांसद मद से जिले भर के लिए बाइक एंबुलेंस खरीदे गए थे. योजना थी कि छोटे एंबुलेंस गांव के गली-गली में जा पाएंगे और मरीजों की सेवा हो पाएगी, लेकिन यह योजना भी विफल हो गई. दो साल पहले सांसद मद से एंबुलेंस तो खरीद लिए गए, लेकिन इसके संचालन के लिए रूपरेखा तैयार नहीं हो पाई. इस वजह से यह एंबुलेंस आज तक ज्यों के त्यों पड़ा रह गया. एक एंबुलेंस पर दो लाख 19 हजार रुपए खर्च हुए थे.

नए सालों से बाइक एंबुलेंस की होगी शुरुआत

चतरा में अभी भी कई ऐसे सुदूरवर्ती गांव है, जहां सड़क की सुविधा न के बराबर है. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि इन बाइक एंबुलेंस को इनके वास्तविक कार्यों में लगाया जाए, जिससे जरूरतमंद ग्रामीणों को इलाज के लिए सुविधा मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके. इस पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला उपायुक्त दिव्यांशु झा से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी बाइक एंबुलेंस स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस की संचालन के लिए स्थानीय चालक को चयन कर आने वाली नए सालों से शुरुआत कर दी जाएगी.

Last Updated : Dec 8, 2020, 7:06 AM IST
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