चतरा: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया हुआ है. संक्रमण रोकने के लिए सरकार को पिछले साल लंबे समय तक देश में लॉकडाउन लागू करना पड़ा. इस लॉकडाउन से देशभर में कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ था. इसमें बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार से हाथ धोना पड़ गया. ग्रामीण इलाकों से जुड़े युवाओं के सामने बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर सामने आई. खासकर उनके लिए, जो स्वरोजगार से अपने परिवार को पालते हैं. इन विकट हालातों में लोगों ने जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ नया करने का सोचा. बड़ी संख्या में गांव लौटकर आए युवा अब आत्मनिर्भर बनने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं. चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के बिरिंदा गांव में रहने वाले अभिषेक कुमार भी समाज में एक मिसाल के तौर पर उभरे हैं.
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नौकरी करने से आत्मनिर्भर बनने तक का सफर
आपको बताते चलें कि मुंबई की एक कंपनी में 10 साल से नौकरी कर रहे अभिषेक की पिछले साल लॉकडाउन में नौकरी चली गई. कंपनी बंद होने से मालिक ने सहायता करने के बजाय सबको कंपनी से निकाल दिया. अभिषेक घर वापस तो आए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने पशुपालन काम शुरू किया और इसी तरह वो अब आत्मनिर्भर बन गए हैं.
सरकार और जिला प्रशासन से सहायता की दरकार
अभिषेक ने बताया कि उनके डेयरी फार्म से दूध कई क्षेत्रों में सप्लाई होती है. गाय का दूध 50 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. दूध से बने दही, घी, रसगुल्ले का स्वाद अब चतरा में कई जगहों पर लोग चख रहे हैं. अभिषेक के डेयरी फार्म में 100 गाय आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. अभिषेक की इस पहल की जिले के लोग सराहना कर रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन से कई बार सब्सिडी और सहायता की उन्होंने मांग की है, लेकिन अब तक किसी तरह का भी सहयोग जिला प्रशासन से नहीं मिल पाया है. इसकी वजह से डेयरी फार्म का विस्तार सही ढंग से नहीं हो पाया है. अभिषेक का कहना है कि अगर सरकार और जिला प्रशासन सहयोग करता है तो डेयरी फार्म में सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल जाएगा.