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परेशान महिलाओं ने वोट बहिष्कार का बनाया मन, कहा- पानी नहीं तो वोट नहीं

झारखंड में पानी की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. धनबाद के तोपचांची में पानी की किल्लत से परेशान महिलाओं ने वोट बहिष्कार करने का मन बनाया है. उनका कहना है कि पानी नहीं तो वोट नहीं.

बूंद-बूंद को तरस रही महिलाएं.
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Published : May 7, 2019, 2:46 PM IST

तोपचांची,धनबाद: तोपचांची प्रखंड के नेरो पंचायत के ग्रामीण घोर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते है. यहां के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता आते हैं झूठे वादे कर चले जाते है. यही वजह है कि इस बार वह वोट बहिष्कार करेंगे.

बूंद-बूंद को तरस रही महिलाएं.

खास बात ये है कि पंचायत की मुखिया, सरिता गोयल भी तीन किलोमीटर दूर बने कुएं से पानी लाती है. इसके लिए उसे सुबह तीन बजे उठना पड़ता है. यहां की महिलाओं को भी कमोबेश यही हाल है.

यहां नहीं कुएं पर भी पानी को लेकर महिलाओं में लड़ाई झगड़ें होना आम बात है. महिलाओं का कहना है कि मुश्किल से पानी मिल पाता है और जो मिलता है वह भी गंदा होता है. इन सब से परेशान महिलाओं ने इस बार वोट नहीं देने का मन बनाया है. उनकी मांग है कि जो जनप्रतिनिधि या पार्टी पानी की व्यवस्था करेगा वो उसे ही वोट करेंगे.

तोपचांची,धनबाद: तोपचांची प्रखंड के नेरो पंचायत के ग्रामीण घोर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते है. यहां के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता आते हैं झूठे वादे कर चले जाते है. यही वजह है कि इस बार वह वोट बहिष्कार करेंगे.

बूंद-बूंद को तरस रही महिलाएं.

खास बात ये है कि पंचायत की मुखिया, सरिता गोयल भी तीन किलोमीटर दूर बने कुएं से पानी लाती है. इसके लिए उसे सुबह तीन बजे उठना पड़ता है. यहां की महिलाओं को भी कमोबेश यही हाल है.

यहां नहीं कुएं पर भी पानी को लेकर महिलाओं में लड़ाई झगड़ें होना आम बात है. महिलाओं का कहना है कि मुश्किल से पानी मिल पाता है और जो मिलता है वह भी गंदा होता है. इन सब से परेशान महिलाओं ने इस बार वोट नहीं देने का मन बनाया है. उनकी मांग है कि जो जनप्रतिनिधि या पार्टी पानी की व्यवस्था करेगा वो उसे ही वोट करेंगे.

Intro:tundi तोपचांची प्रखंड के नेरो पंचायत के ग्रामीण जो की घोर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में रहते है पूरा जिला नेरो पंचायत से पूरी तरह से वाकिफ है क्योंकि आए दिन इस एरिया में नक्सली गतिवबिधिओ के लिए ये पंचायत चर्चा में ही रहता है , लेकिन यहां के ग्रामीण बून्द बून्द पानी के लिए संघर्ष कर रहे है , गंदे पानी पिने के लिए विवश भी है , सालो से नेरो पंचायत के लोग जनप्रतिनिधिओं द्वारा लगातार ठगी का शिकार हो रहे है लेकिन इस बार यहां की महिलाओ ने साफ़ चेतावनी देते हुए कहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में नेरो पंचायत के कोई भी ग्रामीण वोट नहीं देंगे , जो वोट देने के लिए जाएगा उसे भी मारपीटकर भगाएंगे , किसी को वोट नहीं देने देंगे , जो जनप्रतिनिधि या पार्टी हमारे लिए पानी की व्यवस्था करेगा हम उसी को वोट देंगे ,
ख़ास बात रही की नेरो पंचायत की मुखिया , सरिता गोयल भी पानी भरने के लिए सुबह तीन बजे अपने घर तीन किलोमीटर की दुरी तय करके एक कुंवे से पानी लाती है , ठीक उसी तरह से यहां की महिलाए भी रातभर जागकर सुबह दो बजे तीन बजे तीन किलोमीटर की दुरी तय करके पानी लेने जाती है , यहां तक की पानी लेने के दौरान महिलाओ में झगड़ा भी होता है , एक ही कुंवे में जिसमे थोड़ा सा गंदा पानी जमा है , जरुरत पड़ने पर उसी गंदे पानी को पिने को मजबूर है नेरो पंचायत के खुरडीह के ग्रामीण , दर्जनों की संख्या में महिलाए बच्चे हड़िया डेकची लेकर एक कुंवे पर पानी भरने की होड़ में खड़े दिखे , वो भी गंदा पानी जो की बिलकुल भी पिने के लायक पानी नहीं दिख रहा था ,
Body: BYTE- सरिता गोयल ( मुखिया , नेरो पंचायत ,तोपचांची ) कुल मिलाकर स्थानीय मुखिया के अनुसार नेरो पंचायत में लगभग वे 30 से 40 सालो से यही हाल देख रही है कितने जनप्रतिनिधि आए और गए सभी ने वायदा किया लेकिन पूरा किसी ने नहीं किया , यहां के जो की एक ओर उग्रवाद से तंग है वही पानी की भारी समस्या इन्हे जनप्रतिनिधिओं पर से विश्वास उठाने के लिए काफी है , शायद इसलिए इस बार यहां की महिलाए ठान चुकी है की इस लोकसभा चुनाव का वे पूर्ण रूप से बहिस्कार करेंगी , न खुद वोट करेंगी और न ही किसी को वोट करने देंगी ,

Conclusion:no
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