रांची: लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रदेश में महागठबंधन को साथ लेकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि इससे पहले पार्टी में में लगातार मंथन का दौर चला, पार्टी ने पहले अपने विधायक दल की बैठक की उसके बाद पदाधिकारियों से अलग से बातचीत की गई और फिर केंद्रीय समिति में भी राज्य के सभी जिलों से आए अध्यक्ष और सचिव की राय ली गई.
इन सभी बैठकों में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने झामुमो को आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात उठी. बावजूद इसके पार्टी महागठबंधन के बैनर के तले ही असेंबली इलेक्शन लड़ने के मूड में है. झामुमो के कार्यवाहक अध्यक्ष और झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कर दिया है कि झामुमो महागठबंधन बनाते हुए विधानसभा चुनाव लड़ेगा.
नई ताकत के साथ लड़ेंगे विधानसभा चुनाव-JMM
जेएमएम नेता यह मानते हैं कि महागठबंधन में लोकसभा चुनावों के दौरान सीट शेयरिंग में हुई देरी की वजह से नुकसान झेलना पड़ा. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि जिस तरह से विपक्षी दलों के महागठबंधन को उम्मीद थी वैसा नतीजा सामने नहीं आया. उन्होंने दावा किया कि पार्टी एक नई ताकत के साथ विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन करेगी. झामुमो के अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो जिलों में पार्टी अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में है. उनके अनुसार लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों का वोट बिखरा ही रह गया.
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क्यों महागठबंधन के बैनर तले रहना चाहता है झामुमो?
दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता यह अच्छी तरह से जानते हैं कि पिछले चुनाव के ट्रैक रिकॉर्ड के हिसाब से 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली विधानसभा में उनकी मौजूदगी एक तिहाई रहती है. ऐसे में अन्य विपक्षी दलों को साथ लेकर चलना झामुमो के लिए जरूरी है. राज्य के डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर को देखें तो झामुमो की मौजूदगी मुख्य रूप से संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल के इलाके में है. वहीं अन्य तीन प्रमंडल में झामुमो सीमित सीटों पर ही हैं. दावे के अनुसार सरकार बनाने के आंकड़े के लिए अन्य दलों को साथ लिए बिना झामुमो सत्ता नहीं हासिल कर सकता है.
'15 सीटों में सिमट जाएगा महागठबंधन'
वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया कि महागठबंधन कितना भी एकजुट हो जाए विधानसभा चुनाव के नतीजे भी लोकसभा चुनाव के नतीजों जैसे ही होंगे. बीजेपी ने पहले ही 65 सीटों का लक्ष्य झारखंड में रखा है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल वर्णवाल ने कहा कि महागठबंधन अव्वल तो बनेगा नहीं. अगर ऐसा हुआ भी तो महागठबंधन महज 15 सीटों में सिमट जाएगा. बता दें कि इस साल के अंत तक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं.