रांची/हैदराबादः झारखंड की राजधानी है रांची. यह वीआइपी सीट है. इसबार यहां त्रिकोणीय मुकाबला है. बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी रामटहल चौधरी के बीच है कड़ी टक्कर. टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी से बागी होकर पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में रामटहल चौधरी.
रांची संसदीय सीट
राज्य की राजधानी होने के नाते यह सीट अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है. रांची संसदीय सीट में दो जिले रांची और सरायकेला-खरसावां शामिल हैं. इसमें कुल 6 विधानसभा क्षेत्र रांची, कांके, हटिया, खिजरी, सिल्ली, ईचागढ़ आते हैं.
2019 का रण
2019 के चुनाव में रांची संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा. यहां से बीजेपी ने इसबार संजय सेठ को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने एकबार फिर सुबोधकांत सहाय पर भरोसा जताया है. और मौजूदा सांसद रामटहल चौधरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं.
निर्दलीय प्रत्याशी हैं रामटहल चौधरी
रामटहल चौधरी झारखंड के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जनवरी 1942 में रांची के कुच्चू गांव में हुआ था. उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. रामटहल चौधरी 1967 में ओरमांझी पंचायत के प्रमुख बने. 1969 में वो कांके से पहली बार विधायक बने. 1972 में वो दूसरी बार विधायक चुने गए. 1977 में वो ओरमांझी पंचायत समिति प्रमुख बने. 1988 में उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया.
1991 में वो पहली बार रांची लोकसभा संसदीय सीट से चुनाव लड़े. जीतकर पहली बार सांसद बने. 1996 में वो दूसरी बार सांसद बने. 1998 में वो तीसरी बार सांसद बने. 1999 में वो चौथी बार जीतकर सांसद बने. 2004 में वो चुनाव हार गए. 2014 में वो 5वीं बार सांसद बने. 2019 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी छोड़ दी.
कांग्रेस से प्रत्याशी हैं सुबोधकांत सहाय
सुबोधकांत सहाय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफी करीबी माना जाता है. सुबोधकांत सहाय 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य थे. हालांकि पिछला चुनाव वो हार गए थे. पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए एकबार फिर से टिकट दिया.
सुबोधकांत सहाय का जन्म तत्कालीन बिहार के लातेहार में 1951 में हुआ था. उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई एएन कॉलेज पटना और रांची यूनिवर्सिटी से की है. वो 1978-1989 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. 1989 में वो रांची से पहली बार सांसद बने. उस समय वो जनता दल में थे. 1990 में वो भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया.
2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में वो फिर से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2004 में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 में उन्हें इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. साल 2011 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्री बनाया गया. 2014 लोकसभा चुनाव में वो अपनी सीट हार गए.
बीजेपी से प्रत्याशी हैं संजय सेठ
60 वर्षीय संजय सेठ बीजेपी के तेज-तर्रार नेता माने जाते हैं. संगठन स्तर पर वो काफी सक्रिय रहते हैं. वो कानपुर यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से ही लॉ की भी पढ़ाई की है. संजय सेठ जेपी आंदोलन के नेता हैं.
वो 1999 में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बने. 2014 लोकसभा चुनाव में नमो कैंपेन में उनकी अहम भूमिका थी. जून 2016 में उन्हें झारखंड खादी बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया. 2019 चुनाव में पार्टी ने उन्हें रांची संसदीय सीट प्रत्याशी बनाया है.