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रांची में जैन मुनियों ने किया केशलोच, कहा- यह सबसे बड़ी तपस्या

जैन मंदिर में आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज सहित मुनिराज और माताजी ने अपने हाथों से केशलोच की क्रिया की. जैन समाज के लोगों ने बताया कि जैन मुनिराज की यह क्रिया जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. इसके तहत जैन मुनि अपने हाथों से अपने केशों का लोचन करते हैं.

जानकारी देते जैन मुनि
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Published : Feb 4, 2019, 1:07 PM IST

रांचीः जैन मंदिर में आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज सहित मुनिराज और माताजी ने अपने हाथों से केशलोच की क्रिया की. जैन समाज के लोगों ने बताया कि जैन मुनिराज की यह क्रिया जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. इसके तहत जैन मुनि अपने हाथों से अपने केशों का लोचन करते हैं.

जानकारी देते जैन मुनि
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आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने बताया कि केशलोच जैन मुनिजनों का मुख्य व्रत है. यह दिगंबर जैन संप्रदाय के साधुओं की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. वह तपस्या करते हैं. जैन मुनियों का यह आवश्यक व्रत है. उनकी प्रतिज्ञा है कि जब उनके सिर के बाल बड़े हो जाते हैं तो दो-तीन या 4 महीने के अंतर्गत उसका केशलोच करते हैं.

दिगंबर जैन समाज के मंत्री संजय छाबड़ा और सह मंत्री अजय जैन ने बताया कि केशलोच को लेकर जैन समाज में उत्साह है. उन्होंने कहा कि यह अद्भूत पल है. ये माताजी की मंगल पाठ के बीच यह कार्य संपन्न हुए.

रांचीः जैन मंदिर में आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज सहित मुनिराज और माताजी ने अपने हाथों से केशलोच की क्रिया की. जैन समाज के लोगों ने बताया कि जैन मुनिराज की यह क्रिया जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. इसके तहत जैन मुनि अपने हाथों से अपने केशों का लोचन करते हैं.

जानकारी देते जैन मुनि
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आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने बताया कि केशलोच जैन मुनिजनों का मुख्य व्रत है. यह दिगंबर जैन संप्रदाय के साधुओं की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. वह तपस्या करते हैं. जैन मुनियों का यह आवश्यक व्रत है. उनकी प्रतिज्ञा है कि जब उनके सिर के बाल बड़े हो जाते हैं तो दो-तीन या 4 महीने के अंतर्गत उसका केशलोच करते हैं.

दिगंबर जैन समाज के मंत्री संजय छाबड़ा और सह मंत्री अजय जैन ने बताया कि केशलोच को लेकर जैन समाज में उत्साह है. उन्होंने कहा कि यह अद्भूत पल है. ये माताजी की मंगल पाठ के बीच यह कार्य संपन्न हुए.

Intro:रांचीः जैन मंदिर में आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज सहित मुनिराज और माताजी ने अपने हाथों से केशलोच की क्रिया की. मंदिर में जैन मुनियों के इस क्रिया को देख लोग अचंभित हैं. जैन मुनि और जैन समाज के लोगों ने बताया कि जैन मुनिराज की यह क्रिया जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. इसके तहत जैन मुनि अपने हाथों से अपने केशों का लोचन करते हैं.


Body:जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या केशलोचः विराग सागरजी महाराज

आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने बताया कि केशलोच जैन मुनी जनों का मुख्य व्रत है. यह दिगंबर जैन संप्रदाय के साधुओं की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. वह तपस्या करते हैं. जैन मुनियों का यह आवश्यक व्रत है. उनका प्रतिज्ञा है कि जब उनके सिर के बाल बड़े हो जाते हैं तो दो-तीन अथवा 4 महीने के अंतर्गत उसका केशलोच करते हैं. अपने हाथों से सिर, दाढ़ी और मूंछ का बाल निकलते हैं. उन्होंने बताया कि बाल बड़े होने से सिर में जू, लिख आदि ऐसे जीव उत्पन्न हो जाते हैं, जिनके काटने से खुजली उत्पन्न होने लगती है. ऐसे में नाई से या कैची, अस्तूरा से काटने के बाद जीवो की हत्या हो जाती है. वे खत्म हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में इन जीवों की हत्या न हो इसे लेकर जैन मुनि केशलोच करते हैं. यह स्वाधीनता का प्रतीक है.


Conclusion:मंगल पाठ के बीच हुए कार्यः

दिगंबर जैन समाज के मंत्री संजय छाबड़ा और सह मंत्री अजय जैन ने बताया कि केशलोच को लेकर जैन समाज में उत्साह है.
यह अद्भूत पल है. माताजी की मंगल पाठ के बीच यह कार्य संपन्न हुए.
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