रांचीः जैन मंदिर में आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज सहित मुनिराज और माताजी ने अपने हाथों से केशलोच की क्रिया की. जैन समाज के लोगों ने बताया कि जैन मुनिराज की यह क्रिया जैन मुनियों की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. इसके तहत जैन मुनि अपने हाथों से अपने केशों का लोचन करते हैं.
आचार्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने बताया कि केशलोच जैन मुनिजनों का मुख्य व्रत है. यह दिगंबर जैन संप्रदाय के साधुओं की सबसे बड़ी तपस्या मानी जाती है. वह तपस्या करते हैं. जैन मुनियों का यह आवश्यक व्रत है. उनकी प्रतिज्ञा है कि जब उनके सिर के बाल बड़े हो जाते हैं तो दो-तीन या 4 महीने के अंतर्गत उसका केशलोच करते हैं.
दिगंबर जैन समाज के मंत्री संजय छाबड़ा और सह मंत्री अजय जैन ने बताया कि केशलोच को लेकर जैन समाज में उत्साह है. उन्होंने कहा कि यह अद्भूत पल है. ये माताजी की मंगल पाठ के बीच यह कार्य संपन्न हुए.