ETV Bharat / state

सावधान ! एनी डेस्क ऐप डाउनलोड करने में बरते सतर्कता, वरना हो जाएगा आपका बैंक अकॉउंट खाली

साइबर अपराधी इन दिनों एनी डेस्क नामक ऐप को हथियार बना रहे हैं. यह ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है.

एनी डेस्क ऐप डाउनलोड करने में बरते सतर्कता
author img

By

Published : Jul 3, 2019, 2:11 PM IST

Updated : Jul 3, 2019, 2:59 PM IST

रांची: एनी डेस्क ऐप के जरिए 25 हजार की ठगी के मामले में 2 साइबर अपरधियो को रांची साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है. रांची में कांके रोड के रहने वाले व्यवसाई सत्येंद्र किशोर से साइबर अपरधियो ने ठगी की थी. पकड़े गए अपराधियों में जामताड़ा निवासी विवेक कुमार मंडल और देवघर के आमिर खुसरो शामिल हैं. अपराधियों के पास से पुलिस ने 20 एटीएम कार्ड, 20 फर्जी सिम, 5 मोबाइल और नगद 15000 बरामद किए गए हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

व्यवसाई सत्येंद्र किशोर को साइबर अपराधियों ने बैंक अधिकारी बनकर फोन किया और कहा कि आपके बैंक का केवाईसी अपडेट करना है. इसके लिए आप एनी डेस्क ऐप को डाउनलोड कीजिए. जैसे ही सत्येंद्र ने ऐप को इंस्टॉल किया और अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी दी. वैसे ही उनके खाते से 25 हजार रुपये गायब हो गए. इसके बाद उन्होंने साइबर थाने में मामला दर्ज कराया. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने जामताड़ा में छापेमारी कर 2 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया.

पेटीएम के जरिए ठगी
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से बड़ी तादात में पेटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं यह पेटीएम कार्ड कई लोगों के अकाउंट से जुड़े हुए हैं. रांची पुलिस के अनुसार साइबर अपराधी बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर इस ठगी को अंजाम दे रहे थे.


एनी डेस्क ऐप के जरिए ठगी

साइबर अपराधी लगातार नए-नए प्रयोग कर लोगों के खातों पर सेंध लगा रहे हैं. साइबर अपराधी इन दिनों एनी डेस्क नामक ऐप को हथियार बना रहे हैं. यह ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरे मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करता है.


गूगल पर कस्टमाइज्ड कर रखे हैं नंबर
साइबर अपराधियों ने अपने नंबर टॉल-फ्री नंबरों की जगह कस्टमाइज्ड कर रखे हैं. इससे कोई तकनीकि मदद या बैंक सेवाओं से संबंधित कार्य के लिए लोग कॉल कर साइबर अपराधियों के झांसे में आ रहे हैं. कॉल करने वाले बैंक अधिकारी समझकर साइबर अपराधियों से बातचीत कर रहे होते हैं.


मांगा जाता है 9 अंकों का कोड

यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद 9 अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है, तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वो उसे एक्सेस करने की अनुमति ले लेता है. अनुमति मिलने के बाद अपराधी धारक के फोन का सभी डेटा चोरी कर लेता है. वो इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपये उड़ा लेते हैं.

जागरूकता ही बचाव
रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि 'एनी' ऐप को साइबर अपराधियों ने इन दिनों हथियार बना लिया है. इससे बचने की जरूरत है. साइबर अपराधियों द्वारा किसी भी बातों पर अमल न करें, चूंकि उनका हर स्टेप साइबर फ्रॉड के लिए होता है.

रांची: एनी डेस्क ऐप के जरिए 25 हजार की ठगी के मामले में 2 साइबर अपरधियो को रांची साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है. रांची में कांके रोड के रहने वाले व्यवसाई सत्येंद्र किशोर से साइबर अपरधियो ने ठगी की थी. पकड़े गए अपराधियों में जामताड़ा निवासी विवेक कुमार मंडल और देवघर के आमिर खुसरो शामिल हैं. अपराधियों के पास से पुलिस ने 20 एटीएम कार्ड, 20 फर्जी सिम, 5 मोबाइल और नगद 15000 बरामद किए गए हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

व्यवसाई सत्येंद्र किशोर को साइबर अपराधियों ने बैंक अधिकारी बनकर फोन किया और कहा कि आपके बैंक का केवाईसी अपडेट करना है. इसके लिए आप एनी डेस्क ऐप को डाउनलोड कीजिए. जैसे ही सत्येंद्र ने ऐप को इंस्टॉल किया और अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी दी. वैसे ही उनके खाते से 25 हजार रुपये गायब हो गए. इसके बाद उन्होंने साइबर थाने में मामला दर्ज कराया. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने जामताड़ा में छापेमारी कर 2 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया.

पेटीएम के जरिए ठगी
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से बड़ी तादात में पेटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं यह पेटीएम कार्ड कई लोगों के अकाउंट से जुड़े हुए हैं. रांची पुलिस के अनुसार साइबर अपराधी बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर इस ठगी को अंजाम दे रहे थे.


एनी डेस्क ऐप के जरिए ठगी

साइबर अपराधी लगातार नए-नए प्रयोग कर लोगों के खातों पर सेंध लगा रहे हैं. साइबर अपराधी इन दिनों एनी डेस्क नामक ऐप को हथियार बना रहे हैं. यह ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरे मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करता है.


गूगल पर कस्टमाइज्ड कर रखे हैं नंबर
साइबर अपराधियों ने अपने नंबर टॉल-फ्री नंबरों की जगह कस्टमाइज्ड कर रखे हैं. इससे कोई तकनीकि मदद या बैंक सेवाओं से संबंधित कार्य के लिए लोग कॉल कर साइबर अपराधियों के झांसे में आ रहे हैं. कॉल करने वाले बैंक अधिकारी समझकर साइबर अपराधियों से बातचीत कर रहे होते हैं.


मांगा जाता है 9 अंकों का कोड

यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद 9 अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है, तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वो उसे एक्सेस करने की अनुमति ले लेता है. अनुमति मिलने के बाद अपराधी धारक के फोन का सभी डेटा चोरी कर लेता है. वो इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपये उड़ा लेते हैं.

जागरूकता ही बचाव
रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि 'एनी' ऐप को साइबर अपराधियों ने इन दिनों हथियार बना लिया है. इससे बचने की जरूरत है. साइबर अपराधियों द्वारा किसी भी बातों पर अमल न करें, चूंकि उनका हर स्टेप साइबर फ्रॉड के लिए होता है.

Intro:सावधान ! एनी डेस्क ऐप डाउनलोड करने में बरते सतर्कता - साइबर अपराधी उड़ा ले खाते से रकम

रांची । एनी डेस्क ऐप के जरिए 25 हज़ार की ठगी के मामले में दो साइबर अपरधियो को रांची साइबर सेल ने गिरफ्तार किया गया है। रांची के  कांके रोड के रहने वाले व्यवसाई सत्येंद्र किशोर साइबर अपरधियो ने ठगी की थी। पकड़े गए अपराधियों में जामताड़ा निवासी विवेक कुमार मंडल और देवघर के वासी आमिर खुसरो शामिल है। पकड़े गए अपराधियों के पास से 20 पेटीएम कार्ड,  20 फर्जी सिम, 5 मोबाइल और नगद 15000  बरामद किए गए हैं। 


बैंक अधिकारी बन किया फोन 

रांची के  कांके रोड के रहने वाले व्यवसाई सत्येंद्र किशोर को साइबर अपराधियों ने बैंक अधिकारी बन फोन कर कहा कि आपके बैंक का केवाईसी अपडेट करना है। इसके लिए आप एनीडेस्क ऐप को डाउनलोड कीजिए। जैसे ही सत्येंद्र ने ऐप को इंस्टॉल किया और अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी दी। वैसे ही उनके खाते से 25000 हजार गायब हो गए ।जिसके बाद उन्होंने साइबर थाने में मामला दर्ज करवाया था। मामले की जांच में जुटी पुलिस इस ठगी लिंक भी साइबर अपराधियों का स्वर्ग कहे जाने वाले झारखंड के जमताडा जिले में मिला जिसके बाद छापेमारी कर दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।


पेटीएम के जरिये ठगी

गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से बड़ी तादात में एटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं यह पेटीएम कार्ड कई लोगों के अकाउंट से जुड़े हुए हैं रांची पुलिस के अनुसार साइबर अपराधी बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर इस ठगी को अंजाम दे रहे थे।


एनी डेस्क ऐप के जरिए ठगी


साइबर अपराधी लगातार नए-नए प्रयोग कर लोगों के खातों पर सेंध लगा रहे हैं। साइबर अपराधी इन दिनों  एनी डेस्क नामक ऐप को हथियार बना लिया है। यह ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा। इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं। इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरी मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं। इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं। कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में लेते हैं।  


गूगल पर कस्टमाइज्ड कर रखे हैं नंबर 


साइबर अपराधियों ने अपने नंबर टॉल-फ्री नंबरों की जगह कस्टमाइज्ड कर रखा है। इससे कोई तकनीकी मदद या बैंक सेवाओं से संबंधित कार्य के लिए लोग कॉल कर साइबर अपराधियों के झांसे में आ रहे हैं। कॉल करने वाले बैंक अधिकारी समझकर साइबर अपराधियों से बातचीत कर रहे होते हैं। 


मांगे जाते हैं नौ अंकों के कोड 

जब यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद नौ अंकों का एक कोड जेनरेट होता है। जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं। जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है। वह उसे एक्सेस करने की अनुमति ले लेता है। अनुमति मिलने के बाद अपराधी धारक के फोन का सभी डेटा की चोरी कर लेता है। वह इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपये से उड़ा लेते हैं। 

जागरूकता ही बचाव 

आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वो लोगों को एनी डेस्क ऐप के जरिये होने वाली धोखाधड़ी को लेकर जागरूक करें। क्योंकि अधिकतर लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से ही लेन देन कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को इस धोखाधड़ी से बचाया जाना चाहिए।  रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि 'एनी  ऐप को साइबर अपराधियों ने इन दिनों हथियार बना लिया है। इससे बचने की जरूरत है। साइबर अपराधियों द्वारा किसी भी बातों पर अमल न करें, चूंकि उनका हर स्टेप साइबर फ्रॉड के लिए होता है।

बाइट - अनीश गुप्ता ,एसएसपी ,रांची।

Body:1Conclusion:2
Last Updated : Jul 3, 2019, 2:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.