रांची: एनी डेस्क ऐप के जरिए 25 हजार की ठगी के मामले में 2 साइबर अपरधियो को रांची साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है. रांची में कांके रोड के रहने वाले व्यवसाई सत्येंद्र किशोर से साइबर अपरधियो ने ठगी की थी. पकड़े गए अपराधियों में जामताड़ा निवासी विवेक कुमार मंडल और देवघर के आमिर खुसरो शामिल हैं. अपराधियों के पास से पुलिस ने 20 एटीएम कार्ड, 20 फर्जी सिम, 5 मोबाइल और नगद 15000 बरामद किए गए हैं.
व्यवसाई सत्येंद्र किशोर को साइबर अपराधियों ने बैंक अधिकारी बनकर फोन किया और कहा कि आपके बैंक का केवाईसी अपडेट करना है. इसके लिए आप एनी डेस्क ऐप को डाउनलोड कीजिए. जैसे ही सत्येंद्र ने ऐप को इंस्टॉल किया और अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी दी. वैसे ही उनके खाते से 25 हजार रुपये गायब हो गए. इसके बाद उन्होंने साइबर थाने में मामला दर्ज कराया. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने जामताड़ा में छापेमारी कर 2 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया.
पेटीएम के जरिए ठगी
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से बड़ी तादात में पेटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं यह पेटीएम कार्ड कई लोगों के अकाउंट से जुड़े हुए हैं. रांची पुलिस के अनुसार साइबर अपराधी बैंक कर्मियों से मिलीभगत कर इस ठगी को अंजाम दे रहे थे.
एनी डेस्क ऐप के जरिए ठगी
साइबर अपराधी लगातार नए-नए प्रयोग कर लोगों के खातों पर सेंध लगा रहे हैं. साइबर अपराधी इन दिनों एनी डेस्क नामक ऐप को हथियार बना रहे हैं. यह ऐप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में हो जाएगा. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ ऐप सहित अन्य बैंक खातों से जुड़े सभी ऐप को आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. इस ऐप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं, इसके बाद पूरे मोबाइल पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करता है.
गूगल पर कस्टमाइज्ड कर रखे हैं नंबर
साइबर अपराधियों ने अपने नंबर टॉल-फ्री नंबरों की जगह कस्टमाइज्ड कर रखे हैं. इससे कोई तकनीकि मदद या बैंक सेवाओं से संबंधित कार्य के लिए लोग कॉल कर साइबर अपराधियों के झांसे में आ रहे हैं. कॉल करने वाले बैंक अधिकारी समझकर साइबर अपराधियों से बातचीत कर रहे होते हैं.
मांगा जाता है 9 अंकों का कोड
यह एप डाउनलोड किए जाने के बाद 9 अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है, तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वो उसे एक्सेस करने की अनुमति ले लेता है. अनुमति मिलने के बाद अपराधी धारक के फोन का सभी डेटा चोरी कर लेता है. वो इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपये उड़ा लेते हैं.
जागरूकता ही बचाव
रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि 'एनी' ऐप को साइबर अपराधियों ने इन दिनों हथियार बना लिया है. इससे बचने की जरूरत है. साइबर अपराधियों द्वारा किसी भी बातों पर अमल न करें, चूंकि उनका हर स्टेप साइबर फ्रॉड के लिए होता है.