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अंतर्राष्ट्रीय भाषा कार्यशाला में दुखी हुईं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, कहा- अपनी भाषा बचाने खुद आना होगा आगे - DSPMU

रांची के डीएसपीएमयू में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. लुप्तप्राय भाषाओं और संस्कृतियों के बचाव को लेकर देश विदेश लोग एकजुट हुए. इस दौरान राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू कहा कि हमें अपनी संस्कृती और भाषा बचाने के लिए खुद आगे आना होगा.

अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : Apr 14, 2019, 3:30 PM IST

रांची: लुप्तप्राय भाषाओं और संस्कृतियों के बचाव को लेकर राजधनी के डीएसपीएमयू में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला डीएसपीएमयू, लंदन यूनिवर्सिटी और कील यूनिवर्सिटी जर्मनी ने संयुक्त रूप से आयोजित की थी. कार्यशाला लोगों की कम मौजूदगी देखकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू काफी दुखी हुईं.

अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

डीएसपीएमयू कैंपस में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में देश-विदेश के भाषा विशेषज्ञ शामिल हुए. साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंची. गौरतलब है कि 14 अप्रैल से राजधानी रांची के डीएसपीएमयू में राम दयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान, लंदन विश्वविद्यालय और जर्मनी के कील विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 10 दिवसीय लुप्त प्राय भाषा प्रलेखन और भाषा बचाओ अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. जहां झारखंड के तमाम आदिम जनजातियों से जुड़े भाषाओं के संरक्षण को लेकर विशेष विचार विमर्श किया जाएगा.

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान देश-विदेश के कई भाषा विशेषज्ञों के साथ-साथ लंदन, जर्मनी, फ्रांस से भी प्रतिनिधि पहुंचे. अनुसूचित जनजाति विभाग के सचिव हिमानी पांडे, लंदन विश्वविद्यालय के मंडाना सैफईधिनिपुर, जर्मनी कील यूनिवर्सिटी के जॉन पीटरसन भी शामिल हुए.

मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड की भाषाओं के साथ-साथ भारत की कई ऐसी भाषा है जो विलुप्ति के कगार पर है. इन भाषाओं को बचाना और सुरक्षित रखना सभी लोगों का दायित्व बनता है. वहीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज रविवार है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती है. लोग फुर्सत में हैं, फिर भी इस कार्यशाला में बढ़-चढ़कर नहीं पहुंचे. यह दुख की बात है. अगर अपनी भाषाओं को संरक्षित करना होगा तब खुद आगे आना होगा. आज लंदन, स्पेन, जर्मनी के लोग हमारी भाषाओं को संरक्षित रखने के लिए सोच रहे हैं. लेकिन हम इस विषय मे कब सोचेंगे यह किसी ने नहीं सोचा है .

रांची: लुप्तप्राय भाषाओं और संस्कृतियों के बचाव को लेकर राजधनी के डीएसपीएमयू में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला डीएसपीएमयू, लंदन यूनिवर्सिटी और कील यूनिवर्सिटी जर्मनी ने संयुक्त रूप से आयोजित की थी. कार्यशाला लोगों की कम मौजूदगी देखकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू काफी दुखी हुईं.

अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

डीएसपीएमयू कैंपस में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में देश-विदेश के भाषा विशेषज्ञ शामिल हुए. साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू पहुंची. गौरतलब है कि 14 अप्रैल से राजधानी रांची के डीएसपीएमयू में राम दयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान, लंदन विश्वविद्यालय और जर्मनी के कील विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 10 दिवसीय लुप्त प्राय भाषा प्रलेखन और भाषा बचाओ अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. जहां झारखंड के तमाम आदिम जनजातियों से जुड़े भाषाओं के संरक्षण को लेकर विशेष विचार विमर्श किया जाएगा.

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान देश-विदेश के कई भाषा विशेषज्ञों के साथ-साथ लंदन, जर्मनी, फ्रांस से भी प्रतिनिधि पहुंचे. अनुसूचित जनजाति विभाग के सचिव हिमानी पांडे, लंदन विश्वविद्यालय के मंडाना सैफईधिनिपुर, जर्मनी कील यूनिवर्सिटी के जॉन पीटरसन भी शामिल हुए.

मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड की भाषाओं के साथ-साथ भारत की कई ऐसी भाषा है जो विलुप्ति के कगार पर है. इन भाषाओं को बचाना और सुरक्षित रखना सभी लोगों का दायित्व बनता है. वहीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज रविवार है. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती है. लोग फुर्सत में हैं, फिर भी इस कार्यशाला में बढ़-चढ़कर नहीं पहुंचे. यह दुख की बात है. अगर अपनी भाषाओं को संरक्षित करना होगा तब खुद आगे आना होगा. आज लंदन, स्पेन, जर्मनी के लोग हमारी भाषाओं को संरक्षित रखने के लिए सोच रहे हैं. लेकिन हम इस विषय मे कब सोचेंगे यह किसी ने नहीं सोचा है .

Intro:लुप्तप्राय भाषाओं और संस्कृतियों के बचाव को लेकर राजधनी रांची के डीएसपीएमयू ,लंदन और जर्मनी कील यूनिवर्सिटी के कोलेब्रेशन से एक अंतरष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन डीएसपीएमयू कैंपस में किया गया, इस मौके पर देश विदेश के भाषा विशेषज्ञ शामिल हुए, साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू पहुंची ,मौके पर उन्होंने कार्यशाला में लोगों की मौजूदगी कम देख कर दुख प्रकट किया.


Body:गौरतलब है कि 14 अप्रैल से राजधानी रांची के डीएसपीएमयू में राम दयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान, लंदन विश्वविद्यालय और जर्मनी के किल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 10 दिवसीय लुप्त प्राय भाषा प्रलेखन और भाषा बचाओ अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है .जहां झारखंड के तमाम आदिम जनजातियों से जुड़े भाषाओं के संरक्षण को लेकर विशेष विचार विमर्श किया जाना है. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान देश विदेश के कई भाषा विशेषज्ञों के साथ साथ लंदन ,जर्मनी फ्रांस से भी प्रतिनिधि पहुंचे .वहीं मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू शामिल हुई, अनुसूचित जनजाति विभाग के सचिव हिमानी पांडे, लंदन विश्वविद्यालय के मंडाना सैफईधिनिपुर, जर्मनी कील यूनिवर्सिटी के जॉन पीटरसन भी पहुंचे,मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड की भाषाओं के साथ -साथ भारत के ऐसे कई भाषा है जो विलुप्ति के कगार पर है, इन भाषायों को बचाना और सुरक्षित रखना सभी लोगों का दायित्व बनता है .वहीं राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहां की आज रविवार है बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती है लोग फुर्सत में है फिर भी इस कार्यशाला में बढ़-चढ़कर नहीं पहुंचे , यह दुख की बात है .अगर अपनी भाषाओं को संरक्षित करना होगा तब खुद आगे आना होगा. आज लंदन, स्पेन,जर्मनी के लोग हमारी भाषाओं को संरक्षित रखने के लिए सोच रहे हैं. लेकिन हम इस विषय मे कब सोचेंगे यह किसी ने नहीं सोचा है .

बाइट- श्रीमती द्रौपदी मुर्मू राज्यपाल ,झारखंड.


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