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निजी हॉस्पिटल में पैसे के लिए शव को बनाया बंधक, मीडिया के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को सौंपी लाश - jharkhand news

रांची में मेडिका अस्पताल प्रबंधन पर पैसे नहीं मिलने के कारण शव को बंधक बना कर रखने का आरोप लगा है. परिजनों के आग्रह करने के बाद जब अस्पताल प्रशासन नहीं माना, तो उन्होंने मीडिया का सहारा लिया. जिसके बाद प्रबंधन ने मृतक के शव को बिना पैसे लिए ही दे दिया.

शव को अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सौंपा
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Published : Jun 3, 2019, 3:37 PM IST

रांची: राजधानी के मेडिका अस्पताल प्रबंधन पर पैसे के लिए परिजनों को शव नहीं देने का आरोप लगा है. 30 मई को मरीज खुशबू कुमारी की मौत हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार बकाया राशि की मांग की. जिसे देने में परिजनों ने असमर्थता दिखाई. परिजनों के अनुसार इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा मृतक के शव को बंधक बना लिया गया.

जानकारी देते परिजन

घटना के बारे में मृतक के परिजन ने बताया कि 30 मई को वो बीमार खुशबू कुमारी को लेकर मेडिका पहुंचे थे. जहां पर डॉक्टरों की इलाज से मरीज में सुधार आने लगा, लेकिन अचानक रविवार को मरीज की हालत खराब होने लगी, जिसके बाद डॉक्टरों को फोन किया गया, लेकिन डॉक्टर लगातार फोन करने के बावजूद भी नहीं पहुंचे. इस वजह से खुशबू की मौत हो गई.

मृतक के परिजन ने बताया कि डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार बकाया राशि की मांग की जा रही थी. जिसे देने में परिजनों ने असमर्थता दिखाई. अस्पताल प्रशासन द्वारा मृतक के शव को बंधक बनाकर परिजनों से बकाया राशि 1 लाख 8 हजार रुपए की मांग की गई.

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद शव को अस्पताल प्रबंधन ने छोड़ा
परिजनों के आग्रह करने के बाद जब अस्पताल प्रशासन नहीं माना, तो उन्होंने मीडिया का सहारा लिया. जिसके बाद प्रबंधन ने मृतक के शव को बिना पैसे लिए ही छोड़ने का निर्णय लिया. परिजनों ने शव लेने के बाद मीडिया को धन्यवाद दिया.

इस मामले में मेडिका अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली हैं. ईटीवी भारत ने जब प्रबंधन से इस मामले में जानकारी चाही तो उन्होंने आरोप से इंकार किया है.

रांची: राजधानी के मेडिका अस्पताल प्रबंधन पर पैसे के लिए परिजनों को शव नहीं देने का आरोप लगा है. 30 मई को मरीज खुशबू कुमारी की मौत हो गई थी. जिसके बाद डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार बकाया राशि की मांग की. जिसे देने में परिजनों ने असमर्थता दिखाई. परिजनों के अनुसार इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा मृतक के शव को बंधक बना लिया गया.

जानकारी देते परिजन

घटना के बारे में मृतक के परिजन ने बताया कि 30 मई को वो बीमार खुशबू कुमारी को लेकर मेडिका पहुंचे थे. जहां पर डॉक्टरों की इलाज से मरीज में सुधार आने लगा, लेकिन अचानक रविवार को मरीज की हालत खराब होने लगी, जिसके बाद डॉक्टरों को फोन किया गया, लेकिन डॉक्टर लगातार फोन करने के बावजूद भी नहीं पहुंचे. इस वजह से खुशबू की मौत हो गई.

मृतक के परिजन ने बताया कि डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार बकाया राशि की मांग की जा रही थी. जिसे देने में परिजनों ने असमर्थता दिखाई. अस्पताल प्रशासन द्वारा मृतक के शव को बंधक बनाकर परिजनों से बकाया राशि 1 लाख 8 हजार रुपए की मांग की गई.

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद शव को अस्पताल प्रबंधन ने छोड़ा
परिजनों के आग्रह करने के बाद जब अस्पताल प्रशासन नहीं माना, तो उन्होंने मीडिया का सहारा लिया. जिसके बाद प्रबंधन ने मृतक के शव को बिना पैसे लिए ही छोड़ने का निर्णय लिया. परिजनों ने शव लेने के बाद मीडिया को धन्यवाद दिया.

इस मामले में मेडिका अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली हैं. ईटीवी भारत ने जब प्रबंधन से इस मामले में जानकारी चाही तो उन्होंने आरोप से इंकार किया है.

Intro:रांची

राजधानी रांची के मेडिका अस्पताल में आज डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा देखने को मिला, घटना के बारे में मृतक परिजन बताते हैं कि 30 मई को मरीज खुशबू कुमारी को लेकर मेडिका में पहुंचे थे जहां पर डॉक्टरों की इलाज से मरीज में सुधार आने लगा लेकिन अचानक रविवार को मरीज की हालत खराब होने लगी जिसके बाद हम लोगों ने डॉक्टरों को फोन किया लेकिन डॉक्टर लगातार फोन करने के बावजूद भी नहीं पहुंचे जिस वजह से मरीज खुशबू कुमारी की मौत हो गई।

शव को बन्धक बनाकर 80 हज़ार लेने के बाद 1लाख 8 हज़ार रुपये का प्रबंधन द्वारा किया जा रहा था मांग।

मृतक के परिजन ने बताया कि डॉक्टर एवं अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार बकाया राशि की मांग की जा रही थी जिसे देने में मरीज़ ने असमर्थता दिखायी। लेकिन उसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन के द्वारा मृतक के शव को बंधक बनाकर परिजनों से बकाया राशि 1लाख 8 हज़ार रुपैये की मांग की गई।

मीडिया के हस्तक्षेप के बाद शव को अस्पताल प्रबंधन ने छोड़ा।

परिजनों के लाख आग्रह करने के बाद जब अस्पताल प्रशासन नहीं माना तो परिजन ने मीडिया का सहारा लिया।जिसके बाद प्रबंधन ने मृतक के शव को बिना पैसे लिए ही छोड़ने का निर्णय लिया वहीं परिजनों को शव लेने के बाद मीडिया को धन्यवाद दिया।

बाइट- मोहन कुमार,परिजन
बाइट-मृतक का पति।



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