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लालू न 'किंगमेकर' रहे, न बन पाएंगे 'किंग', पहले चुनाव लड़ने से हुए थे अयोग्य अब नहीं दे सकेंगे वोट - रांची

वक्त किसी का नहीं होता. जब वो आप पर मेहरबान हो तो आप बुलंदी पर होते हैं. लेकिन वही वक्त बेरहम हो जाए तो जिंदगी बेरंग हो जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है लालू यादव के साथ.

लालू यादव(फाइल फोटो)
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Published : Apr 5, 2019, 6:57 PM IST

Updated : Apr 5, 2019, 7:48 PM IST

रांचीः राजनीति में लंबे समय तक किंग मेकर की भूमिका में रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें ऐसा दिन देखना पड़ेगा. चारा ने उन्हें आज बेचारा कर दिया है. सजायाफ्ता होने की वजह से इस बार वो चुनावी माहौल से दूर रहने को मजबूर हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता लालू को चुनाव लड़ने की मनाही हो गई है. वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद होने की वजह से वह लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग भी नहीं कर पाएंगे. बिहार की राजधानी पटना की दोनों संसदीय सीटों के लिए 17 अप्रैल को पांचवें चरण में वोट डाले जाएंगे.

दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के पांचवीं धारा में मतदान से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है. उसके सेक्शन 62 में मत देने के अधिकार को परिभाषित करते हुए उसकी पांचवी धारा में साफ लिखा हुआ है कि कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन में मत नहीं देगा यदि वह कारावास या निर्वासन के दंडादेश के अधीन या अन्यथा कारावास में या युद्ध पर है या पुलिस की विधि पूर्ण अभिरक्षा में है.

प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार जेल में बंद कैदी वोट नहीं डाल सकते हैं. लेकिन चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के दौरान अगर जेल में बंद व्यक्ति 2 साल से अधिक सजा पाता है तब वह चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो जाएगा. संभवत यह पहला मौका होगा जब लालू यादव के जैसे नेता को इस तरह का सेटबैक लगा हो.

90 के दशक में भारतीय राजनीति में 'गरीबों के मसीहा' के विशेषण के साथ उभरे लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं. रांची के होटवार जेल में तबीयत खराब होने के बाद से वो लंबे समय से रिम्स में इलाजरत हैं. दरअसल, उन्हें 2013 में सीबीआई की एक अदालत में 5 साल के लिए सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. जिसकी वजह से वह पिछला लोकसभा इलेक्शन नहीं लड़ पाए थे और न ही बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में खड़े हो पाए थे. प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के 120 बी के तहत उन पर आरोप साबित हुआ था. इसलिए उन्हें दोषी करार दिया गया था.

सजा मिलने के बाद 2024 तक उनके इलेक्शन लड़ने की संभावनाओं पर पहले ही विराम लग गया था. राजद सुप्रीमो ने 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में ने 28 अक्टूबर को अपने परिवार के साथ पटना के वेटनरी कॉलेज कैंपस में बने पोलिंग बूथ में अपना वोट डाला था. उनके परिवार पर अगर नजर डालें तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार विधानमंडल में राजद विधायक दल की नेता हैं. वहीं, बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. तेजस्वी राघोपुर विधानसभा इलाके से विधायक हैं, जबकि दूसरे बेटे और अक्सर चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप महुआ से विधायक हैं. पूर्ववर्ती सरकार में तेजस्वी जहां डिप्टी चीफ मिनिस्टर थे, वहीं तेज प्रताप के जिम्मे हेल्थ मिनिस्ट्री थी.

रांचीः राजनीति में लंबे समय तक किंग मेकर की भूमिका में रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें ऐसा दिन देखना पड़ेगा. चारा ने उन्हें आज बेचारा कर दिया है. सजायाफ्ता होने की वजह से इस बार वो चुनावी माहौल से दूर रहने को मजबूर हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता लालू को चुनाव लड़ने की मनाही हो गई है. वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद होने की वजह से वह लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग भी नहीं कर पाएंगे. बिहार की राजधानी पटना की दोनों संसदीय सीटों के लिए 17 अप्रैल को पांचवें चरण में वोट डाले जाएंगे.

दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के पांचवीं धारा में मतदान से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है. उसके सेक्शन 62 में मत देने के अधिकार को परिभाषित करते हुए उसकी पांचवी धारा में साफ लिखा हुआ है कि कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन में मत नहीं देगा यदि वह कारावास या निर्वासन के दंडादेश के अधीन या अन्यथा कारावास में या युद्ध पर है या पुलिस की विधि पूर्ण अभिरक्षा में है.

प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार जेल में बंद कैदी वोट नहीं डाल सकते हैं. लेकिन चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के दौरान अगर जेल में बंद व्यक्ति 2 साल से अधिक सजा पाता है तब वह चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो जाएगा. संभवत यह पहला मौका होगा जब लालू यादव के जैसे नेता को इस तरह का सेटबैक लगा हो.

90 के दशक में भारतीय राजनीति में 'गरीबों के मसीहा' के विशेषण के साथ उभरे लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं. रांची के होटवार जेल में तबीयत खराब होने के बाद से वो लंबे समय से रिम्स में इलाजरत हैं. दरअसल, उन्हें 2013 में सीबीआई की एक अदालत में 5 साल के लिए सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. जिसकी वजह से वह पिछला लोकसभा इलेक्शन नहीं लड़ पाए थे और न ही बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में खड़े हो पाए थे. प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के 120 बी के तहत उन पर आरोप साबित हुआ था. इसलिए उन्हें दोषी करार दिया गया था.

सजा मिलने के बाद 2024 तक उनके इलेक्शन लड़ने की संभावनाओं पर पहले ही विराम लग गया था. राजद सुप्रीमो ने 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में ने 28 अक्टूबर को अपने परिवार के साथ पटना के वेटनरी कॉलेज कैंपस में बने पोलिंग बूथ में अपना वोट डाला था. उनके परिवार पर अगर नजर डालें तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार विधानमंडल में राजद विधायक दल की नेता हैं. वहीं, बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. तेजस्वी राघोपुर विधानसभा इलाके से विधायक हैं, जबकि दूसरे बेटे और अक्सर चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप महुआ से विधायक हैं. पूर्ववर्ती सरकार में तेजस्वी जहां डिप्टी चीफ मिनिस्टर थे, वहीं तेज प्रताप के जिम्मे हेल्थ मिनिस्ट्री थी.

Intro:
लालू यादव का फ़ाइल वीडियो वाटस अप पर है

रांची। देश की राजनीति में लंबे समय तक किंग मेकर की भूमिका में रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें ऐसा दिन देखना पड़ेगा। चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता लालू को अदालत के फैसले के बाद चुनाव लड़ने की मनाही हो गई है वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद होने की वजह से वह लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग भी नहीं कर पाएंगे। बिहार की राजधानी पटना थी दोनो संसदीय सीटों के लिए 17 अप्रैल को पांचवें चरण में वोट डाले जाएंगे।
दरसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के पांचवें अध्याय में मतदान से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। उसके सेक्शन 62 में मत देने का अधिकार को परिभाषित करते हुए उसके पांचवी धारा में साफ लिखा हुआ है कि कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचन में मत नहीं देगा यदि वह कारावास या निर्वासन के दंडादेश के अधीन या अन्यथा कारावास में पर युद्ध है या पुलिस की विधि पूर्ण अभिरक्षा में है।




Body:प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार जेल में बंद कैदी वोट नहीं डाल सकते हैं लेकिन चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के दौरान अगर ज3ल में बंद व्यक्ति 2 साल से अधिक सजा पाता हैं तब वह चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो जाएगा। संभवत यह पहला मौका होगा जब लालू यादव के स्ट्रेचर जैसे नेता को इस तरह का सेटबैक लगा हो। 90 के दशक में भारतीय राजनीति में 'गरीबों के मसीहा' के विशेषण के साथ उभरे लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता है। रांची के होटवार जेल में तबीयत खराब होने के बाद से वो लंबे समय से रिम्स में इलाजरत हैं। दरअसल उन्हें 2013 में सीबीआई की एक अदालत में 5 साल के लिए सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। जिसकी वजह से वह पिछला लोकसभा इलेक्शन नहीं लड़ पाए थे और ना ही बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में खड़े हो पाए थे। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के 120 बी के तहत उन पर आरोप साबित हुआ था इसलिए उन्हें दोषी करार दिया गया था।







Conclusion:सजा मिलने के बाद 2024 तक उनके इलेक्शन लड़ने के संभावनाओं पर पहले ही विराम लग गया था।

राजद सुप्रीमो ने 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में ने 28 अक्टूबर को अपने परिवार के साथ पटना के वेटनरी कॉलेज कैंपस में बने पोलिंग बूथ में अपना वोट डाला था। उनके परिवार पर अगर नजर डालें तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार विधानमंडल में राजद विधायक दल के नेता है।वहीं बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। तेजस्वी राघोपुर विधानसभा इलाके से विधायक हैं जबकि दूसरे बेटे और अक्सर चर्चा में रहने वाले तेज प्रताप महुआ से विधायक हैं। पूर्ववर्ती सरकार में तेजस्वी जहां डिप्टी चीफ मिनिस्टर थे वही तेज प्रताप के जिम्मे हेल्थ मिनिस्ट्री थी।
Last Updated : Apr 5, 2019, 7:48 PM IST
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