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Lok sabha election 2019: झारखंड पुलिस है तैयार, इस बार होगी 10 फीसदी ज्यादा फोर्स की तैनाती

लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने की तैयारियों में लग गई है. झारखंड में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए इस बार सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है. 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में दस फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल झारखंड में तैनात रहेंगे.

जानकारी देते एडीजी अभियान एमएल मीणा.
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Published : Mar 11, 2019, 8:13 AM IST


रांची: लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने की तैयारियों में लग गई है. झारखंड में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए इस बार सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है. 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में दस फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल झारखंड में तैनात रहेंगे.

जानकारी देते एडीजी अभियान एमएल मीणा.

झारखंड पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 10 फीसदी अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है. चुनाव के मद्देनजर नक्सल प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहले में अत्यंत संवेदनशील दूसरे में संवेदनशील और तीसरे में जनरल श्रेणी के तहत फोर्स तैनात किए जाएंगे. जिले के एसपी बूथों का भ्रमण कर यह निर्धारित करेंगे कि कौन सा बूथ अत्यंत संवेदनशील है. उसके बाद वहां पर फोर्स की तैनाती या फिर उनकी संख्या कितनी रहेगी इसका निर्णय लिया जाएगा.

झारखंड के 13 जिले हैं नक्सल प्रभावित
झारखंड का 13 जिले नक्सल प्रभावित है जिनमें खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह,पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो शामिल है. लोकसभा चुनाव के पहले से ही इन जिलों में बड़े पैमाने पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी जाएगी. नक्सली गतिविधियों के लिहाज से झारखंड का सरायकेला पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद और गोड्डा को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. वहीं, जामताड़ा,पाकुड़, रामगढ़ और कोडरमा को कम संवेदनशील जिले के श्रेणी में रखा गया है. देवघर और साहिबगंज जिला में माओवादियों की गतिविधियां नहीं पाई गई है.

जारी है विशेष ट्रेनिंग
झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि नक्सलियों से निपटने की हरसंभव तैयारी की जा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव में नक्सलियो ने लैंडमाइंस और आईडी का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया था. ऐसे में राज्य पुलिस ने चुनाव कार्य के लिए सीआरपीएफ के साथ साथ सभी पुलिस टीम को विशेष ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है. चुनाव से पहले नक्सलियों से निपटने की सभी तरह की ट्रेनिंग सुरक्षा बलों को दी जा रही है जिसका फायदा उन्हें चुनाव के दौरान मिलेगा.

क्यों दी जा रही ट्रेनिंग ?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आखिरी चरण में नक्सलियों ने जमकर उत्पात मचाया था. झारखंड की उपराजधानी दुमका में नक्सलियों ने मतदान करा कर लौट रहे पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था. इस दौरान नक्सलियों ने मतदान पार्टी के वाहन को आईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. इस घटना में 5 सुरक्षाकर्मी समेत आठ मतदान कर्मी मारे गए थे. यही वजह है कि इस बार पुलिस मुख्यालय चुनाव के दौरान किसी भी तरह का चूक नहीं चाहता है. सुरक्षा के लिए अपने जवानों और अधिकारियों को नक्सलियों के लैंड माइंस और आईडी बमों से निपटने के गुर सिखाया जा रहा है.



रांची: लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने की तैयारियों में लग गई है. झारखंड में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए इस बार सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है. 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में दस फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल झारखंड में तैनात रहेंगे.

जानकारी देते एडीजी अभियान एमएल मीणा.

झारखंड पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 10 फीसदी अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है. चुनाव के मद्देनजर नक्सल प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहले में अत्यंत संवेदनशील दूसरे में संवेदनशील और तीसरे में जनरल श्रेणी के तहत फोर्स तैनात किए जाएंगे. जिले के एसपी बूथों का भ्रमण कर यह निर्धारित करेंगे कि कौन सा बूथ अत्यंत संवेदनशील है. उसके बाद वहां पर फोर्स की तैनाती या फिर उनकी संख्या कितनी रहेगी इसका निर्णय लिया जाएगा.

झारखंड के 13 जिले हैं नक्सल प्रभावित
झारखंड का 13 जिले नक्सल प्रभावित है जिनमें खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह,पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो शामिल है. लोकसभा चुनाव के पहले से ही इन जिलों में बड़े पैमाने पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी जाएगी. नक्सली गतिविधियों के लिहाज से झारखंड का सरायकेला पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद और गोड्डा को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. वहीं, जामताड़ा,पाकुड़, रामगढ़ और कोडरमा को कम संवेदनशील जिले के श्रेणी में रखा गया है. देवघर और साहिबगंज जिला में माओवादियों की गतिविधियां नहीं पाई गई है.

जारी है विशेष ट्रेनिंग
झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि नक्सलियों से निपटने की हरसंभव तैयारी की जा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव में नक्सलियो ने लैंडमाइंस और आईडी का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया था. ऐसे में राज्य पुलिस ने चुनाव कार्य के लिए सीआरपीएफ के साथ साथ सभी पुलिस टीम को विशेष ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है. चुनाव से पहले नक्सलियों से निपटने की सभी तरह की ट्रेनिंग सुरक्षा बलों को दी जा रही है जिसका फायदा उन्हें चुनाव के दौरान मिलेगा.

क्यों दी जा रही ट्रेनिंग ?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आखिरी चरण में नक्सलियों ने जमकर उत्पात मचाया था. झारखंड की उपराजधानी दुमका में नक्सलियों ने मतदान करा कर लौट रहे पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था. इस दौरान नक्सलियों ने मतदान पार्टी के वाहन को आईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. इस घटना में 5 सुरक्षाकर्मी समेत आठ मतदान कर्मी मारे गए थे. यही वजह है कि इस बार पुलिस मुख्यालय चुनाव के दौरान किसी भी तरह का चूक नहीं चाहता है. सुरक्षा के लिए अपने जवानों और अधिकारियों को नक्सलियों के लैंड माइंस और आईडी बमों से निपटने के गुर सिखाया जा रहा है.


Intro:लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही झारखंड पुलिस चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए अपनी तैयारियों में लग गई है।इस बीच झारखंड के लिए एक अच्छी खबर यह है कि झारखंड में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न करवाने के लिए इस बार सुरक्षाबलों की संख्या में बढ़ोतरी की गई है । 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में दस फीसदी ज्यादा सुरक्षा बल झारखंड में तैनात रहेंगे।

तीन श्रेणियो में बाटे गए जिले

झारखंड पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 10 फ़ीसदी अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है ।चुनाव के मद्देनजर नक्सल प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहले में अत्यंत संवेदनशील दूसरे में संवेदनशील और तीसरे में जनरल श्रेणी के तहत फोर्स तैनात किए जाएंगे। जिले के एसपी बूथों का भ्रमण कर यह निर्धारित करेंगे कि कौन सा बूथ अत्यंत संवेदनशील है। उसके बाद वहां पर फोर्स की तैनाती या फिर उनकी संख्या कितनी रहेगी इसका निर्णय लिया जाएगा।

झारखंड के 13 जिले हैं नक्सल प्रभावित

झारखंड का 13 जिले नक्सल प्रभावित है ।जिनमें खूंटी, गुमला लातेहार ,सिमडेगा , पश्चिमी सिंहभूम ,रांची ,दुमका ,गिरिडीह , पलामू , गढ़वा , चतरा , लोहरदगा और बोकारो शामिल है। लोकसभा चुनाव के पहले से ही इन जिलों में बड़े पैमाने पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी जाएगी। नक्सली गतिविधियों के लिहाज से झारखंड का सरायकेला पूर्वीसिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद , और गोड्डा को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है ।वहीं जामताड़ा ,पाकुड़ ,रामगढ़ और कोडरमा को कम संवेदनशील जिले के श्रेणी में रखा गया है। देवघर और साहिबगंज जिला में माओवादियों की गतिविधियां नहीं पाई गई है।

विशेष ट्रेनिंग है जारी

झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि नक्सलियों से निपटने की हरसंभव तैयारी की जा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव में नक्सलियो ने लैंडमाइंस और आईडी का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया था। ऐसे में राज्य पुलिस ने चुनाव कार्य के लिए सीआरपीएफ के साथ साथ सभी पुलिस टीम को विशेष ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है। चुनाव से पहले नक्सलियों से निपटने की सभी तरह की ट्रेनिंग सुरक्षा बलों को दी जा रही है जिसका फायदा उन्हें चुनाव के दौरान मिलेगा।

क्यो दी जा रही ट्रेनिंग

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आखिरी चरण में नक्सलियों ने जमकर उत्पात मचाया था। झारखंड की उपराजधानी दुमका में नक्सलियों ने मतदान करा कर लौट रहे पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था ।इस दौरान नक्सलियों ने मतदान पार्टी के वाहन को आईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था। इस घटना में 5 सुरक्षाकर्मी समेत आठ मतदान कर्मी मारे गए थे। यही वजह है कि इस बार पुलिस मुख्यालय चुनाव के दौरान किसी भी तरह का चूक नहीं चाहता है । सुरक्षा के लिए अपने जवानों और अधिकारियों को नक्सलियों के लैंड माइंस और आईडी बमों से निपटने के गुर सिखाया जा रहा है।

विजुवल बाईट

बीडीएस की टीम से ट्रेनिंग लेते अधिकारी और जवान
बाईट - एमएल मीणा , एडीजी अभियान , झारखंड पुलिस



Body:र


Conclusion:र
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