रांची: नेशनल गेम घोटाले में झारखंड के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की से एंटी करप्शन ब्यूरो ने बुधवार को पूछताछ की. एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी सादिक हसन रिजवी ने बंधु तिर्की से दो घंटे तक पूछताछ की है. हालांकि पूरी पूछताछ में बंधु तिर्की ने घोटाले में अपनी संलिप्तता से इंकार किया है.
एसीबी की पूछताछ में बंधु तिर्की ने बताया कि खेल मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने आयोजन समिति, क्रय समिति और निवेदन समिति की अनुशंसाओं का ही अनुमोदन किया था. बंधु के अनुसार तत्कालीन खेल निदेशक और खेल विभाग के सचिव के द्वारा विभिन्न समितियों के जरिए जो अनुशंसा भेजी गई थी उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए सिर्फ उन्हीं का अनुमोदन किया था.
पूछताछ में बंधु तिर्की ने बताया कि क्रय या निवेदन समिति के द्वारा जो भी टेंडर निकाले गए उन टेंडर में एल वन कंपनी को काम देने के संबंध में तत्कालीन खेल सचिव अनुशंसा भेजते थे. जिसका वे सिर्फ अनुमोदन करते थे. मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने खुद किसी एजेंसी को काम देने की अनुशंसा भी नहीं की थी. बंधु तिर्की ने एसपी को यह भी बताया कि नेशनल गेम के पहले ही सरकार अल्पमत में आकर गिर गई थी. जब खेल का आयोजन किया गया तब वह मंत्री भी नहीं थे. ऐसे में वो राष्ट्रीय खेल के दौरान लिए गए कई फैसलों में शामिल तक नहीं थे.
क्या है पूरा मामला
झारखंड में 2011 में हुए नेशनल गेम के दौरान धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई थी. स्क्वैश कोर्ट का निर्माण मुंबई की जाइरेक्स नामक कंपनी ने किया था. वहीं प्रस्ताव पर निदेशक एवं सचिव की अनुशंसा के बाद विभाग के मंत्री के पास अनुमोदन की फाइल भेजी गई थी. अक्टूबर 2008 को तत्कालीन खेल मंत्री बंधु तिर्की ने इसे अनुमोदित किया था. कंपनी को स्क्वैश कोर्ट के निर्माण के लिए 50 लाख रूपये अग्रिम दिए गए थे. लेकिन बाद में भुगतान से संबंधित प्रस्ताव की कोई स्वीकृति विभाग से नहीं ली गई. इस कारण मामले में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई थी और इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को दी गई थी.