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बोकारो: कोयला उद्योग में तीन दिवसीय हड़ताल का पहला दिन, कमर्शियल माइनिंग नीति का विरोध

बेमरो में कोल इंडिया में कमर्शियल माइनिंग और अन्य मुद्दे को लेकर ट्रेड यूनियनों की तरफ से तीन दिवसीय हड़ताल की शुरुआत की गई है. हड़ताल में सभी श्रमिक संगठन और मजदूर शामिल हैं. इस तीन दिवसीय हड़ताल से ट्रेड यूनियन सरकार पर खदानों का निजीकरण नहीं करने के लिए दबाव बनाना चाहते हैं.

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कमर्शियल माइनिंग नीति
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Published : Jul 2, 2020, 4:37 PM IST

बेरमो, बोकारो: कमर्शियल माइनिंग और कोल ब्लॉक निजीकरण को लेकर पूरे बेरमो कोयलांचल में हड़ताल का असर साफ दिख रहा हैं. पहली शिफ्ट का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है. बंदी से सीसीएल को करोड़ों का नुकसान हुआ हुआ है. वहीं यह हड़ताल अभी तीन दिनों तक जारी रहेगी. सभी ट्रेड यूनियनों ने सरकार से कानून वापस लेने की मांग की है. कोयला उद्योग में सारे मजदूर कमर्शियल माइनिंग सहित छह सूत्री मांग को लेकर गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए है. वहीं कोल इंडिया के करीब सवा तीन लाख कर्मचारी इसमें शामिल हैं.

कमर्शियल माइनिंग की नीति को वापस ले सरकार
ट्रेड यूनियनों की ओर से कहा गया कि कोयला उद्योग में सरकार ने कॉमर्सियल माइनिंग की नीति अपनाई है. सरकार कोयला उद्योग को फिर से नेशनलाइजेशन के पहले की स्थित में ले जाना चाहती है, जो कोयला मजदूरों को मंजूर नहीं. इसलिए जब तक सरकार कॉमर्सियल माइनिंग की नीति को वापस नहीं लेती हड़ताल वापस नहीं होगी. यह भी कहा कि प्रमाणित हो गया है कि कमर्शियल माइनिंग से देश मे कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता.

इसे भी पढ़ें-बोकारोः व्यवसायियों ने की कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात, किया सम्मानित

कमर्शियल माइनिंग की नीति के खिलाफ
ट्रेड यूनियनों की ओर से यह तर्क दिया गया कि 2015 से अबतक 112 कोल ब्लॉक सरकार आबंटित कर चुकी है, पर ये सभी ब्लॉक मिलकर अबतक सिर्फ लगभग 35 मिलियन टन का ही उत्पादन कर पाए हैं. कोयला मजदूर कमर्शियल माइनिंग की नीति के खिलाफ बहुत गुस्से में है.

हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान
सभी श्रमिक नेताओं ने कोयला मजदूरों से तीन दिन की हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया है. वहीं सीसीएल प्रबंधन की ओर से सुरक्षा को लेकर भी सीआईएसएफ और जिला पुलिस की भी व्यवस्था की गई है.

बेरमो, बोकारो: कमर्शियल माइनिंग और कोल ब्लॉक निजीकरण को लेकर पूरे बेरमो कोयलांचल में हड़ताल का असर साफ दिख रहा हैं. पहली शिफ्ट का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है. बंदी से सीसीएल को करोड़ों का नुकसान हुआ हुआ है. वहीं यह हड़ताल अभी तीन दिनों तक जारी रहेगी. सभी ट्रेड यूनियनों ने सरकार से कानून वापस लेने की मांग की है. कोयला उद्योग में सारे मजदूर कमर्शियल माइनिंग सहित छह सूत्री मांग को लेकर गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए है. वहीं कोल इंडिया के करीब सवा तीन लाख कर्मचारी इसमें शामिल हैं.

कमर्शियल माइनिंग की नीति को वापस ले सरकार
ट्रेड यूनियनों की ओर से कहा गया कि कोयला उद्योग में सरकार ने कॉमर्सियल माइनिंग की नीति अपनाई है. सरकार कोयला उद्योग को फिर से नेशनलाइजेशन के पहले की स्थित में ले जाना चाहती है, जो कोयला मजदूरों को मंजूर नहीं. इसलिए जब तक सरकार कॉमर्सियल माइनिंग की नीति को वापस नहीं लेती हड़ताल वापस नहीं होगी. यह भी कहा कि प्रमाणित हो गया है कि कमर्शियल माइनिंग से देश मे कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता.

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कमर्शियल माइनिंग की नीति के खिलाफ
ट्रेड यूनियनों की ओर से यह तर्क दिया गया कि 2015 से अबतक 112 कोल ब्लॉक सरकार आबंटित कर चुकी है, पर ये सभी ब्लॉक मिलकर अबतक सिर्फ लगभग 35 मिलियन टन का ही उत्पादन कर पाए हैं. कोयला मजदूर कमर्शियल माइनिंग की नीति के खिलाफ बहुत गुस्से में है.

हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान
सभी श्रमिक नेताओं ने कोयला मजदूरों से तीन दिन की हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया है. वहीं सीसीएल प्रबंधन की ओर से सुरक्षा को लेकर भी सीआईएसएफ और जिला पुलिस की भी व्यवस्था की गई है.

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