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19 राजस्व गांव की करीब 1 लाख की आबादी लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई, जानिए क्या है वजह - बोकारो की एक लाख की आबादी योजनाओं से महरूम

बोकारो में 19 राजस्व गांव ऐसे हैं जो ना तो शहर में है और ना ही पंचायत में, इन गांवों को पंचायत में शामिल नहीं किए जाने से यहां केंद्र और राज्य सरकार की विकास योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. अब ग्रामीणों ने राज्य सरकार से जल्द से जल्द इन गांवों को पंचायत का दर्जा दिलाने की मांग की है.

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अस्तित्व की लड़ाई
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Published : Sep 22, 2020, 6:33 AM IST

बोकारोः बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण में अपनी जमीन देने वाले उत्तरी विस्थापित क्षेत्र में रहने वाले लोग सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. जिस कारण गांव के लोग अब इन गांव को पंचायत में शामिल करने की मांग करने लगे हैं, ऐसे तो मांग इनकी पुरानी है लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इनकी सुध नहीं ली है. बोकारो में दो बार पंचायत का चुनाव संपन्न हो गया बावजूद इस गांव को पंचायत में शामिल नहीं किया गया.

देखें पूरी खबर

करीब 1 लाख की आबादी का वजूद नहीं

उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के 19 राजस्व गांव के 44 टोला का जिसकी आबादी लगभग एक लाख है. इस गांव में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की विकास योजनाओं का लाभ गांव वालों को नहीं मिल रहा है. इस गांव के लोगों ने अपनी जमीन देकर बोकारो स्टील कारखाने का निर्माण कराया है. गांव में बोकारो स्टील की ओर से भी कोई विकास का काम नहीं किया जाता है. गांव वालों का कहना है यहां हम लोग विधायक सांसद तो जरूर चुनते हैं. लेकिन वो लोग सिर्फ वोट मांगने के लिए यहां आते हैं. जब वह चुनाव में जीत जाते हैं तो इन गांवों की सुध तक लेना यह लोग जरूरी नहीं समझते. यही कारण है कि चुनाव के दौरान नेता से लेकर मुख्यमंत्री तक सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं कि इस गांव को पंचायत में शामिल किया जाएगा. लेकिन कई चुनाव बीत गए लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है.

मुख्यमंत्री हेमंत ने भी किया था वादा

ग्रामीणों का कहना है पिछले चुनाव में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सेक्टर 9 चुनाव प्रचार के दौरान आए थे और उन्होंने भी यह वादा किया था इन गांव को पंचायत में शामिल करा लिया जाएगा. लेकिन इतने दिनों बीत जाने के बाद भी इस दिशा में उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि हम लोगों ने कई बार राज्य सरकार से लेकर उपायुक्त को इस विषय पर पत्र लिखा है लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्रवाई शुरू नहीं की गई है. इन गांवों को पंचायत में शामिल करने के लिए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने जून महीने में उपायुक्त को पत्र लिखकर इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी. लेकिन उस पत्र पर भी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है. हाल के दिनों में जब ग्रामीण विकास मंत्री बोकारो आए थे तो उनसे विस्थापित क्षेत्र के लोगों ने मिलकर इस विषय पर अपनी बात रखी थी. जिस पर ग्रामीण विकास मंत्री ने उपायुक्त से जल्द इस दिशा में कार्रवाई की बात का निर्देश दिया है.

इसे भी पढ़ें- किराया दोगुना-आमदनी आधी, कम यात्री के साथ दोगुना किराया, मंदा चल रहा ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय

मयस्सर नहीं बुनियादी सुविधाएं

गांव की आदिवासी महिला का कहना है कि इस क्षेत्र को पंचायत में शामिल नहीं किए जाने से हम लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जिस कारण हम लोगों को मिट्टी के घर पर रहना पड़ता है. महिला का कहना है कि अगर यह गांव पंचायत में होता तो आज हमें प्रधानमंत्री आवास का लाभ भी मिलता. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि उत्तरी क्षेत्र को जोड़ने वाली मुख्य सड़क इतनी जर्जर है कि अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए तो बोकारो शहर पहुंचते-पहुंचते रास्ते में ही इसका प्रसव हो जाएगा. लोग सरकार और बोकारो स्टील प्रबंधन के रवैए से नाराज हैं. लोगों का कहना है कि हम लोगों को पीने का पानी भी मुहैया नहीं हो पा रहा है.

गांवों को मिले पंचायत का दर्जाः डीसी

इस मुद्दे पर जब बोकारो के उपायुक्त राजेश सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि वंचित गांवों को पंचायत में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि पंचायत में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को निर्णय लेना है हम लोग इस दिशा में कार्रवाई शुरू करेंगे ताकि जल्द से जल्द इन गांवों को पंचायत का दर्जा मिल सके. अब देखना यह है किन लोगों की मांग कब तक पूरी हो पाती है.

बोकारोः बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण में अपनी जमीन देने वाले उत्तरी विस्थापित क्षेत्र में रहने वाले लोग सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. जिस कारण गांव के लोग अब इन गांव को पंचायत में शामिल करने की मांग करने लगे हैं, ऐसे तो मांग इनकी पुरानी है लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इनकी सुध नहीं ली है. बोकारो में दो बार पंचायत का चुनाव संपन्न हो गया बावजूद इस गांव को पंचायत में शामिल नहीं किया गया.

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करीब 1 लाख की आबादी का वजूद नहीं

उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के 19 राजस्व गांव के 44 टोला का जिसकी आबादी लगभग एक लाख है. इस गांव में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की विकास योजनाओं का लाभ गांव वालों को नहीं मिल रहा है. इस गांव के लोगों ने अपनी जमीन देकर बोकारो स्टील कारखाने का निर्माण कराया है. गांव में बोकारो स्टील की ओर से भी कोई विकास का काम नहीं किया जाता है. गांव वालों का कहना है यहां हम लोग विधायक सांसद तो जरूर चुनते हैं. लेकिन वो लोग सिर्फ वोट मांगने के लिए यहां आते हैं. जब वह चुनाव में जीत जाते हैं तो इन गांवों की सुध तक लेना यह लोग जरूरी नहीं समझते. यही कारण है कि चुनाव के दौरान नेता से लेकर मुख्यमंत्री तक सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं कि इस गांव को पंचायत में शामिल किया जाएगा. लेकिन कई चुनाव बीत गए लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है.

मुख्यमंत्री हेमंत ने भी किया था वादा

ग्रामीणों का कहना है पिछले चुनाव में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सेक्टर 9 चुनाव प्रचार के दौरान आए थे और उन्होंने भी यह वादा किया था इन गांव को पंचायत में शामिल करा लिया जाएगा. लेकिन इतने दिनों बीत जाने के बाद भी इस दिशा में उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि हम लोगों ने कई बार राज्य सरकार से लेकर उपायुक्त को इस विषय पर पत्र लिखा है लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्रवाई शुरू नहीं की गई है. इन गांवों को पंचायत में शामिल करने के लिए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने जून महीने में उपायुक्त को पत्र लिखकर इस दिशा में कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी. लेकिन उस पत्र पर भी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है. हाल के दिनों में जब ग्रामीण विकास मंत्री बोकारो आए थे तो उनसे विस्थापित क्षेत्र के लोगों ने मिलकर इस विषय पर अपनी बात रखी थी. जिस पर ग्रामीण विकास मंत्री ने उपायुक्त से जल्द इस दिशा में कार्रवाई की बात का निर्देश दिया है.

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मयस्सर नहीं बुनियादी सुविधाएं

गांव की आदिवासी महिला का कहना है कि इस क्षेत्र को पंचायत में शामिल नहीं किए जाने से हम लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जिस कारण हम लोगों को मिट्टी के घर पर रहना पड़ता है. महिला का कहना है कि अगर यह गांव पंचायत में होता तो आज हमें प्रधानमंत्री आवास का लाभ भी मिलता. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि उत्तरी क्षेत्र को जोड़ने वाली मुख्य सड़क इतनी जर्जर है कि अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए तो बोकारो शहर पहुंचते-पहुंचते रास्ते में ही इसका प्रसव हो जाएगा. लोग सरकार और बोकारो स्टील प्रबंधन के रवैए से नाराज हैं. लोगों का कहना है कि हम लोगों को पीने का पानी भी मुहैया नहीं हो पा रहा है.

गांवों को मिले पंचायत का दर्जाः डीसी

इस मुद्दे पर जब बोकारो के उपायुक्त राजेश सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि वंचित गांवों को पंचायत में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि पंचायत में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को निर्णय लेना है हम लोग इस दिशा में कार्रवाई शुरू करेंगे ताकि जल्द से जल्द इन गांवों को पंचायत का दर्जा मिल सके. अब देखना यह है किन लोगों की मांग कब तक पूरी हो पाती है.

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