बोकारो: संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कोयला उद्योग में सौ फीसदी एफडीआई के खिलाफ हड़ताल किया. इस हड़ताल में कोलकर्मियों ने भी पूरा समर्थन किया. इस हड़ताल की वजह से कोयला खदानों में कोयले का उत्पादन ठप पड़ गया.
हड़ताल का दिखा असर
कोयला उत्पदन में लगने वाली गाड़ियों का परिचालन भी पूरी तरह ठप रहा. इस हड़ताल के जरिए संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार से कोयला उद्योगों के लिए आत्मधाती एफडीआई के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग रखी है. इस हड़ताल में भाजपा से जुड़ी भारतीय मजूदर संघ ने भी मंगलवार से पांच दिवसीय हड़ताल शुरू किया है.
हड़ताल पर उतरे कोयलाकर्मी मानते हैं कि सौ फीसदी एफडीआई का मतलब है देश के कोयला उद्योगों का सत्यानाश होना. कोयलाकर्मी सरकार के इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. उनका जोर है कि कोयला उद्योगों को सरकार खुद ध्यान देकर बेहतर करे, ताकि कोयले के उत्पादन में लगे कोलकर्मी खुशहाल रहकर देश की आर्थिक औद्योगिक प्रगति में अपना योगदान दे सके.
ये भी देखें- बेटे को लेकर प्रेमिका के साथ भागा पति, पत्नी ने कहा- जिसके साथ रहना है रहें, मेरा बच्चा लौटा दें
मजदूर विरोधी नीति
मजदूरों को सरकार की मौजूदा श्रम विरोधी नीतियां भी आहत कर रही हैं. मजदूर अस्मिता की रक्षा का सवाल भी जोड़कर अपनी पूरी शक्ति से हड़ताल पर आए हैं. मजदूरों की यह हड़ताल महज एक आम हड़ताल नहीं होकर कोयलाकर्मियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है. इंटक ने संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रव्यापी कोल हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बताया है. जिसके बाद कहा कि कोयलाश्रमिकों ने अपनी हड़ताल को कामयाब कर सरकार को यह बता दिया है कि उसे मजदूर विरोधी और कोयला उद्योग विरोधी एफडीआई मंजूर नहीं है.