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बोकारो: कोयला उद्योग में सौ फीसदी FDI के खिलाफ हड़ताल, सीसीएल और बीसीसीएल में दिखा असर - संयुक्त ट्रेड यूनियन के तले हड़ताल

बोकारो में संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कोयला उद्योगों में सौ फीसदी एफडीआई के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल किया. हड़ताल से सीसीएल और बीसीसीएल की खदानों पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

संयुक्त ट्रेड यूनियन की हड़ताल
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Published : Sep 25, 2019, 2:27 PM IST

बोकारो: संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कोयला उद्योग में सौ फीसदी एफडीआई के खिलाफ हड़ताल किया. इस हड़ताल में कोलकर्मियों ने भी पूरा समर्थन किया. इस हड़ताल की वजह से कोयला खदानों में कोयले का उत्पादन ठप पड़ गया.

देखें पूरी खबर

हड़ताल का दिखा असर
कोयला उत्पदन में लगने वाली गाड़ियों का परिचालन भी पूरी तरह ठप रहा. इस हड़ताल के जरिए संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार से कोयला उद्योगों के लिए आत्मधाती एफडीआई के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग रखी है. इस हड़ताल में भाजपा से जुड़ी भारतीय मजूदर संघ ने भी मंगलवार से पांच दिवसीय हड़ताल शुरू किया है.

हड़ताल पर उतरे कोयलाकर्मी मानते हैं कि सौ फीसदी एफडीआई का मतलब है देश के कोयला उद्योगों का सत्यानाश होना. कोयलाकर्मी सरकार के इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. उनका जोर है कि कोयला उद्योगों को सरकार खुद ध्यान देकर बेहतर करे, ताकि कोयले के उत्पादन में लगे कोलकर्मी खुशहाल रहकर देश की आर्थिक औद्योगिक प्रगति में अपना योगदान दे सके.

ये भी देखें- बेटे को लेकर प्रेमिका के साथ भागा पति, पत्नी ने कहा- जिसके साथ रहना है रहें, मेरा बच्चा लौटा दें

मजदूर विरोधी नीति
मजदूरों को सरकार की मौजूदा श्रम विरोधी नीतियां भी आहत कर रही हैं. मजदूर अस्मिता की रक्षा का सवाल भी जोड़कर अपनी पूरी शक्ति से हड़ताल पर आए हैं. मजदूरों की यह हड़ताल महज एक आम हड़ताल नहीं होकर कोयलाकर्मियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है. इंटक ने संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रव्यापी कोल हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बताया है. जिसके बाद कहा कि कोयलाश्रमिकों ने अपनी हड़ताल को कामयाब कर सरकार को यह बता दिया है कि उसे मजदूर विरोधी और कोयला उद्योग विरोधी एफडीआई मंजूर नहीं है.

बोकारो: संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कोयला उद्योग में सौ फीसदी एफडीआई के खिलाफ हड़ताल किया. इस हड़ताल में कोलकर्मियों ने भी पूरा समर्थन किया. इस हड़ताल की वजह से कोयला खदानों में कोयले का उत्पादन ठप पड़ गया.

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हड़ताल का दिखा असर
कोयला उत्पदन में लगने वाली गाड़ियों का परिचालन भी पूरी तरह ठप रहा. इस हड़ताल के जरिए संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार से कोयला उद्योगों के लिए आत्मधाती एफडीआई के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग रखी है. इस हड़ताल में भाजपा से जुड़ी भारतीय मजूदर संघ ने भी मंगलवार से पांच दिवसीय हड़ताल शुरू किया है.

हड़ताल पर उतरे कोयलाकर्मी मानते हैं कि सौ फीसदी एफडीआई का मतलब है देश के कोयला उद्योगों का सत्यानाश होना. कोयलाकर्मी सरकार के इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. उनका जोर है कि कोयला उद्योगों को सरकार खुद ध्यान देकर बेहतर करे, ताकि कोयले के उत्पादन में लगे कोलकर्मी खुशहाल रहकर देश की आर्थिक औद्योगिक प्रगति में अपना योगदान दे सके.

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मजदूर विरोधी नीति
मजदूरों को सरकार की मौजूदा श्रम विरोधी नीतियां भी आहत कर रही हैं. मजदूर अस्मिता की रक्षा का सवाल भी जोड़कर अपनी पूरी शक्ति से हड़ताल पर आए हैं. मजदूरों की यह हड़ताल महज एक आम हड़ताल नहीं होकर कोयलाकर्मियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है. इंटक ने संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रव्यापी कोल हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बताया है. जिसके बाद कहा कि कोयलाश्रमिकों ने अपनी हड़ताल को कामयाब कर सरकार को यह बता दिया है कि उसे मजदूर विरोधी और कोयला उद्योग विरोधी एफडीआई मंजूर नहीं है.

Intro:एफडीआई के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन ने किया हड़ताल
सौ फीसदी एफ डी आई के खिलाफ हड़ताल

कोयला उ़द्योगों में सौ फीसदी एफ डी आई के खिलाफ कोयलाकर्मियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का सी सी एल व बीसीसीएल के खदानों पर बुरा प्रभाव पड़ा है और चंद लोगों को छोड़कर अधिकांशकर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल की वजह से कोयला खदानों से कोयले का उत्पादन ठप्प पड गया है और कोयला उत्पदन में लगने वाली गाड़ियो का परिचालन पूरी तरह ठप्प पड़ गया है। इस हड़ताल के जरिये संयुक्त मोर्चा ने केन्द्र Body:सरकार से कोयला उद्योगों के लिए आत्मधाती एफडीआई निवेश के प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मंग पर जोर दिया है। इसी सवाल को लेकर भाजपा से जुड़ी भारतीय मजूदर संघ ने कल से पांच दिवसीय कोयला हड़ताल शुरू किया है। हड़ताल पर उतरे कोयलाकर्मी मानते हैं कि सौ फीसदी एफडीआई निवेश का मतलब है देश के कोयला उद्योगों का सत्यानाश कर देना। कोयलाकर्मी सरकार के इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं और उनका जोर है कि कोयला उद्योगों को सरकार खुद ध्यान देकर बेहतर करे ताकि कोयले का उत्पादन करने में लगे कोयलाकर्मी खुशहाल रहकर देश की आर्थिक औद्योगिक प्रगति में अपना योगदान दे सके। मजदूरों को सरकार की मौजूदा श्रम विरोधी नीतियां भी आहत कर रही है और वे मजदूर अस्मिता की रक्षा का सवाल भी जोड़कर अपनी पूरी शक्ति से हडताल पर आए हैं। Conclusion:मजदूरों की यह हड़ताल महज एक आम हड़ताल नहीं होकर कोयलाकर्मियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई का आंदंोलन है। इंटक ने संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रव्यापी कोल हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बताया है और कहा हे कि कोयलाश्रमिकों ने अपनी हड़ताल को कामयाब कर सरकार को यह बजा दिया है कि उसे मजदूर विरोधी व कोयला उद्योग विरोधी एफडीआई मंजूर नहीं।

बाईट- राजेन्द्र प्रसाद सिंह, पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय महामंत्री इंटक।         

बाईट - राजेश सिंह ,

बाईट सीसीएल बी एड के जिएम

बाईट रविन्द्र मिश्रा भारतीय मजदूर संघ
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