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School Of Excellence! सरकार की घोषणा के बावजूद स्कूल ऑफ एक्सीलेंस नहीं बना रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय, छात्रों की स्थिति दयनीय

हेमंत सरकार की घोषणा के बाद भी बोकारो का रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस नहीं बन सका. सरकार की घोषणा के बाद विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए शिक्षा मंत्री ने यहां शिलान्यास भी किया. शिलान्यास को एक साल होने को हैं, लेकिन अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ. वहीं विद्यालय की स्थिति काफी जर्जर है. क्सालरूम भी कम हैं, जिससे एक बेंच पर 7-8 बच्चे बैठते हैं. कभी-कभी बच्चों को ग्राउंड में बैठाने की भी नौबत आ जाती है.

Bokaro News
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Published : Feb 7, 2023, 5:26 PM IST

Updated : Feb 7, 2023, 5:38 PM IST

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बोकारो: हेमंत सरकार ने चास के रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक वादों और घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं मिला. हालांकि, सरकार की घोषणा के तहत 5 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने की बात कहते हुए इसका शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक भवन निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधारने को लेकर शिक्षा विभाग ने कसी कमर, जानिए क्या है तैयारी

रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय के साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, कसमार और प्रोजेक्ट गर्ल्स हाई स्कूल, नवाडीह का भी चयन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए हुए था. उन दोनों स्कूलों में भवन निर्माण का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय की स्थिति यह है कि यहां बच्चों को बैठने की भी जगह नहीं है. बार-बार बच्चों को क्लास रूम बदलना पड़ता है, एक बेंच पर सात-आठ स्टूडेंट्स बैठने को विवश हैं.

क्या है परेशानी: स्कूल में लगभग 2259 स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं. वहीं स्कूल में मात्र 11 कमरे और एक हॉल है. वहीं भवन हाई स्कूल का है. सरकार ने रामरुद्र स्कूल को वर्ष 2011 में प्लस टू स्कूल में अपग्रेड किया गया था. शिक्षक की पोस्टिंग हुई, लेकिन न भवन बना न सुविधाएं ही उपलब्ध कराई गई. बच्चों ने बताया कि क्लास में बैठने में स्टूडेंट्स को काफी परेशानी होती है. शिक्षक भी परेशान रहते हैं.

क्या कहते हैं छात्र और शिक्षक: बच्चों ने बताया कि क्लासरूम कम होने के कारण एक बेंच पर सात-आठ स्टूडेंट्स को बैठाया जाता है. वहीं क्लास ठसाठस भरा रहता है. भवन के आभाव में फिजिक्स लैब, आईटी लैब में क्लास चलता है, फिर भी बच्चे अधिक हो जाते हैं. कई बार बच्चों की उपस्थिति अधिक होने पर उन्हें फील्ड में बैठकर पढ़ाया जाता है. स्कूल की प्रभारी प्राचार्य नाहिद अख्तर ने बताया कि क्लासरूम की कमी से काफी परेशानी हो रही है. एक ओर जहां बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को बोला जा रहा है. दूसरी ओर स्कूल में बैठने की जगह नहीं है.

शिलान्यास के बाद टेंडर हुआ रद्द: 5 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शिलान्यास किया था. स्कूल भवन का निर्माण 6 करोड़ 39 लाख, 21 हजार की लागत से होने के लिए टेंडर हुआ. मेसर्स अजय कुमार सिंह को कार्य मिला. टेंडर 19 प्रतिशत कम हुआ था, इसलिए ठेकदार ने रुचि नहीं दिखाई. इसी बीच रांची से आए आर्किटेक्ट ने स्कूल भवन के निर्माण के लिए स्कूल के फील्ड में स्थान चयन कर प्रोजेक्ट बना दिया. स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया. फिर टेंडर कैंसल हो गया.

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बोकारो: हेमंत सरकार ने चास के रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक वादों और घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं मिला. हालांकि, सरकार की घोषणा के तहत 5 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस विद्यालय को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने की बात कहते हुए इसका शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक भवन निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है.

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रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय के साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, कसमार और प्रोजेक्ट गर्ल्स हाई स्कूल, नवाडीह का भी चयन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए हुए था. उन दोनों स्कूलों में भवन निर्माण का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय की स्थिति यह है कि यहां बच्चों को बैठने की भी जगह नहीं है. बार-बार बच्चों को क्लास रूम बदलना पड़ता है, एक बेंच पर सात-आठ स्टूडेंट्स बैठने को विवश हैं.

क्या है परेशानी: स्कूल में लगभग 2259 स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं. वहीं स्कूल में मात्र 11 कमरे और एक हॉल है. वहीं भवन हाई स्कूल का है. सरकार ने रामरुद्र स्कूल को वर्ष 2011 में प्लस टू स्कूल में अपग्रेड किया गया था. शिक्षक की पोस्टिंग हुई, लेकिन न भवन बना न सुविधाएं ही उपलब्ध कराई गई. बच्चों ने बताया कि क्लास में बैठने में स्टूडेंट्स को काफी परेशानी होती है. शिक्षक भी परेशान रहते हैं.

क्या कहते हैं छात्र और शिक्षक: बच्चों ने बताया कि क्लासरूम कम होने के कारण एक बेंच पर सात-आठ स्टूडेंट्स को बैठाया जाता है. वहीं क्लास ठसाठस भरा रहता है. भवन के आभाव में फिजिक्स लैब, आईटी लैब में क्लास चलता है, फिर भी बच्चे अधिक हो जाते हैं. कई बार बच्चों की उपस्थिति अधिक होने पर उन्हें फील्ड में बैठकर पढ़ाया जाता है. स्कूल की प्रभारी प्राचार्य नाहिद अख्तर ने बताया कि क्लासरूम की कमी से काफी परेशानी हो रही है. एक ओर जहां बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को बोला जा रहा है. दूसरी ओर स्कूल में बैठने की जगह नहीं है.

शिलान्यास के बाद टेंडर हुआ रद्द: 5 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शिलान्यास किया था. स्कूल भवन का निर्माण 6 करोड़ 39 लाख, 21 हजार की लागत से होने के लिए टेंडर हुआ. मेसर्स अजय कुमार सिंह को कार्य मिला. टेंडर 19 प्रतिशत कम हुआ था, इसलिए ठेकदार ने रुचि नहीं दिखाई. इसी बीच रांची से आए आर्किटेक्ट ने स्कूल भवन के निर्माण के लिए स्कूल के फील्ड में स्थान चयन कर प्रोजेक्ट बना दिया. स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया. फिर टेंडर कैंसल हो गया.

Last Updated : Feb 7, 2023, 5:38 PM IST
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