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अजबगजबः कई राज्यों को प्राण वायु देने वाले बोकारो में ऑक्सीजन के अभाव में बुजुर्ग ने तोड़ा दम - बोकारो में ऑक्सीजन के लिए तड़पता रहा बुजुर्ग

पिछले 2 दिनों से झारखंड का बोकारो शहर देश भर में चर्चित हो गया है. आखिर क्यों न हो इस शहर से देश के कई भागों में प्राण वायु ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है. देश में जारी ऑक्सीजन संकट को समाप्त करने में बोकारो अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन इसी शहर में एक बुजुर्ग की ऑक्सीजन न मिलने से मौत हो गई. इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है.

बुजुर्ग ने तोड़ा दम
बुजुर्ग ने तोड़ा दम
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Published : Apr 24, 2021, 10:26 AM IST

Updated : Apr 24, 2021, 11:26 AM IST

बोकारोः चिराग तले अंधेरा तो सुना होगा आपने वह आज सिद्ध होता नजर आया. एक ओर पूरे देश में कोरोना महामारी में कई राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिल रही है और सांसों की डोर टूट रही है, कई परिवारों ने अपनो खोया है, तो दूसरी ओर कई राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले बोकारो में अगर ऑक्सीजन न मिलने से किसी परिवार के सर से अगर पिता का साया छूट जाए या किसी की सांसों की डोर टूट जाए तो यह बात आपको बेमानी सी लग सकती है.

देखें पूरी खबर.

यह भी पढ़ेंः बोकारो से यूपी के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस रवाना, 50 टन ऑक्सीजन पहुंचेगी लखनऊ

जी हां यह सच है. बोकारो में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. एक परिवार सांस लेने की दिक्कत को लेकर रात भर इधर से उधर भटकता रहा. एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल प्राण वायु ऑक्सीजन के लिए भटकते रहा, लेकिन उस मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिली और उसकी सांसो की डोर आखिरकार टूट गई.

कोरोना महामारी की इस घड़ी में कई नर्सिंग होम व हॉस्पिटल इस आपदा को अवसर में बदलकर मोटी रकम की कमाई करने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला चास के वंशीडीह स्थित पुरूलिया रोड पर स्थित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में देखने को मिला.

हॉस्पिटल का नाम सुनकर तो ऐसा लगता है कि यह हॉस्पिटल तमाम आधुनिक तकनीक और गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं से लैस है. इस तरह के अस्पतालों का अपना एक नेटवर्क होता है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले झोलाछाप डॉक्टर दो चार पैसे के कमीशन के चक्कर में मरीजों को ऐसे ही अस्पतालों का पता बताते हैं.

यह भी पढ़ेंः देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं, ट्रांस्पोर्टिंग की है दिक्कत: जयंत सिन्हा

दरअसल चास के पुरूलिया रोड स्थित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल में गोमिया से 72 वर्षीय गोविंद प्रसाद जायसवाल को सांस लेने की समस्या को लेकर गंभीरावस्था में उनके परिजन इस हॉस्पिटल में पहुंचते हैं.

वहां हॉस्पिटल का स्टाफ व अन्य कर्मचारी अपने अस्पताल को सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस बताकर मरीज को भर्ती कर लेते हैं. भर्ती करने के कुछ हीं देर बाद मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है.

हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं

तब अस्पताल के डॉक्टर मरीज के परिजनों को बताते हैं कि उनके अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है मरीज को बचाना है तो किसी अन्य अस्पताल में ले जाएं. अंततः मरीज के परिजन मरीज को लेकर अन्य अस्पतालों का चक्कर लगाते हैं लेकिन कहीं भी बेड खाली नहीं मिलता है.

इसी दौरान मरीज की मौत हो जाती है. हॉस्पिटल के एचओडी अभिजीत सरकार ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. वहीं जिले के सिविल सर्जन अशोक पाठक ने बताया कि ये गम्भीर मामला है मरीजों को बरगला कर इलाज किया जा रहा है लेकिन सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

ऐसे अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का हक किसी को नहीं है. अब सवाल ये खड़ा होता है कि बगैर वेंटिलेटर का यह हॉस्पिटल संचालन कैसे हो रहा है? इस हॉस्पिटल को लाइसेंस कैसे मिला?

बोकारोः चिराग तले अंधेरा तो सुना होगा आपने वह आज सिद्ध होता नजर आया. एक ओर पूरे देश में कोरोना महामारी में कई राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिल रही है और सांसों की डोर टूट रही है, कई परिवारों ने अपनो खोया है, तो दूसरी ओर कई राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले बोकारो में अगर ऑक्सीजन न मिलने से किसी परिवार के सर से अगर पिता का साया छूट जाए या किसी की सांसों की डोर टूट जाए तो यह बात आपको बेमानी सी लग सकती है.

देखें पूरी खबर.

यह भी पढ़ेंः बोकारो से यूपी के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस रवाना, 50 टन ऑक्सीजन पहुंचेगी लखनऊ

जी हां यह सच है. बोकारो में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. एक परिवार सांस लेने की दिक्कत को लेकर रात भर इधर से उधर भटकता रहा. एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल प्राण वायु ऑक्सीजन के लिए भटकते रहा, लेकिन उस मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिली और उसकी सांसो की डोर आखिरकार टूट गई.

कोरोना महामारी की इस घड़ी में कई नर्सिंग होम व हॉस्पिटल इस आपदा को अवसर में बदलकर मोटी रकम की कमाई करने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला चास के वंशीडीह स्थित पुरूलिया रोड पर स्थित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में देखने को मिला.

हॉस्पिटल का नाम सुनकर तो ऐसा लगता है कि यह हॉस्पिटल तमाम आधुनिक तकनीक और गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं से लैस है. इस तरह के अस्पतालों का अपना एक नेटवर्क होता है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले झोलाछाप डॉक्टर दो चार पैसे के कमीशन के चक्कर में मरीजों को ऐसे ही अस्पतालों का पता बताते हैं.

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दरअसल चास के पुरूलिया रोड स्थित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल में गोमिया से 72 वर्षीय गोविंद प्रसाद जायसवाल को सांस लेने की समस्या को लेकर गंभीरावस्था में उनके परिजन इस हॉस्पिटल में पहुंचते हैं.

वहां हॉस्पिटल का स्टाफ व अन्य कर्मचारी अपने अस्पताल को सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस बताकर मरीज को भर्ती कर लेते हैं. भर्ती करने के कुछ हीं देर बाद मरीज की स्थिति और बिगड़ जाती है.

हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं

तब अस्पताल के डॉक्टर मरीज के परिजनों को बताते हैं कि उनके अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है मरीज को बचाना है तो किसी अन्य अस्पताल में ले जाएं. अंततः मरीज के परिजन मरीज को लेकर अन्य अस्पतालों का चक्कर लगाते हैं लेकिन कहीं भी बेड खाली नहीं मिलता है.

इसी दौरान मरीज की मौत हो जाती है. हॉस्पिटल के एचओडी अभिजीत सरकार ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. वहीं जिले के सिविल सर्जन अशोक पाठक ने बताया कि ये गम्भीर मामला है मरीजों को बरगला कर इलाज किया जा रहा है लेकिन सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं.

ऐसे अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने का हक किसी को नहीं है. अब सवाल ये खड़ा होता है कि बगैर वेंटिलेटर का यह हॉस्पिटल संचालन कैसे हो रहा है? इस हॉस्पिटल को लाइसेंस कैसे मिला?

Last Updated : Apr 24, 2021, 11:26 AM IST
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