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Brighten Name Of Bokaro: बोकारो डीपीएस के छात्र के आविष्कार से दुर्घटनाग्रस्त लोगों को समय पर मिल सकती है चिकित्सा, खास डिवाइस अस्पतालों को करेगा अलर्ट - तकनीक का इस्तेमाल

डीपीएस बोकारो के 10वीं कक्षा के छात्र रूपेश कुमार ने अपनी प्रतिभा की बदौलत जिला के साथ पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है. रूपेश ने एक ऐसा डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है, जिससे कोई दुर्घटना होने के बाद एक किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले अस्पतालों को कॉल और संदेश के जरिए सूचना और लोकेशन चली जाएगी.

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DPS Bokaro student Rupesh Kumar
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Published : Feb 5, 2023, 9:49 PM IST

बोकारो: सही समय पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो के 10वीं कक्षा के विद्यार्थी रूपेश कुमार ने एक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ तैयार किया है. इस डिवाइस की मदद से दुर्घटना होने के साथ ही संबंधित घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी अस्पतालों को कॉल और एसएमएस के जरिए वाहन के लोकेशन के साथ सूचना मिल जाएगी. इससे सही समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंच सकेगी. इतना ही नहीं, अस्पतालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के साथ परिजनों और पुलिस को भी तत्काल सूचना मिल सकेगी. इसके अलावा उक्त एप में रजिस्टर्ड आसपास के कार चालकों को भी लोकेशन और सूचना मिल जाएगी. इस अविष्कार के लिए रूपेश का चयन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है.इसके लिए रुपेश को सरकार की ओर से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है.

ये भी पढे़ं-Bokaro News: बोकारो के चार विद्यार्थियों का खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हुआ चयन, मध्य प्रदेश में झारखंड के बच्चे करेंगे खेल प्रतिभा का प्रदर्शन

कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाकर काम करता है सेंसरः रूपेश द्वारा बनाए गए डिवाइस में एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जबकि इससे जुड़े मोबाइल ऐप में वाहन चालक का नाम, घर का पता, ब्लड ग्रुप और परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं. कंप्यूटर कोडिंग की मदद से उक्त डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है. रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है. सुरक्षित सीमा से अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को भी अलर्ट करता है. वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है.

पिता के दोस्त की सड़क हादसे में मौत के बाद आया आइडियाः रूपेश ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के एक पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. अगर सही समय पर एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई होती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी. इस दुर्घटना के बाद ही उसे यह आइडिया सूझा कि कुछ ऐसा उपकरण बनाया जाए जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके. उसने इस बारे में अपने विद्यालय में संबंधित गाइड टीचर मो ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की और उनकी मदद से इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया. इसे मूर्त रूप देने में उसे लगभग एक महीने का समय लगा और करीब 1200 रुपए का खर्च आया. इस प्रोजेक्ट के लिए रूपेश ने सभी सामान ऑनलाइन जुगाड़ किया है. बीएसएल कर्मी रविशंकर कुमार और बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी का होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि है. वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है.

हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती हैः बताते चलें कि देश में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है. इनमें लगभग 30% लोगों की मौत सही समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण हो जाती है. ऐसे में रूपेश का यह आविष्कार लोगों के लिए वारदान साबित हो सकता है.

बोकारो: सही समय पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो के 10वीं कक्षा के विद्यार्थी रूपेश कुमार ने एक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ तैयार किया है. इस डिवाइस की मदद से दुर्घटना होने के साथ ही संबंधित घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी अस्पतालों को कॉल और एसएमएस के जरिए वाहन के लोकेशन के साथ सूचना मिल जाएगी. इससे सही समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंच सकेगी. इतना ही नहीं, अस्पतालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के साथ परिजनों और पुलिस को भी तत्काल सूचना मिल सकेगी. इसके अलावा उक्त एप में रजिस्टर्ड आसपास के कार चालकों को भी लोकेशन और सूचना मिल जाएगी. इस अविष्कार के लिए रूपेश का चयन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है.इसके लिए रुपेश को सरकार की ओर से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है.

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कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाकर काम करता है सेंसरः रूपेश द्वारा बनाए गए डिवाइस में एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जबकि इससे जुड़े मोबाइल ऐप में वाहन चालक का नाम, घर का पता, ब्लड ग्रुप और परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं. कंप्यूटर कोडिंग की मदद से उक्त डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है. रूपेश ने बताया कि इसमें खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है. सुरक्षित सीमा से अधिक रफ्तार होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को भी अलर्ट करता है. वहीं, एक्सीडेंट होने पर वाहन की गति और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है.

पिता के दोस्त की सड़क हादसे में मौत के बाद आया आइडियाः रूपेश ने बताया कि लगभग दो वर्ष पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के एक पूर्व सैनिक मित्र की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. अगर सही समय पर एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच गई होती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी. इस दुर्घटना के बाद ही उसे यह आइडिया सूझा कि कुछ ऐसा उपकरण बनाया जाए जिससे सड़क हादसे में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके. उसने इस बारे में अपने विद्यालय में संबंधित गाइड टीचर मो ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की और उनकी मदद से इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया. इसे मूर्त रूप देने में उसे लगभग एक महीने का समय लगा और करीब 1200 रुपए का खर्च आया. इस प्रोजेक्ट के लिए रूपेश ने सभी सामान ऑनलाइन जुगाड़ किया है. बीएसएल कर्मी रविशंकर कुमार और बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी का होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि है. वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है.

हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती हैः बताते चलें कि देश में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है. इनमें लगभग 30% लोगों की मौत सही समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण हो जाती है. ऐसे में रूपेश का यह आविष्कार लोगों के लिए वारदान साबित हो सकता है.

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