बोकारो: इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट की ओर से एक दिवसीय सेमिनार बोकारो क्लब के सभागार में आयोजित किया गया. इस सेमिनार में बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों के एनेस्थिसिया के चिकित्सकों ने भाग लिया. सेमिनार में आए बीएचयू, कोलकाता समेत अन्य स्थानों के वरीय चिकित्सकों ने वर्तमान समय में हुए बदलाव की जानकारी दी. कहा कि वर्तमान युग में कई परिवर्तन आए हैं. जिसकी जानकारी सुदूर क्षेत्रों में काम करने वाले एनेस्थिसिया के चिकित्सकों को होना जरूरी है.
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वक्ताओं ने कहा कि एनेस्थिसिया चिकित्सा जगत की वह देन है जिसे आमतौर पर लोग ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. कहा कि किसी भी प्रकार की शल्य चिकित्सा या सर्जरी के लिए यह विशेष अहमियत रखती है. बताया कि यह ना सिर्फ सर्जरी के दौरान मरीज को दर्द और संवेदना से मुक्त रखती है, बल्कि चिकित्सकों को भी सर्जरी के लिए माकूल वातावरण देती है. सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि शल्य चिकित्सा में एनेस्थिसिया का विशेष महत्व है. सर्जरी में सर्जन और एनेस्थिसिया दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.
इससे पहले सर्जरी करना आसान नहीं होता था. मरीज को एक दिन के बाद होश आता था. अब एनेस्थिसिया से सर्जरी करना आसान हो गया है. एनेस्थिसियोलॉजिस्ट आलोक झा ने बताया कि हमारे जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर जगह अपनी पैठ बनाता जा रहा है. ऐसे में चिकित्सा जगत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपनी जगह बना रहा है. एनेस्थिसिया और क्रिटिकल केयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इतना टाइट बना पाया है, ऐसे में एक एनेस्थेटिक का रोल आने वाले समय में क्या होगा? इसको लेकर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. कहा कि इस कांफ्रेंस के माध्यम से सुदूर रिमोट एरिया में इस बात की जानकारी पहुंचा सके, यही इस सेमिनार का उद्देश्य है.