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कोविड-19 महामारी के दौरान वजन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ा : अध्ययन

ब्रिटेन में कई बार लॉकडाउन लगने से लोगों में टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम में आने वाले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वजन पहले आने वाले लोगों की तुलना में औसतन साढ़े तीन किलोग्राम बढ़ा मिला है.

वजन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ा
वजन बढ़ने से मधुमेह का खतरा बढ़ा
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Published : Sep 4, 2021, 9:34 PM IST

लंदन : कोविड-19 महामारी के दौरान कई बार लगे लॉकडाउन में लोगों का वजन बढ़ने से उनमें टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ गया है. ब्रिटेन में हुए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.

शोध पत्रिका लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम में आने वाले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वजन पहले आने वाले लोगों की तुलना में औसतन साढ़े तीन किलोग्राम बढ़ा हुआ है. एनएचएस के अनुसार, किसी व्यक्ति का एक किलोग्राम वजन बढ़ने से उसे मधुमेह होने का खतरा आठ प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

इसे भी पढ़ें-NLEM में संशोधन, सरकार ने 39 दवाओं की कीमतों में की कटौती

एनएचएस के अधिकारी डॉ जोनाथन वलभजी ने कहा, महामारी ने हमारे जीवन के हर पक्ष को बदल दिया है और हमारे मस्तिष्क तथा शरीर पर हावी हो गई है. हजारों लोग इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं और लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का वजन बढ़ गया है. आपको बता दें कि

उन्होंने कहा वजन बढ़ने का अर्थ यह भी है कि टाइप-2 मधुमेह होने के खतरा बढ़ गया है और इसके साथ ही कैंसर, अंधापन, हृदयाघात जैसी चीजें भी हो सकती हैं.

ब्रिटेन में केयर एट डाइबिटीज के प्रमुख डेन हावर्थ ने कहा, टाइप 2 डाइबिटीज एक जटिल स्थिति है जिसमें आयु, पारिवारिक इतिहास, जातीय समूहों के साथ विभिन्न जोखिम रहते हैं. ये स्थिति के विकास में 80-85 प्रतिशत तक का योगदान देते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

लंदन : कोविड-19 महामारी के दौरान कई बार लगे लॉकडाउन में लोगों का वजन बढ़ने से उनमें टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ गया है. ब्रिटेन में हुए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.

शोध पत्रिका लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम में आने वाले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों का वजन पहले आने वाले लोगों की तुलना में औसतन साढ़े तीन किलोग्राम बढ़ा हुआ है. एनएचएस के अनुसार, किसी व्यक्ति का एक किलोग्राम वजन बढ़ने से उसे मधुमेह होने का खतरा आठ प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

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एनएचएस के अधिकारी डॉ जोनाथन वलभजी ने कहा, महामारी ने हमारे जीवन के हर पक्ष को बदल दिया है और हमारे मस्तिष्क तथा शरीर पर हावी हो गई है. हजारों लोग इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं और लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का वजन बढ़ गया है. आपको बता दें कि

उन्होंने कहा वजन बढ़ने का अर्थ यह भी है कि टाइप-2 मधुमेह होने के खतरा बढ़ गया है और इसके साथ ही कैंसर, अंधापन, हृदयाघात जैसी चीजें भी हो सकती हैं.

ब्रिटेन में केयर एट डाइबिटीज के प्रमुख डेन हावर्थ ने कहा, टाइप 2 डाइबिटीज एक जटिल स्थिति है जिसमें आयु, पारिवारिक इतिहास, जातीय समूहों के साथ विभिन्न जोखिम रहते हैं. ये स्थिति के विकास में 80-85 प्रतिशत तक का योगदान देते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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