रांची: मछली उत्पादन में झारखंड आत्मनिर्भर राज्य बन गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इच्छा है कि वर्ष 2024 तक झारखंड मछली का निर्यातक राज्य बन जाए. मुख्यमंत्री कि इच्छा को पूरा करने के लिए राज्य के मत्स्य पालक मत्स्य मित्र और मत्स्य निदेशालय के अधिकारी और कर्मचारी लगे हुए हैं.
इसे भी पढे़ं: तरक्की की ओर आधी आबादी...नई तकनीक से अब महिलाएं भी कर रही हैं मछली पालन
विश्व मात्स्यिकी दिवस (World Fisheries Day) की खुशियों के बीच ईटीवी भारत का सवाल यह है कि जब राज्य में मत्स्य पालन विभाग के शिवजीत 552 पदों में से 151 पद 73% खाली है. राज्य का एकमात्र सरकारी मत्स्य संस्थान, गुमला (गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ fishries) फैकल्टी के अभाव में बंद होने या ICAR से मान्यता रद्द होने के कगार पर है. इस हालात में राज्य को मत्स्य निर्यातक राज्य बनाने का सपना कैसे पूरा होगा?
इसे भी पढे़ं: मछली पालन कर आत्मनिर्भर बना पिंटू, अब दूसरों को भी दे रहा रोजगार
जल संरक्षण और मछलियों की देसी प्रजाति को बचाने पर जोर
विश्व मत्स्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जहां आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी ऑनलाइन राज्य भर के मछली पालकों को दी गई. वहीं राज्य में होने वाले 1200 से 1400 mm बारिश के पानी में से 70-80% पानी बर्बाद हो जाने पर चिंता जताते हुए जल संरक्षण पर जोर देने की अपील की गई है. राज्य में केज आधारित मछली पालन को बेहद मुनाफा का सौदा बताते हुए मत्स्य निदेशालय के निदेशक केएन द्विवेदी ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा मत्स्य कृषक KCC का लाभ लें और मछली का पालन बृहद स्तर पर करें. निदेशक ने कहा कि झारखंड ने प्रति व्यक्ति 9kg.925 ग्राम मछली उपलब्धता के भारत सरकार के लक्ष्य को पहले ही पूरा कर लिया है. राज्य में यह 10 kg.300gm है. जिसे वर्ष 2024-25 तक 12 kg प्रति व्यक्ति करना है.
स्थायी फैकल्टी नहीं मिली तो ICAR कर देगा मान्यता रद्द
झारखंड सरकार ने गुमला में कॉलेज ऑफ फिशरीज खोला था. BAU के अंतर्गत चल रहे इस कॉलेज के छात्रों ने इस बार बड़ी संख्या में JRF की परीक्षा पास की है. लेकिन शायद अगले बार से ऐसा न हो. क्योंकि फिशरीज कॉलेज को ICAR से औपबंधिक मान्यता ही मिली है. लेकिन हैरत की बात है कि राज्य को मछली उत्पादन में निर्यातक बनाने का सपना देख रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राज्य में गुमला के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फिशरीज में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं हैं. जबकि मान्यता के लिए ICAR की यह पहली शर्त है.
पानी की समस्या से भी जूझ रहा है फिशरीज कॉलेज
गुमला के फिशरीज कॉलेज में पानी तक की व्यवस्था नहीं है. डीन डॉ एके सिंह बताते हैं कि कई जगह पर 1200 फीट तक बोरिंग की गई. लेकिन पानी नहीं मिला. PHED विभाग 14 लाख रुपये की मांग करता है. फैकल्टी है नहीं. इसलिए उन्हें वर्ल्ड फिशरीज डे के मंच से कहना पड़ा कि अगर किसी राज्य या देश को बर्बाद करना हो तो वहां की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दो.
इसे भी पढे़ं: ग्रामीणों की जीविका का जरिया बनेंगी बंद पत्थर की खदानें, मछली पालन को प्रशासन दे रहा बढ़ावा
राज्य ने मछली पालन में की तरक्की
पूर्व मत्स्य निदेशक राजीव कुमार ने कहा कि राज्य ने मछली पालन में काफी तरक्की की है. लेकिन यह क्षमता का पूरा दोहन नहीं है. अभी तो यहां के जलाशयों, ताल तलैयों, डोभा का 15 से 20 % ही इस्तेमाल किया गया है. इसलिए अभी राज्य में मछली उत्पादन का चरम यानी पीक आना बाकी है.
फिशरीज के छात्रों को किया गया सम्मानित
विश्व मत्स्य दिवस पर झारखंड के गुमला के कॉलेज ऑफ फिशरीज के वैसे छात्र-छात्राएं जिन्हें JRF मिला है. उन्हें सम्मानित किया गया. वहीं लाभुक मत्स्य कृषकों को योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाले सब्सिडी की राशि दी गई.