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राजधानी का खुला नाला बन रहा मौत का सबब! डीपीआर और फंड के बीच पिस रही जनता - रांची में नाला में बह गया युवक

राजधानी का खुला नाला हर किसी के लिए परेशानी का सबब बन गया है. हालिया घटना में दो लोग नाला में बह गए और जान गंवाई. इसके बाद भी प्रशासन की ओर से नालों को ढकने का काम नहीं शुरू किया जा रहा है.

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रांची नगर निगम
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Published : Oct 1, 2021, 3:56 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 4:06 PM IST

रांचीः राजधानी में बड़े और खतरनाक नालों की वजह से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले 15 सितंबर को शाहदेव नगर के नाले में बह जाने से फल व्यवसायी अजय प्रसाद अग्रवाल की मौत हो गई. जिसके बाद नगर निगम के वरीय पदाधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण कर जल्द नाला ढकने के काम कराए जाने की बात कही. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.

इसे भी पढ़ें- प्रशासन से नहीं मिली मदद, लोगों ने खुद ड्रोन कैमरा से ढूंढ निकाला अजय का शव

राजधानी के खुले और बड़े नाले अभी-भी बड़ी दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं. जिस पर सरकार और निगम प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि लगातार हो रही दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है.

देखें पूरी खबर

वर्ष 2017-18 में बड़े और खतरनाक नालों को ढकने और बनाने के लिए 100 करोड़ की योजना रांची नगर निगम ने बनाई थी. लेकिन सरकार की ओर से मात्र 15 करोड़ रुपये ही निगम को मिले, जिससे कुछ ही काम हुए. लेकिन पूरा फंड नहीं मिलने पर काम रुक गया. वर्ष 2019 में हिंदपीढ़ी में एक बच्ची की मौत नाले में बहकर हो गयी थी. जिसके बाद खुले नालों को ढकने के लिए रांची नगर निगम रेस हुई. लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.

वर्ष 2020 में कोकर इलाके में एक युवक का नाले में बह जाने के बाद उसका कोई पता नहीं चल पाया. जिसके बाद एक बार फिर रांची नगर निगम रेस हुई और खतरनाक नालों को ढकने के लिए 27 करोड़ की योजना बनाकर सरकार के पास भेजी. लेकिन सरकार ने मात्र 5 करोड रुपए दिए, ऐसे में योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसा नहीं आना काम मे रुकावट पैदा कर रही है. रांची नगर निगम की आमदनी भी खर्च से कम है. ऐसे में वह अपने फंड से भी योजनाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है.

हालिया शाहदेव नगर में नाले में बहने से व्यवसायी के मौत मामले के बाद नालों को ढकने का काम भी शुरू नहीं किया गया है. रांची नगर निगम के उप नगर आयुक्त कुवंर सिंह पाहन ने बताया कि शाहदेव नगर में नाला बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है, जल्दी वहां काम शुरू होगा. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों भारी वर्षा की वजह से शहर के कुछ इलाकों में जलजमाव की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही बड़े और खतरनाक नालों को चिन्हित करते हुए डीपीआर तैयार करने का निर्देश नगर आयुक्त ने दिया है और इसको लेकर काम किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- रांची: उफनते नाले में डूबा युवक, तलाश के लिए पहुंची NDRF की टीम

रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय का कहना है कि वर्तमान नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे वर्ष 2013-14 में नगर आयुक्त रह चुके हैं. उनको रांची की पूरी जानकारी है, उन्हें रांची शहर के सभी वार्डों में एक अच्छे तरीके से डीपीआर बनाकर शत-प्रतिशत नालों को सुरक्षित करने का प्लान बनाना चाहिए और जुडको की जगह नगर निगम को काम करने देना चाहिए. अगर राज्य सरकार कैपिटल सिटी की तर्ज पर इन योजनाओं को पूर्ण कराए तभी शहर वासियों को राहत मिल पाएगी.

राजधानी रांची में जब-जब नाले में बहकर किसी की मौत होती है, तब-तब बड़े और खतरनाक नालों को ढकने के लिए कार्रवाई का हवाला दिया जाता है और डीपीआर बनाए जाते हैं. साथ ही सरकार से फंड की मांग की जाती है, पर कार्य लंबे समय तक अधर में रह जाता है. आम जनता से सरकार और नगर निगम पूरा टैक्स भी वसूलती है. लेकिन सरकार और नगर निगम की इच्छा शक्ति की कमी का खामियाजा यहां की जनता को अपनी जान गंवाकर उठाना पड़ रहा है.

रांचीः राजधानी में बड़े और खतरनाक नालों की वजह से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले 15 सितंबर को शाहदेव नगर के नाले में बह जाने से फल व्यवसायी अजय प्रसाद अग्रवाल की मौत हो गई. जिसके बाद नगर निगम के वरीय पदाधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण कर जल्द नाला ढकने के काम कराए जाने की बात कही. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.

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राजधानी के खुले और बड़े नाले अभी-भी बड़ी दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं. जिस पर सरकार और निगम प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि लगातार हो रही दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है.

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वर्ष 2017-18 में बड़े और खतरनाक नालों को ढकने और बनाने के लिए 100 करोड़ की योजना रांची नगर निगम ने बनाई थी. लेकिन सरकार की ओर से मात्र 15 करोड़ रुपये ही निगम को मिले, जिससे कुछ ही काम हुए. लेकिन पूरा फंड नहीं मिलने पर काम रुक गया. वर्ष 2019 में हिंदपीढ़ी में एक बच्ची की मौत नाले में बहकर हो गयी थी. जिसके बाद खुले नालों को ढकने के लिए रांची नगर निगम रेस हुई. लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.

वर्ष 2020 में कोकर इलाके में एक युवक का नाले में बह जाने के बाद उसका कोई पता नहीं चल पाया. जिसके बाद एक बार फिर रांची नगर निगम रेस हुई और खतरनाक नालों को ढकने के लिए 27 करोड़ की योजना बनाकर सरकार के पास भेजी. लेकिन सरकार ने मात्र 5 करोड रुपए दिए, ऐसे में योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसा नहीं आना काम मे रुकावट पैदा कर रही है. रांची नगर निगम की आमदनी भी खर्च से कम है. ऐसे में वह अपने फंड से भी योजनाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है.

हालिया शाहदेव नगर में नाले में बहने से व्यवसायी के मौत मामले के बाद नालों को ढकने का काम भी शुरू नहीं किया गया है. रांची नगर निगम के उप नगर आयुक्त कुवंर सिंह पाहन ने बताया कि शाहदेव नगर में नाला बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है, जल्दी वहां काम शुरू होगा. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों भारी वर्षा की वजह से शहर के कुछ इलाकों में जलजमाव की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही बड़े और खतरनाक नालों को चिन्हित करते हुए डीपीआर तैयार करने का निर्देश नगर आयुक्त ने दिया है और इसको लेकर काम किया जा रहा है.

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रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय का कहना है कि वर्तमान नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे वर्ष 2013-14 में नगर आयुक्त रह चुके हैं. उनको रांची की पूरी जानकारी है, उन्हें रांची शहर के सभी वार्डों में एक अच्छे तरीके से डीपीआर बनाकर शत-प्रतिशत नालों को सुरक्षित करने का प्लान बनाना चाहिए और जुडको की जगह नगर निगम को काम करने देना चाहिए. अगर राज्य सरकार कैपिटल सिटी की तर्ज पर इन योजनाओं को पूर्ण कराए तभी शहर वासियों को राहत मिल पाएगी.

राजधानी रांची में जब-जब नाले में बहकर किसी की मौत होती है, तब-तब बड़े और खतरनाक नालों को ढकने के लिए कार्रवाई का हवाला दिया जाता है और डीपीआर बनाए जाते हैं. साथ ही सरकार से फंड की मांग की जाती है, पर कार्य लंबे समय तक अधर में रह जाता है. आम जनता से सरकार और नगर निगम पूरा टैक्स भी वसूलती है. लेकिन सरकार और नगर निगम की इच्छा शक्ति की कमी का खामियाजा यहां की जनता को अपनी जान गंवाकर उठाना पड़ रहा है.

Last Updated : Oct 1, 2021, 4:06 PM IST
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