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झारखंड के लिए 23 दिसंबर का दिन रहा है बेहद खास, जानिए क्यों

2005 में पहली बार झारखंड गठन के बाद चुनाव हुआ था. हालांकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. लिहाजा, जोड़तोड़ की सरकारें बनती रहीं और गिरती रहीं. इस चुनाव के बाद पहली बार शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी जो 10 दिन में ही गिर गई. अस्थिरता के बीच पहली बार झारखंड में 19 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 29 दिसंबर 2009 तक चला. सरकार नहीं बनने के कारण विधानसभा को भंग कर समय से पहले चुनाव कराने पड़े.

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Published : Nov 1, 2019, 5:23 PM IST

Updated : Nov 1, 2019, 7:08 PM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव

रांची: झारखंड में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए 23 दिसंबर का दिन बेहद खास रहा है. सबसे पहले बात करते हैं 23 दिसंबर 2009 की जब झारखंड में दूसरी बार हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. 2005 की तरह 2009 में भी किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. मतों की घोषणा के 6 दिन बाद शिबू सोरेन के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, जो सिर्फ 5 महीने तक ही चली. विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव सूबे में 5 चरणों में होंगे, जिसकी मतगणना 23 दिसंबर को ही की जाएगी.

अल्पमत में आने के कारण 31 मई 2010 को शिबू सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ा था. इसके बाद झारखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था. फिर 11 सितंबर 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो झामुमो के समर्थन वापसी के कारण 18 जनवरी 2013 को गिर गई. इसके बाद फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, जो जुलाई 2013 तक चला. फिर झामुमो ने कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई. यह सरकार किसी तरह 23 दिसंबर 2014 तक अपना कार्यकाल पूरा कर सकी. यानी 2009 के चुनाव के बाद झारखंड में 3 मुख्यमंत्री बने और 2 बार राज्य को राष्ट्रपति शासन से गुजरना पड़ा.

ये भी पढ़ें- झारखंड में चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू, जानिए क्या है नियम

2009 के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती भी 23 दिसंबर को ही हुई, लेकिन इस बार भाजपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही आजसू को 5 सीटें मिलने से बहुमत के साथ पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में रघुवर दास के नेतृत्व में स्थाई सरकार बनी. ऐसा पहली बार हुआ जब झारखंड में किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया हो.

2005 में पहली बार झारखंड गठन के बाद चुनाव हुआ था. हालांकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. लिहाजा, जोड़तोड़ की सरकारें बनती रहीं और गिरती रहीं. इस चुनाव के बाद पहली बार शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी जो 10 दिन में ही गिर गई. फिर अर्जुन मुंडा सीएम बने. इनका कार्यकाल 1 साल 6 माह का रहा. फिर सरकार गिर गई. इसके बाद पहली बार बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा की ताजपोशी हुई. यह सरकार भी करीब 1 साल 11 माह में गिर गई. इसके बाद बारी आई शिबू सोरेन की. वह 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक ही सीएम की कुर्सी पर रह सके. अस्थिरता के बीच पहली बार झारखंड में 19 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 29 दिसंबर 2009 तक चला. सरकार नहीं बनने के कारण विधानसभा को भंग कर समय से पहले चुनाव कराने पड़े.

झारखंड में हुए 3 विधानसभा चुनावों का लेखा जोखा

  • 2005 में पहली बार झारखंड में 3 चरण, पहला 3 फरवरी, दूसरा 15 फरवरी और तीसरा 23 फरवरी को चुनाव हुए थे. मतों की गिनती 27 फरवरी को हुई थी.
  • 2009 में दूसरी बार झारखंड में 5 चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 8 दिसंबर, 12 दिसंबर और 18 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर को हुई थी.
  • 2014 में तीसरी बार झारखंड में फिर 5 चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 9 दिसंबर, 14 दिसंबर और 20 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2014 को हुई थी.

रांची: झारखंड में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए 23 दिसंबर का दिन बेहद खास रहा है. सबसे पहले बात करते हैं 23 दिसंबर 2009 की जब झारखंड में दूसरी बार हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. 2005 की तरह 2009 में भी किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. मतों की घोषणा के 6 दिन बाद शिबू सोरेन के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, जो सिर्फ 5 महीने तक ही चली. विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव सूबे में 5 चरणों में होंगे, जिसकी मतगणना 23 दिसंबर को ही की जाएगी.

अल्पमत में आने के कारण 31 मई 2010 को शिबू सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ा था. इसके बाद झारखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था. फिर 11 सितंबर 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो झामुमो के समर्थन वापसी के कारण 18 जनवरी 2013 को गिर गई. इसके बाद फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, जो जुलाई 2013 तक चला. फिर झामुमो ने कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई. यह सरकार किसी तरह 23 दिसंबर 2014 तक अपना कार्यकाल पूरा कर सकी. यानी 2009 के चुनाव के बाद झारखंड में 3 मुख्यमंत्री बने और 2 बार राज्य को राष्ट्रपति शासन से गुजरना पड़ा.

ये भी पढ़ें- झारखंड में चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू, जानिए क्या है नियम

2009 के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती भी 23 दिसंबर को ही हुई, लेकिन इस बार भाजपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही आजसू को 5 सीटें मिलने से बहुमत के साथ पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में रघुवर दास के नेतृत्व में स्थाई सरकार बनी. ऐसा पहली बार हुआ जब झारखंड में किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया हो.

2005 में पहली बार झारखंड गठन के बाद चुनाव हुआ था. हालांकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. लिहाजा, जोड़तोड़ की सरकारें बनती रहीं और गिरती रहीं. इस चुनाव के बाद पहली बार शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी जो 10 दिन में ही गिर गई. फिर अर्जुन मुंडा सीएम बने. इनका कार्यकाल 1 साल 6 माह का रहा. फिर सरकार गिर गई. इसके बाद पहली बार बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा की ताजपोशी हुई. यह सरकार भी करीब 1 साल 11 माह में गिर गई. इसके बाद बारी आई शिबू सोरेन की. वह 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक ही सीएम की कुर्सी पर रह सके. अस्थिरता के बीच पहली बार झारखंड में 19 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 29 दिसंबर 2009 तक चला. सरकार नहीं बनने के कारण विधानसभा को भंग कर समय से पहले चुनाव कराने पड़े.

झारखंड में हुए 3 विधानसभा चुनावों का लेखा जोखा

  • 2005 में पहली बार झारखंड में 3 चरण, पहला 3 फरवरी, दूसरा 15 फरवरी और तीसरा 23 फरवरी को चुनाव हुए थे. मतों की गिनती 27 फरवरी को हुई थी.
  • 2009 में दूसरी बार झारखंड में 5 चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 8 दिसंबर, 12 दिसंबर और 18 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर को हुई थी.
  • 2014 में तीसरी बार झारखंड में फिर 5 चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 9 दिसंबर, 14 दिसंबर और 20 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2014 को हुई थी.
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रांची: झारखंड में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए 23 दिसंबर का दिन बेहद खास रहा है. सबसे पहले बात करते हैं 23 दिसंबर 2009 की जब झारखंड में दूसरी बार हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. 2005 की तरह 2009 में भी किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. मतों की घोषणा के 6 दिन बाद शिबू सोरेन के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, जो सिर्फ 5 महीने तक ही चली. 

अल्पमत में आने के कारण 31 मई 2010 को शिबू सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ा था. इसके बाद झारखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया था. फिर 11 सितंबर 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो झामुमो के समर्थन वापसी के कारण 18 जनवरी 2013 को गिर गई. इसके बाद फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा, जो जुलाई 2013 तक चला. फिर झामुमो ने कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई. यह सरकार किसी तरह 23 दिसंबर 2014 तक अपना कार्यकाल पूरा कर सकी. यानी 2009 के चुनाव के बाद झारखंड में 3 मुख्यमंत्री बने और 2 बार राज्य को राष्ट्रपति शासन से गुजरना पड़ा.



2009 के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती भी 23 दिसंबर को ही हुई, लेकिन इस बार भाजपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही आजसू को 5 सीटें मिलने से बहुमत के साथ पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में रघुवर दास के नेतृत्व में स्थाई सरकार बनी. ऐसा पहली बार हुआ जब झारखंड में किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया हो. 



2005 में पहली बार झारखंड गठन के बाद चुनाव हुआ था. हालांकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. लिहाजा, जोड़तोड़ की सरकारें बनती रहीं और गिरती रहीं. इस चुनाव के बाद पहली बार शिबू सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी जो 10 दिन में ही गिर गई. फिर अर्जुन मुंडा सीएम बने. इनका कार्यकाल 1 साल 6 माह का रहा. फिर सरकार गिर गई. इसके बाद पहली बार बतौर निर्दलीय मधु कोड़ा की ताजपोशी हुई. यह सरकार भी करीब 1 साल 11 माह में गिर गई. इसके बाद बारी आई शिबू सोरेन की. वह 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 तक ही सीएम की कुर्सी पर रह सके. अस्थिरता के बीच पहली बार झारखंड में 19 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 29 दिसंबर 2009 तक चला. सरकार नहीं बनने के कारण विधानसभा को भंग कर समय से पहले चुनाव कराने पड़े. 



झारखंड में हुए तीन विधानसभा चुनावों का लेखा जोखा



2005 में पहली बार झारखंड में 3 चरण,  पहला 3 फरवरी, दूसरा 15 फरवरी और तीसरा  23 फरवरी को चुनाव हुए थे. मतों की गिनती 27 फरवरी को हुई थी.



2009 में दूसरी बार झारखंड में 5 चरण में चुनाव हुए थे.  25 नवंबर,  2 दिसंबर, 8 दिसंबर, 12 दिसंबर और 18 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर को हुई थी.



2014 में तीसरी बार झारखंड में फिर 5 चरण में चुनाव हुए थे.  25 नवंबर, 2 दिसंबर, 9 दिसंबर, 14 दिसंबर और 20 दिसंबर. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2014 को हुई थी. 


Conclusion:
Last Updated : Nov 1, 2019, 7:08 PM IST
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