रांचीः राजधानी के बाजार में हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. कल तक 10 रुपया किलो बिकने वाला टमाटर आज 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जिसका असर सीधे सामान्य और मध्यम वर्ग के लोगों की जेब पर पड़ रहा है.
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झारखंड में मानसून के प्रवेश करने और बारिश होने की वजह से सब्जियों की कीमतों काफी इजाफा हुआ है. दूसरी तरफ लॉकडाउन और कोरोना महामारी के कारण लोग समय पर सब्जी की खेती नहीं कर पाए. दूसरी तरफ जिन लोगों ने खेती की, उनकी फसल हाल के दिनों में हुई बारिश की वजह से खेतों में ही सड़ गए. यही वजह है कि बाजार में 10 रुपये बिकने वाली सब्जियों की कीमत आज 40 रुपय से अधिक है.
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बाजार में लगातार सब्जी की कीमतों में आई उछाल का मुख्य कारण किसानों की सब्जी खेतों में बर्बाद होने से है. हरी सब्जियों की कीमतों में इस बार थोड़ी उछाल आई है. लेकिन किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है. क्योंकि बिचौलिए कम दाम में किसान से सब्जी खरीद कर बाजार ले जाते हैं और अधिक दाम में उन्हें मंडियों तक पहुंचा रहे हैं. रही बात टमाटर की कीमतों में आई उछाल से तो टमाटर की कीमत में और भी उछाल आने की आशंका है. क्योंकि बाहर राज्यों से अगर टमाटर ज्यादा आता तो रेट कम होता. लेकिन लोकल मार्केट से ही बाजार में टमाटर पहुंच रहे हैं और यहीं पर टमाटर महंगे मिल रहे हैं. क्योंकि इस बारिश में टमाटर की फसल नष्ट हो गई है. जब तक दूसरे राज्यों से टमाटर का आवक नहीं बढ़ती तब तक इसकी कीमत नियंत्रित नहीं होगी.
क्या कहता है बाजार भाव
सब्जी | कीमत रु. प्रति किलो | सब्जी | कीमत रु. प्रति किलो |
टमाटर | 40-50 | बोदी | 40-50 |
झिंगी | 40-50 | नेनुआ | 30-40 |
खीरा | 35-40 | परवल | 40 |
गाजर | 40 | फूलगोभी | 70-80 |
पत्तागोभी | 20-30 | शिमला मिर्च | 120 |
प्याज | 40 | धनिया पत्ता | 100-150 |
बीट | 40 | कुंदरी | 20 |
भिंडी | 30 | बैंगन | 40 |
हरी मिर्च | 60 | फ्रेंचबीन | 100 |
मूली | 30-40 | लौकी | 25-30 |
कोहड़ा | 20 | पालक साग | 50-60 |
करेला | 30 | आलू | 30 |
अदरक | 120 | लहसून | 120 |
*खुदरा सब्जी विक्रेता से ली गई बाजार की कीमत
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राजधानी रांची सब्जी उत्पादन के लिए काफी मशहूर है. सबसे ज्यादा सब्जी का उत्पादन रांची से सटे कृषि क्षेत्र इलाका पिठोरिया, इटकी, नगड़ी, ओरमांझी में होता है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण सही समय पर खेती नहीं कर पाए. दूसरी तरफ मानसून झारखंड में प्रवेश करने के कारण फसल बर्बाद हो गए. जिस कारण पिठोरिया, इटकी, नगड़ी से आने वाली सब्जियां भी अब राजधानी में महंगे दामों पर बिक रही है. जिसका सीधा असर साफ राजधानी के सब्जी बाजारों पर दिख रही है. यहां तक कि टमाटर जैसी कई सब्जियां बेंगलुरू जैसे राज्यों से झारखंड में आ रहे हैं, जिस वजह से हरी सब्जियों की कीमत में काफी उछाल है.