रांची: स्थानीय नियोजन नीति (Domicile Policy) की मांग को लेकर राज्य के 54 आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. जिन्होंने सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की रणनीति बनाई है. सभी संगठनों के सदस्य 20 दिसंबर को राजभवन के सामने धरना देकर राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे.
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आंदोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षाविद डॉ करमा उरांव के मुताबिक झारखंड राज्य के बने 21 साल हो गए. लेकिन आज भी यहां के मूल जन भावना के अनुरूप स्थानीय नीति नहीं बनी. जिसका खामियाजा यहां के स्थानीय आदिवासियों और मूलवासी समाज को भुगतना पड़ रहा है. दूसरे राज्यों के लोगों को राज्य में सरकारी नौकरी, उद्योग में नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. लेकिन यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द स्थानीय लोगों की मूल भावना के अनुरूप स्थानीय और नियोजन नीति बनाई जाए. ताकि यहां के लोगों को रोजगार का अवसर मिल सके.
रघुवर सरकार की बनाई नीति को बदलने की तैयारी
पूर्व की रघुवर सरकार ने 1985 से राज्य में रहने वालो को स्थानीय मानकर स्थानीय नीति बनाई थी. लेकिन हेमंत सरकार उस नीति के बदलाव की तैयारी में है. ताकि राज्य के मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नौकरी मिल सके. कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग इसे लेकर प्रस्ताव तैयार करने में जुटा है. लेकिन सरकार के इस कदम का विरोध शुरू हो गया है.