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झारखंड में समय पर जांच नहीं होने से बढ़ रहे किडनी मरीजों की संख्या, विभाग में धूल फांक रहा उपचार वाहन

झारखंड के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर किडनी एवं स्टोन उपचार बस की खरीदारी की गई. लेकिन बस विभागीय कार्यलय में धूल फांक रही है.

Jharkhand Health Department
झारखंड में समय पर जांच नहीं होने से बढ़ रहे किडनी मरीजों की संख्या
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Published : Jun 30, 2022, 4:47 PM IST

रांचीः झारखंड में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कैसे जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद किया जाता है. इसका उदाहरण है नामकुम स्थित स्वास्थ्य मुख्यालय में लाखों रुपये में खरीदी गई किडनी एवं स्टोन उपचार बस धूल फांक रही है. स्थिति यह है कि महीनों से यह बस गांव की ओर मरीजों की सेवा के लिए नहीं निकली है.

स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग के कोई अधिकारी इस धूल फांक रही बस पर बोलने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ एम सेनापति और आर्या चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित उपचार वाहन की व्यवस्था की गई थी. लेकिन यह वाहन गांव और दूरस्थ इलाको में जाने की जगह स्वास्थ्य मुख्यालय में ही खड़ी है.

देखें पूरी खबर


झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन के महासचिव डॉ विमलेश सिंह कहते हैं कि दवाओं के दुरुपयोग के साथ-साथ मिलावटी खानपान की वजह से पिछले कुछ वर्षों में किडनी की मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि समय रहते रोग की पहचान हो जाती है तो इलाज से मरीज ठीक हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि डायबिटीज से किडनी क्षतिग्रस्त होता है. डायबिटीज कंट्रोल रहता है तो डायलिसिस तक स्थिति नहीं पहुंचती है. वहीं, सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार को ऐसी कोई वाहन खरीदने की जानकारी तक नहीं है.

लाखों रुपये की बस मरीजों की सेवा के लिये खरीदी गई. लेकिन यह बस कभी गांव के लिये नहीं निकली. इसपर विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से बचते दिखे. विभागीय सूत्रों ने बताया कि यूरोलॉजिस्ट डॉ एम सेनापति कोरोना काल में गंभीर रूप से बीमार पड़ गए. इससे यह योजना धरी की धरी रह गयी.

रांचीः झारखंड में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कैसे जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद किया जाता है. इसका उदाहरण है नामकुम स्थित स्वास्थ्य मुख्यालय में लाखों रुपये में खरीदी गई किडनी एवं स्टोन उपचार बस धूल फांक रही है. स्थिति यह है कि महीनों से यह बस गांव की ओर मरीजों की सेवा के लिए नहीं निकली है.

स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग के कोई अधिकारी इस धूल फांक रही बस पर बोलने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ एम सेनापति और आर्या चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से अत्याधुनिक संसाधनों से सुसज्जित उपचार वाहन की व्यवस्था की गई थी. लेकिन यह वाहन गांव और दूरस्थ इलाको में जाने की जगह स्वास्थ्य मुख्यालय में ही खड़ी है.

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झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन के महासचिव डॉ विमलेश सिंह कहते हैं कि दवाओं के दुरुपयोग के साथ-साथ मिलावटी खानपान की वजह से पिछले कुछ वर्षों में किडनी की मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि समय रहते रोग की पहचान हो जाती है तो इलाज से मरीज ठीक हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि डायबिटीज से किडनी क्षतिग्रस्त होता है. डायबिटीज कंट्रोल रहता है तो डायलिसिस तक स्थिति नहीं पहुंचती है. वहीं, सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार को ऐसी कोई वाहन खरीदने की जानकारी तक नहीं है.

लाखों रुपये की बस मरीजों की सेवा के लिये खरीदी गई. लेकिन यह बस कभी गांव के लिये नहीं निकली. इसपर विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से बचते दिखे. विभागीय सूत्रों ने बताया कि यूरोलॉजिस्ट डॉ एम सेनापति कोरोना काल में गंभीर रूप से बीमार पड़ गए. इससे यह योजना धरी की धरी रह गयी.

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