रांची: श्रावण मास की दूसरी सोमवारी (second Monday of Sawan) को लेकर शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. देवघर के बाबा धाम, दुमका बासुकीनाथ, राजधानी के पहाड़ी मंदिर, खूंटी के आम्रेश्वर धाम में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है.
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बाबाधाम में लाखों श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर बाबा मंदिर (Deoghar Baba Mandir) में देश के कोने कोने से कांवरिया जुट रहे हैं. बिहार के सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने को लेकर भक्त पहुंच रहे हैं. शहर की गली-गली में बोलबम का नारा गूंज रहा है. श्रावण मास की दूसरी सोमवारी को लेकर देवघर में भक्तों में उत्साह दिख रहा है.
पहाड़ी मंदिर में पूजाः झारखंड की राजधानी रांची में पहाड़ पर स्थित पहाड़ी मंदिर शिव भक्तों के लिए खास है. सावन की दूसरी सोमवारी को लेकर यहां भी भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. श्रावण मास में यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. शहर के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पूरे सावन माह भक्तों की भीड़ लगी रहती है. प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए मंदिर का द्वार अहले सुबह ही खोल दिया जाता है.
क्यों खास है सावन का सोमवारः ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में अपनी आहूति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उनकी प्राप्ति के लिए कठोर तप किया.
सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.
सावन की सोमवारी का महत्वः सावन में सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है. साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.