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बोकारो के बेटे का शव दोबारा लौटा अपनी माटी से दूर, परिजनों ने मुआवजे के बगैर शव लेने से किया इनकार

अफ्रीका के कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड कंपनी में काम कर रहे बोकारो के रहने वाले मजदूर की मौत के बाद शव को परिजनों ने लेने से इनकार कर दिया है. कंपनी ने शव को वतन वापस भेज दिया लेकिन मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों ने शव लेने से मना कर दिया.

The family refused to take the body after the death of a worker in Africa
मजदूर सुरेंद्र महतो की फाइल फोटो
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Published : Feb 26, 2020, 4:34 AM IST

रांची: अफ्रीका में बोकारो के रहने वाले सुरेंद्र महतो नाम के मजदूर की मौत के बाद उसका शव रांची एयरपोर्ट लाया गया. जहां सुरेंद्र महतो के परिजनों ने शव को लेने से इनकार कर दिया. परिजनों ने बताया कि कंपनी की तरफ से मुआवजे को लेकर कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया है इसलिए वो शव को लेने से इंकार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले BSNL के चेयरमैन, शहीद विजय सोरेंग की पत्नी ने भी की मुलाकात

काम के दौरान शार्ट सर्किट से हुई मौत

सुरेंद्र महतो अफ्रीका के कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड कंपनी में काम करता था. 12 फरवरी को काम करने के दौरान शार्ट सर्किट से उसकी मौत हो गई. मिली जानकारी के अनुसार 12 फरवरी को कल्पतरु ट्रांसमिशन पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी ने सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सुरेंद्र महतो के शव को अपने दिल्ली ब्रांच में भेज दिया, जहां दिल्ली ब्रांच की कंपनी ने शव को इंडिगो कि सेवा विमान से रांची भेजा, लेकिन परिजनों ने मुआवजा नहीं मिलने पर शव को लेने से इनकार कर दिया.

कंपनी की दिल्ली ब्रांच ने शव मंगवाया वापस

परिजनों के इनकार के बाद इंडिगो के कर्मचारियों ने परिजनों को खूब समझाया लेकिन मुआवजे की जिद पर अड़े परिजनों ने शव को लेने से साफ मना कर दिया. जिसके बाद इंडिगो के कर्मचारियों ने परिजनों को दिल्ली ब्रांच के कंपनी से बात कराई लेकिन परिजनों की जिद को देखते हुए कल्पतरू ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के दिल्ली ब्रांच ने इंडिगो विमान के कर्मचारियों को कह कर शव को वापस दिल्ली मंगवा लिया. एयरपोर्ट पर शव लेने परिजनों के साथ बेरमो के पूर्व विधायक और भाजपा नेता योगेंद्र महतो भी पहुंचे थे.

मृतक सुरेंद्र महतो के पीछे उनके परिवार में उनके बूढ़े माता-पिता उसकी पत्नी और तीन छोटे-छोटे बच्चें हैं. जिनकी देखभाल के लिए पत्नी सावित्री देवी मुआवजे की मांग कर रही है. गौरतलब है कि सुरेंद्र महतो की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्रालय से बात कर शव को अफ्रीका से रांची मंगवाने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी परिजनों ने कंपनी के साथ-साथ राज्य सरकार पर भी भरोसा नहीं किया और मुआवजे की आस में शव को दोबारा सुरेंद्र महतो की माटी से दूर भेज दिया.

रांची: अफ्रीका में बोकारो के रहने वाले सुरेंद्र महतो नाम के मजदूर की मौत के बाद उसका शव रांची एयरपोर्ट लाया गया. जहां सुरेंद्र महतो के परिजनों ने शव को लेने से इनकार कर दिया. परिजनों ने बताया कि कंपनी की तरफ से मुआवजे को लेकर कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया है इसलिए वो शव को लेने से इंकार कर रहे हैं.

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काम के दौरान शार्ट सर्किट से हुई मौत

सुरेंद्र महतो अफ्रीका के कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड कंपनी में काम करता था. 12 फरवरी को काम करने के दौरान शार्ट सर्किट से उसकी मौत हो गई. मिली जानकारी के अनुसार 12 फरवरी को कल्पतरु ट्रांसमिशन पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी ने सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सुरेंद्र महतो के शव को अपने दिल्ली ब्रांच में भेज दिया, जहां दिल्ली ब्रांच की कंपनी ने शव को इंडिगो कि सेवा विमान से रांची भेजा, लेकिन परिजनों ने मुआवजा नहीं मिलने पर शव को लेने से इनकार कर दिया.

कंपनी की दिल्ली ब्रांच ने शव मंगवाया वापस

परिजनों के इनकार के बाद इंडिगो के कर्मचारियों ने परिजनों को खूब समझाया लेकिन मुआवजे की जिद पर अड़े परिजनों ने शव को लेने से साफ मना कर दिया. जिसके बाद इंडिगो के कर्मचारियों ने परिजनों को दिल्ली ब्रांच के कंपनी से बात कराई लेकिन परिजनों की जिद को देखते हुए कल्पतरू ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के दिल्ली ब्रांच ने इंडिगो विमान के कर्मचारियों को कह कर शव को वापस दिल्ली मंगवा लिया. एयरपोर्ट पर शव लेने परिजनों के साथ बेरमो के पूर्व विधायक और भाजपा नेता योगेंद्र महतो भी पहुंचे थे.

मृतक सुरेंद्र महतो के पीछे उनके परिवार में उनके बूढ़े माता-पिता उसकी पत्नी और तीन छोटे-छोटे बच्चें हैं. जिनकी देखभाल के लिए पत्नी सावित्री देवी मुआवजे की मांग कर रही है. गौरतलब है कि सुरेंद्र महतो की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्रालय से बात कर शव को अफ्रीका से रांची मंगवाने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी परिजनों ने कंपनी के साथ-साथ राज्य सरकार पर भी भरोसा नहीं किया और मुआवजे की आस में शव को दोबारा सुरेंद्र महतो की माटी से दूर भेज दिया.

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