रांची: झारखंड में कोरोना से भी ज्यादा मारक टीबी है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में हर वर्ष करीब 11 हजार लोगों की मौत तपेदिक यानि टीबी के कारण हो रही है. ।राज्य में 25 मई से 05 जून तक चलाये गए ग्रामीण हेल्थ सर्वे के मुताबिक करीब 17 हजाल लोगों में टीबी के लक्षण पाए गए हैं. अब ट्रेसिंग के बाद इनकी टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर जोर दिया जा रहा है ताकि वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य पाया जा सके.
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अधिकारियों को दिए गए विशेष आदेश
सभी जिलों के टीबी ऑफिसर और स्टेट टीबी अफसर को विशेष आदेश देते हुए, ग्रामीण हेल्थ सर्वे के दौरान पहचान किये गए 16677 संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर उसकी जांच कर जल्द से जल्द दवा शुरू करने को कहा गया है.
हर साल मिलते हैं 65 हजार नए टीबी मरीज
NHM के नोडल अधिकारी IEC सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया कि राज्य में हर साल करीब 65 हजार नए टीबी रोगियों की पहचान होती है. उसमें कई ड्रग रेजिडेंट होते हैं. राज्य में अब 297 ट्रू नेट मशीन है जिससे टीबी रोगियों की भी जांच हो सकेगी.
ब्लैक फंगस के 02 और मरीज मिले
झारखंड में 09 जून को दो और ब्लैक फंगस के मरीज मिलने के साथ ही राज्य में ब्लैक फंगस के कुल 113 मरीज हो गए हैं जो अस्पताल में भर्ती हैं. इसमें से 67 कन्फर्म केस हैं जबकि 46 की रिपोर्ट पेंडिंग है. अभी तक 19 लोगों की मौत ब्लैक फंगस से हुई है जबकि 14 ठीक हुए हैं.