रांची: 'सुपर 30' नाम से रुपहले पर्दे पर आई फिल्म की चर्चा इन दिनों घर-घर में हो रही है. यह फिल्म आधारित है पटना के रहने वाले गणितज्ञ आनंद की जीवनी पर. आज की पीढ़ी को प्रेरणा दे रही इस फिल्म को सबसे पहले बिहार सरकार ने टैक्स फ्री किया. इसके बाद राजस्थान सरकार ने 'सुपर 30' को टैक्स फ्री घोषित किया. फिर क्या था इस फिल्म को अलग-अलग राज्यों में टैक्स फ्री करने की जैसे होड़ सी मच गई.
अब तक यह फिल्म बिहार, राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में भी टैक्स फ्री घोषित की जा चुकी है. अब बारी झारखंड की है. ईटीवी भारत को विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बहुत जल्द झारखंड में भी सुपर 30 फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया जाएगा. संभव है कि 1 से 2 दिनों के अंदर रघुवर सरकार इससे जुड़े फाइल पर मुहर लगा दे.
गणितज्ञ आनंद, सुपर थर्टी और आईआईटी
आज हर मां-बाप चाहता है कि उनका बच्चा देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी में पढ़ाई करे. वहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. आईआईटी की चौखट तक पहुंचाने के लिए राजस्थान के कोटा और बिहार के पटना समेत देश के कई शहरों में कई नामी-गिरामी कोचिंग इंस्टीट्यूट चल रहे हैं. जहां कोचिंग लेना गरीब बच्चों के बस की बात नहीं होती.
गरीब और होनहार बच्चों के मन में चल रहे इसी सवाल को जवाब में बदला पटना के रहने वाले गणितज्ञ आनंद ने. अभावों के बीच कभी पटना की सड़कों पर पापड़ बेचने तो कभी घर-घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाले गणितज्ञ आनंद ने गरीब और होनहार बच्चों के लिए जो बीड़ा उठाया उसको आज पूरी दुनिया सुपर 30 के नाम से जानती है.
कुछ सप्ताह पहले तक गणितज्ञ आनंद और उनके संस्थान सुपर 30 को इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्र ही जानते थे. लेकिन रुपहले पर्दे पर जब आनंद के संघर्ष की कहानी आई तब देश का बच्चा-बच्चा जान गया कि आखिर गणितज्ञ आनंद हैं कौन.
झारखंड में टैक्स फ्री होना जरूरी क्यों?
दरअसल झारखंड सरकार सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठा रही है. स्कूलों तक गरीब बच्चों को लाने के लिए मिड डे मील को लजीज बनाने से लेकर स्कूलों की बुनियादी कमियों को दूर किया जा रहा है.
इन प्रयासों के बीच यह भी जरूरी है कि बच्चों में मोटिवेशन लेवल को ऊंचा किया जाए. अच्छा मार्क्स नहीं आने के कारण या फिर अभिभावकों के दबाव के कारण बच्चों के बीच आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. लिहाजा यह जरूरी है कि वह संघर्ष का मतलब समझें. क्योंकि नंबर से जीवन नहीं चलता. इसके लिए सुपर थर्टी जैसी फिल्में बच्चों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं.